राजधानी दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग) केटेगरी के प्रवेश शुरू हो रहे हैं। शिक्षा उप निदेशक (निजी स्कूल शाखा) बिमला कुमारी ने नामांकित लोगों से दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों द्वारा प्रवेश स्तर की कक्षाओं में एडमिशन का सत्यापन करने के लिए कहा है, जिससे प्रवेश में पारदर्शिता रहेगी।
अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय (DoE) दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत प्राइवेट स्कूलों में छात्रों के प्रवेश की जांच ऑफलाइन मोड में करने के लिए तैयार है।
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) एक्ट 2009 के तहत प्राइवेट गैर-सहायता और मान्यता प्राप्त स्कूल ईडब्ल्यूएस श्रेणी, वंचित समूहों से संबंधित कैंडिडेट्स के लिए प्रवेश स्तर की कक्षाओं- नर्सरी, किंडरगार्टन और कक्षा 1 में कम से कम 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करेंगे। स्कूल इस प्राविधान के माध्यम से एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान कराने के लिए तैयार रहेंगे।
23 फरवरी को आया एडमिशन की जांच का फैसला
डीओई ने 16 जनवरी को एक आदेश जारी कर कहा था कि डीओई नियमों के उल्लंघन में ऑफलाइन प्रवेश लेने वाले प्राइवेट गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को प्रतिपूर्ति प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बाद हाई कोर्ट ने 23 फरवरी को फैसला सुनाया कि डीओई को सभी ऑफलाइन एडमिशन की जांच करनी चाहिए।
एडमिशन के दौरान जमा किए दस्तावेजों का होगा वेरिफिकेशन
स्क्रूटनी के हिस्से के रूप में नामांकितों को अपने संबंधित निजी स्कूलों का दौरा करने और 23 फरवरी तक आयोजित किए गए किसी भी ऑफलाइन एडमिशन का डेटा एकत्र करने के लिए कहा गया है। एडमिशन के दौरान जमा किए गए दस्तावेजों को भी सत्यापित किया जाएगा और उनकी जांच को 31 मार्च तक पूरा करने का निर्देश जारी किया गया है।