Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024 : भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

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लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

Lal Bahadur Shastri Ka Jivan Parichay : ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भारत की घरती पर जन्मे ऐसे महापुरुषों में से हैं, जिन्होंने परिश्रम, कर्तव्य और आचरण से ना केवल अपने देश का मान बढ़ाया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मिसाल पेश की है। उन्होंने छोटी उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया और कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने। सिर्फ इतना ही नहीं लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री भी थे।

भारत सरकार ने वर्ष 1966 में लाल बहादुर शास्त्री को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया था। इस वर्ष 2 अक्टूबर, 2024 को लाल बहादुर शास्त्री की 120वीं जयंती मनाई जाएगी। आइए अब यशस्वी राजनेता लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय (Lal Bahadur Shastri Ka Jivan Parichay) और उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

नाम लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri)
जन्म 2 अक्टूबर, 1904
जन्म स्थान मुगलसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
शिक्षा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव
माता का नाम रामदुलारी देवी
पत्नी का नाम ललिता शास्त्री 
राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Independence Movement) 
प्रसिद्ध नारा जय जवान जय किसान
धारित पद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री 
सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) वर्ष 1966 
मृत्यु 11 जनवरी, 1966 ताशकंद, उज्बेकिस्तान
स्मारक विजय घाट, नई दिल्ली

लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन – Lal Bahadur Shastri Ka Jivan Parichay

श्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri in Hindi) का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता ‘शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’ एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। तब उनकी माँ ‘रामदुलारी देवी’ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर मिर्जापुर जाकर बस गईं। 

यहीं पर शास्त्री जी का पालन पोषण हुआ और उनकी प्राथमिक शिक्षा शुरू हुई। कहा जाता है कि उस छोटे-से शहर में शास्त्री जी की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही उन्होंने वहाँ काफी विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की। वहीं उन्हें स्कूल जाने के लिए रोजाना मीलों पैदल चलना और नदी पार करनी पड़ती थी।  

बड़े होने के साथ ही शास्त्री जी ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए देश के संघर्ष में अधिक रुचि रखने लगे। वे भारत में ब्रिटिश शासन का समर्थन कर रहे भारतीय राजाओं की महात्मा गांधी द्वारा की गई निंदा से अत्यंत प्रभावित हुए थे। शास्त्री जी जब केवल ग्यारह वर्ष के थे तब से ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने का मन बना लिया था।

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स्वतंत्रता-पूर्व लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय 

लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri in hindi) के जीवन के बारे में दो हिस्सों में लिखा जा सकता है। एक स्वतंत्रता से पहले का और दूसरा स्वतंत्रता के बाद का। शास्त्री जी स्वतंत्रता के पहले आजादी की लड़ाई के प्रमुख सिपाही थे। वे स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लेते थे। आंदोलन के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई से भी समझौता किया। वर्ष 1930 में शास्त्री जी को कांग्रेस कमेटी के स्थानीय इकाई का सचिव बनाया गया था। शास्त्री जी स्वतंत्रता आंदोलन के उन सिपाहियों में शामिल हैं जिन्हें 1942 में ब्रिटिश गर्वेमेंट द्वारा जेल में बंद किया गया था।

स्वतंत्रता-बाद लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

लाल बहादुर शास्त्री नें स्वतंत्रता आंदोलन में तो अहम भूमिका निभाई ही, देश के आजाद होने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वो आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में पुलिस मंत्री भी रहे थे। इसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें रेल मंत्री के पद दिया। पर शास्त्री जी के लिए नैतिका सबसे उपर थी , 1956 में हुई एक रेल दुर्धटना के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे एक बार फिर 1957 में परिवहन और संचार मंत्री बने। इसके बाद 1961 में वे गृह मंत्री बनाए गये।

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कब और कैसे मिली उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि?

वर्ष 1925 में काशी विद्यापीठ (वाराणसी) से ग्रेजुएट होने के बाद उन्हें “शास्त्री” की उपाधि दी गई थी। बता दें कि ‘शास्त्री’ शब्द एक ‘विद्वान’ या एक ऐसे व्यक्ति को इंगित करता है जिसे शास्त्रों का अच्छा ज्ञान हो। काशी विद्यापीठ से ‘शास्त्री’ की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने जन्म से चला आ रहा सरनेम ‘श्रीवास्तव’ हमेशा हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे ‘शास्त्री’ लगा लिया। इसके पश्चात् शास्त्री शब्द लालबहादुर के नाम का पर्याय ही बन गया। 16 मई 1928 में शास्त्री जी का विवाह मिर्जापुर निवासी गणेशप्रसाद की पुत्री ललिता से हुआ। उन्होंने अपनी शादी में दहेज लेने से इनकार कर दिया था। लेकिन अपने ससुर के बहुत जोर देने पर उन्होंने कुछ मीटर खादी का दहेज लिया था। 

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री जी की अहम भूमिका

जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए देशवासियों से एकजुट होने का आह्वान किया था, उस समय शास्त्री जी केवल सोलह वर्ष के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। वर्ष 1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून को तोड़ते हुए दांडी यात्रा शुरू की। इस प्रतीकात्मक सन्देश ने पूरे देश में एक तरह की क्रांति ला दी। शास्त्री जी विह्वल ऊर्जा के साथ स्वतंत्रता के इस संघर्ष में शामिल हो गए। उन्होंने कई विद्रोही अभियानों का नेतृत्व किया एवं कुल सात वर्षों तक ब्रिटिश जेलों में रहे। आजादी के इस संघर्ष ने उन्हें पूर्णतः परिपक्व बना दिया। स्वतंत्रता संग्राम के जिन जन आन्दोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें वर्ष 1921 का ‘असहयोग आंदोलन’, वर्ष 1930 का ‘दांडी मार्च’ तथा वर्ष 1942 का ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ महत्वपूर्ण हैं।

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लाल बहादुर शास्त्री जी की राजनितिक उपलब्धियां 

भारत की स्वतंत्रता के बाद बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई और वर्ष 1946 में जब कांग्रेस सरकार का गठन हुआ। तो शास्त्री जी को अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया और जल्द ही वे गृह मंत्री के पद पर भी आसीन हुए। इसके बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला इनमें रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे। 

लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद 9 जून 1964 को उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 में हुआ था। उनका आधिकारिक नाम लाल बहादुर वर्मा था। लाल बहादुर शास्त्री का निधन 11 जनवरी 1966 को हुआ था।

जब शास्त्री जी ने दिया ‘जय जवान जय किसान’ का ऐतिहासिक नारा

वर्ष 1964 में लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri in hindi) देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। इस दौरान अन्न संकट के कारण देश भुखमरी की स्थिति से गुजर रहा था। वहीं 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उसी दौरान अमरीकी राष्ट्रपति लिंडन ने शास्त्री जी पर दबाव बनाया कि अगर पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की गई तो हम गेहूँ के आयात पर प्रतिबंध लगा देंगे। यह वो समय था जब भारत गेहूँ के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था इसलिए शास्त्री जी ने देशवासियों को सेना और जवानों का महत्व बताने के लिए ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था। इस संकट के काल में शास्त्री जी ने अपनी तनख्वाह लेना भी बंद कर दिया था और देशवासियों से कहा कि हम हफ़्ते में एक दिन का उपवास करेंगे। 

पाकिस्तान के साथ वर्ष 1965 का युद्ध खत्म करने के लिए वह समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने गए थे लेकिन इसके ठीक एक दिन बाद 11 जनवरी 1966 को अचानक खबर आई कि हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई है। हालांकि उनकी मृत्यु पर वर्तमान समय में भी संदेह बरकरार है।   

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लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार

यहाँ लाल बहादुर शास्त्री जी के कुछ अनमोल विचारों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-

  • जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्त्तव्य होता है, हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।
  • लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।
  • देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
  • आजादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नही है, पूरे देश को मजबूत होना होगा। 
  • हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास के लिए विशवास करते हैं।

FAQs

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म कब और कहां हुआ था?

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुग़लसराय के रामनगर गाँव में हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री कब बने?

9 जून, 1964 को लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे।

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कब हुई?

लाल बहादुर शास्त्री का निधन 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद, उज्बेकिस्तान में हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री किस पार्टी के नेता थे?

लाल बहादुर शास्त्री भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। 

लाल बहादुर शास्त्री को भारत रत्न कब मिला?

भारत सरकार ने वर्ष 1966 में लाल बहादुर शास्त्री को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (मरणोपरांत) से सम्मानित किया था।

लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी का नाम क्या था?

लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी का नाम ‘ललिता शास्त्री’ था। 

लाल बहादुर शास्त्री के माता पिता का नाम क्या था?

उनकी माता का नाम ‘रामदुलारी देवी’ जबकि पिता का नाम ‘शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’ था।  

लाल बहादुर शास्त्री के कितने बेटे थे?

लाल बहादुर शास्त्री के तीन पुत्र थे।  

आशा है कि आपको ‘भारत रत्न’ से सम्मानित भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय (Lal Bahadur Shastri Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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