Munshi Premchand Ki choti kahaniyan: मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महानतम लेखकों में से एक माने जाते हैं, उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य की साधना में ही समर्पित कर दिया था। इसीलिए साहित्य में मुंशी प्रेमचंद के विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य में सबसे अधिक लोकप्रिय और सबसे अधिक पढ़ें जाने वाले लेखकों में से एक हैं। उन्हें सबसे ज्यादा अपनी कहानियों और उपन्यासों के लिए जाना जाता है। बता दें कि मुंशी जी ने 300 से अधिक कहानियों की रचना की थी। लेकिन क्या आप जानना चाहते हैं कि मुंशी प्रेमचंद की 5 छोटी कहानियाँ कौन सी हैं? आइए जानते हैं उनकी सबसे छोटी कहानियों के बारे में।
मुंशी प्रेमचंद की 5 छोटी कहानियाँ
यहाँ मुंशी प्रेमचंद की छोटी कहानियों (premchand short stories in hindi) के बारे में बताया जा रहा है, जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
- राष्ट्र का सेवक
- बंद दरवाजा
- यह भी नशा, वह भी नशा
- देवी
- कश्मीरी सेब
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मुंशी प्रेमचंद की अन्य छोटी कहानियाँ
मुंशी प्रेमचंद की अन्य छोटी कहानियाँ (Premchand Ki Kahaniya) इस प्रकार हैं:-
- झाँकी
- सुभागी
- समस्या
- प्रेरणा
- आगा-पीछा
- सभ्यता का रहस्य
- वैर का अंत
- समर यात्रा
- मैकू
- लोकमत का सम्मान
मुंशी प्रेमचंद के बारे में
मुंशी जी का वास्तविक नाम ‘धनपत राय श्रीवास्तव’ था लेकिन उन्हें साहित्य जगत में ‘नवाब राय’ और ‘मुंशी प्रेमचंद’ के नाम से जाना जाता है। मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमही गांव,वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मुंशी अजायबराय’ था जो डाकखाने में क्लर्क थे और उनकी माता का नाम ‘आनन्दी देवी’ था जो एक गृहणी थी। प्रेमचंद का जीवन बचपन से ही चुनौतियों भरा रहा था, उनकी माता का उनके जन्म के 6 वर्ष बाद ही निधन हो गया था और 16 वर्ष की आयु में उनके पिता मुंशी अजायबराय का भी स्वर्गवास हो गया था।
मुंशी प्रेमचंद ने अपनी औपचारिक शिक्षा अपने गांव लमही से ही शुरू की इसके बाद सन 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। लेकिन उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी और सन 1919 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। ये वो दौर था जब संपूर्ण भारत में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन हो रहे थे।
सन 1921 में ‘महात्मा गांधी’ जी के नेतृत्व में शुरू किए गए ‘असहयोग आंदोलन’ में मुंशी जी ने भी अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया और पूर्ण रूप से लेखन कार्य में जुट गए। मुंशी जी ने अपने साहित्यिक जीवन में कई अनुपम रचनाओं की जिसमें कहानी, उपन्यास और निबंध अहम माने जाते हैं। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन लेखन कार्य में ही लगा दिया था लेकिन लंबी बीमारी के बाद उनका 08 अक्टूबर 1936 को निधन हो गया। बता दें कि हर वर्ष 8 अक्टूबर को मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि मनाई जाती है।
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FAQs
बताना चाहेंगे ‘पूस की रात’ (Poos Ki Raat) मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है।
मुंशी प्रेमचंद जी ने 300 से अधिक कहानियों की रचना की थी।
मानसरोवर (कथा-संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानियों का संकलन है।
‘ईदगाह’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक लोकप्रिय कहानी है।
‘दो बैलों की कथा’, ’बूढ़ी काकी’, ‘कफ़न’, ‘ठाकुर का कुआं’, ‘सद्गति’, ‘सवा सेर गेहूँ’, व ‘मोटेराम का सत्याग्रह’ आदि मुंशी प्रेमचंद की सबसे प्रसिद्ध कहानियां हैं।
प्रेमचंद का मूल नाम ‘धनपत राय श्रीवास्तव’ था।
‘गोदान’ मुंशी प्रेमचंद का बहुचर्चित उपन्यास है।
‘ईदगाह’ मुंशी प्रेमचंद की कहानी है। यह प्रेमचंद की सुप्रसिद्ध कहानियों में एक है।
आशा है कि आपको मुंशी प्रेमचंद की 5 छोटी कहानियाँ (premchand short stories in hindi) और उनके जीवन के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। हिंदी साहित्य से संबंधित अन्य ब्लाॅग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।