धनपत राय श्रीवास्तव को प्रेमचंद के आधार पर मुंशी प्रेमचंद के नाम से जाना जाता है। प्रेमचंद एक भारतीय लेखक थे जो अपने आधुनिक हिंदुस्तानी साहित्य के लिए प्रसिद्ध थे। प्रेमचंद हिंदी और उर्दू सामाजिक कथा साहित्य के अग्रणी थे। कई बार हिंदी की परीक्षाओं या इंटरव्यू में प्रेमचंद के बारे में पूछा जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग में हम प्रेमचंद की भाषा शैली क्या थी? के बारे में जानेंगे।
प्रेमचंद की भाषा शैली क्या थी?
प्रेमचंद की भाषा शैली सटीक और साधारण थी। उनकी भाषा शैली खड़ी बोली हिंदी है। वह पहले उर्दू में अपने उपन्यास लिखते थे, मगर बाद में वह खड़ी हिंदी में लिखने लगे। प्रेमचंद की भाषा शैली रचनात्मक और व्यंग्यात्मक भी रही है, क्योंकि कई कहानियों और उपन्यास में रोचकता दिखी है।
प्रेमचंद के बारे में
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के निकट एक सुदूर कस्बे लमही में हुआ था। प्रेमचंद एक साधारण पृष्ठभूमि और छोटे परिवार से थे। उनके दादा गुरु सहाय राय एक पटवारी थे, और पिता अजायब राय एक पोस्टमास्टर थे। उनका जीवन बचपन से ही चुनौतियों से भरा रहा। जब प्रेम चंद केवल 8 वर्ष के थे, तब उनकी मां की बीमारी से मृत्यु हो गई।
प्रेमचंद की शिक्षा
प्रेमचंद ने अपनी औपचारिक स्कूली शिक्षा 7 साल की उम्र में लेमही, बनारस के एक साधारण मदरसे में शुरू की। मदरसे में अपने समय के दौरान उन्होंने उर्दू, कुछ अंग्रेजी और हिंदी सीखी। वह अपनी पसंद के कॉलेज में दाखिला लेने में कामयाब रहे, लेकिन धन की कमी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही रोकनी पड़ी। 1919 में उन्हें बीए की डिग्री मिल गई थी।
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आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको प्रेमचंद की भाषा शैली क्या थी के बारे में पता चला होगा। इसी तरह के अन्य ब्लाॅग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।