लाल किला: UNESCO के द्वारा वैश्विक धरोहर में शामिल लाल किला का इतिहास और रोचक तथ्य

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लाल किला

लाल किला पुरानी दिल्ली में स्थित है। लाल किले को इसके निर्माण में प्रयुक्त हुए लाल रंग के बलुआ पत्थर के कारण यह नाम मिला है। इस ऐतिहासिक इमारत को वर्ष 2007 में UNESCO के द्वारा वैश्विक धरोहर का खिताब दिया गया था। भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला भारत की शान माना जाता है। यह देश की आज़ादी का प्रतीक भी है। प्रतिवर्ष भारत के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले पर ही तिरंगा झंडा फहराते हैं। इस ब्लॉग में लाल किला के इतिहस, इसमें मौजूद पर्यटन स्थलों और आधुनिक युग में इसके महत्व के बारे में जानकारी दी गई है।  

लाल किले का इतिहास

लाल किले के निर्माण का काम 1648 ईसवी तक करीब 10 साल तक चला। मुगल सम्राट शाहजहां के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने इस लाल किले में मोती-मस्जिद का भी निर्माण करवाया था। शाहजहां, इस किले को उनके द्वारा बनवाए गए सभी किलों में बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईसवी में ही अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, और फिर तल्लीनता से इस किले के निर्माण में ध्यान देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया था। मुगल सम्राट शाहजहां ने आगरा में स्थित ताजमहल को भव्य रुप देने वाले डिजाइनर और मुगल काल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को इस किले की शाही डिजाइन बनाने के लिए चुना था।वहीं उस्ताद अहमद अपने नाम की तरह ही अपनी कल्पना शक्ति से शानदार इमारत बनाने में उस्ताद थे, उन्होंने लाल किला को बनवाने में भी अपनी पूरी विवेकशीलता और कल्पनाशीलता का इस्तेमाल कर इसे अति सुंदर और भव्य रुप दिया था। 

वहीं 17वीं शताब्दी पर जब लाल किले पर मुगल बादशाह जहंदर शाह का कब्जा हो गया था, तब करीब 30 साल तक लाल किले बिना शासक का रहा था। इसके बाद नादिर शाह ने लाल किले पर अपना शासन चलाया I सके बाद 18वीं सदी में अंग्रेजों ने लाल किले पर अपना कब्जा जमा लिया और इसे किले में जमकर लूट-पाट की। भारत की आजादी के बाद सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था। वर्ष 2007 में लाल किए को वैश्विक धरोहर के रूप में UNESCO द्वारा स्वीकार किया गया।  

लाल किले की वास्तुकला 

लाल किले में उच्च स्तर की शिल्प कला का प्रयोग किया गया है। यहाँ की कलाकृतियों में भारतीय, फारसी और यूरोपीय कला की झलक देखने को मिलती है। लाल किला शाहजहानी शैली में बनाया गया है। यह एक विशेष इमारत समूह है जो भारतीय इतिहास की शिल्प कला की दास्तान को अपने में समेटे हुए है। यहाँ लाल किले की वास्तुकला के बारे में बताया जा रहा है।   

नक्कारखाना 

लाहौर गेट से चट्टा चौक तक आने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्वी ओर नक्कारखाना बना है। यह संगीतज्ञों हेतु बने महल का मुख्य द्वार है।

ज़नाना

किले के दक्षिण में स्थित भवन महिलाओं के लिए बनाए गए हैं।  इन्हें ज़नाना कहा जाता था।  ज़नाना मतलब ज़नानियों (स्त्रियों) का निवास स्थान।  इन भवनों के नाम : मुमताज महल और रंग महल हैं।  

ख़ास महल 

दक्षिण से तीसरा मण्डप है खास महल। इसमें शाही कक्ष बने हैं। इनमें राजसी शयन-कक्ष, प्रार्थना-कक्ष, एक बरामदा और मुसम्मन बुर्ज बने हैं। इस बुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे।

 हयात बख्श बाग़ 

लाल किले के उत्तर में एक विशाल बगीचा मौजूद है।  इसे  हयात बख्श बाग कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है जीवनदाई उद्यान। यह दो भागों में बंटा हुआ है।  एक मण्डप उत्तर दक्षिण कुल्या के दोनों छोरों पर स्थित हैं एवं एक तीसरा बाद में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 1842 बनवाया गया था। यह दोनों कुल्याओं के मिलन स्थल के केन्द्र में बना है।

मोती मस्जिद

लाल किले के अंदर पश्चिमी भाग में मोती मस्जिद स्थित है। इसका निर्माण 1659 में औरंगज़ेब के द्वारा किया गया था। यह औरंगज़ेब की निजी मस्जिद थी। यह एक छोटी तीन गुम्बद वाली, तराशे हुए श्वेत संगमर्मर से निर्मित है। इसका मुख्य फलक तीन मेहराबों से युक्त है,एवं आंगन में उतरता है।

लाल किले से जुड़े रोचक तथ्य  

लाल किले का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ साथ आधुनिक युग में भी बहुत महत्व है। यह अनेक तरह से आज की पीढ़ी के लिए एक विशेष महत्व रखता है: 

  • 1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था।
  • भारत के प्रथम प्रधानमंत्री 1947 में भारत के आज़ाद होने पर लाल किले पर ही झंडा फहराया था और इसकी प्राचीर से देश को सम्बोधित किया था। तब से हर वर्ष 15 अगस्त को यह परंपरा हर प्रधानमत्री द्वारा निभाई जाती है।  
  • लाल किले पर ही नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया।
  • इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला भी हुआ था। इसमें दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए। इसे मीडिया द्वारा काश्मीर में भारत – पाकिस्तान शांति प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास बताया गया था।

FAQs 

लाल किला किसने बनवाया था? 

लाल किले का निर्माण पांचवे मुग़ल शासक शाहजहां ने करवाया था। 

लाल किला का असली नाम क्या है?

लाल किले का असली नाम है ‘किला-ए-मुबारक’ है।

लाल किले का अंतिम शासक कौन है?

लाल किले का अंतिम शासक मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर था। 

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में लाल किला के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य दुर्ग और किलों का इतिहास जानने पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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