हाल ही में भारत के प्रमुख एग्जाम कंडक्ट कराने वाली “नेशनल टेस्टिंग एजेंसी” (NTA) के नए आंकड़ों के अनुसार मराठी, गुजराती और उड़िया भाषा के रजिस्ट्रेशन में कुछ वर्षों से थोड़ी गिरावट आई है। हालांकि हिंदी, बंगाली, असमिया, तेलगु और तमिल भाषा में NEET रजिस्ट्रेशन में वृद्धि देखी गई हैं।
NTA हर वर्ष अंडर ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) का एग्जाम आयोजित किया जाता है। वर्ष 2023 में मार्च से NEET एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन की संभावना है।
वर्ष 2013 से NEET एग्जाम इंग्लिश लेंग्वेज के साथ- साथ मॉर्डन इंडियन लेंग्वेज में भी NEET एग्जाम कंडक्ट कराने का फैसला लिया था। जिनमें हिंदी, तमिल, तेलगु, बंगाली, गुजराती और मराठी लेंग्वेज प्रमुख थी। इस फैसले के बाद अन्य राज्यों ने भी केंद्र सरकार ने अपनी रिजीनल लेंग्वेज में NEET एग्जाम कंडक्ट कराने का अनुरोध किया।
भारतीय भाषाओं में NEET एग्जाम में रेजिस्ट्रेशन बढ़ने का मुख्य कारण साइंस में रिजीनल लेंग्वेज में बुक्स की बढ़ती जागरूकता और उसकी उपलब्धता है। कुछ वर्षों पहले तक MBBS की पढ़ाई हिंदी या तमिल भाषा में कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
हालांकि अब भारत के बहुत से राज्य MBBS की पढ़ाई हिंदी और स्थानीय भाषाओं में कराने का अहम फैसला लेने का निर्णय लेने पर विचार कर रहे है। सेंट्रल तमिल यूनिवर्सिटी भी पिछले 20 वर्षों से मेडिकल स्टडी सिलेबस को रिजीनल लेंग्वेज में लाने के लिए काम कर रहा है।
अभी हाल ही में मध्य प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में भी MBBS की पढ़ाई हिंदी भाषा में कराने का फैसला लिया गया है। जिससे MBBS की पढ़ाई के लिए मध्य प्रदेश में तैयार सिलेबस को ही उत्तराखंड में भी लागू किया जाएगा।
MBBS का हिंदी सिलेबस एक रिफ्रेंस बुक की तरह होगा जिससे इंग्लिश के साथ-साथ छात्रों को हिंदी मीडियम में भी MBBS की पढ़ाई करने का विकल्प मिलेगा। इससे छात्रों को इंग्लिश के कठिन शब्दों को भी समझने में आसानी होंगी। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से आए छात्रों को हिंदी मीडियम में MBBS की स्टडी करने में कोई मुश्किल नहीं होगी, साथ ही यह उनकी इस क्षेत्र में समझ बढ़ाने के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा।
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