पश्चिम बंगाल सरकार ने नई शिक्षा नीति को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पश्चिम बंगाल की सरकार ने नई शिक्षा नीति पर इस साल की शुरुआत से ही काम करना शुरू कर दिया था और एक विशषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने नई शिक्षा नीति से जुड़ी नीतियों के बारे में रिपोर्ट तैयार करके पश्चिम बंगाल सरकार को सौंप दी है।
वर्तमान स्कूली संरचना को ही बरकरार रखा जाएगा
पश्चिम बंगाल के शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा नीति (NEP) के बारे में एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में पश्चिम बंगाल के वर्तमान स्वरुप को ही बरकरार रखने की बात कही गई है। वर्तमान में पश्चिम बंगाल में 5+4+2+2 का स्कूली शिक्षा मॉडल लागू किया गया है।
पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ‘‘मौजूदा स्वरूप में एकमात्र बदलाव आंगनवाड़ी केंद्र में शिक्षा के पहले के दो वर्षों को शामिल करना, इसके बाद पूर्व प्राथमिक शिक्षा के एक वर्ष होंगे, लेकिन प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक का शेष स्वरूप बरकरार रहेगा।’’
अधिसूचना में क्या है?
9 सितम्बर 2023 को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि ‘‘इस समिति ने पक्षकारों के साथ विचार विमर्श के बाद अपने सुझाव सौंपे।” राज्य सरकार ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर राज्य शिक्षा नीति 2023 के मसौदे को अंतिम रूप दिया। राज्य मंत्रिमंडल ने सात अगस्त की बैठक में राज्य शिक्षा नीति 2023 को मंजूरी दे दी है। “इसलिए इस पर विचार करते हुए राज्य शिक्षा नीति 2023 को यहां अधिसूचित किया जाता है।’’
नोटिफिकेशन में तीन भाषा वाले फॉर्मूले का भी किया गया है जिक्र
तीन भाषा वाले फॉर्मूले के बारे में नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इसे क्लास 5वीं से 8वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए बुनियादी ढांचे के रूप में लागू किया जाएगा। प्राथमिक स्तर पर नीति में यह सुझाव पेश किया गया है कि बांगला को एक विषय के रूप में पश्चिम बंगाल के स्कूलों में दूसरे माध्यमों के स्टूडेंट्स के लिए लागू किया जा सकता है। इसकी शुरुआत कक्षा एक से ही कर दी जाएगी।
विशेषज्ञ समिति के एक सदस्य ने बताया कि हमें बहुत खुशी है कि नई शिक्षा नीति से जुड़ी हमारी सभी सिफारिशों को पश्चिम बंगाल सरकार ने स्वीकार कर लिया है। हमें उम्मीद है कि हमारी सिफारिशें स्टूडेंट्स के लिए मददगार साबित होंगी। उन्होंने आगे बताया कि इन सिफारिशों को शीघ्र से शीघ्र लागू करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार एक समिति का गठन करने पर भी विचार कर सकती है।
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