इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है?

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सन् 1999 में एक वैज्ञानिक जिनका नाम था केविन केविन एश्टन था। इन्होंने सबसे पहले इस कांसेप्ट का नाम ‘Internet of Things’ रखा था। तब वह P&G (जो की बाद में MIT’s Auto-ID Center बना) में काम किया करते थे। इंटरनेट ऑफ थिंग्स ऐसा कांसेप्ट है जिसमें सभी उपकरण जो की ऑन या ऑफ स्विच से चलते हैं उन्हें इंटरनेट के साथ कनेक्ट कर दिया जाये या फिर एक दूसरे के साथ कनेक्ट हो सकें जैसे- फ़ोन, कार, लैंप, कॉफी मशीन आदि। Internet of things in Hindi के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह ब्लॉग पढ़ें। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है?

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए कई प्रकार के प्रौद्योगिकियों और उपकरणों को एक साथ जोड़ा जा सकता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स नेटवर्किंग के विकास की बड़ी सफलता है। इस तकनीक का इस्तेमाल सभी गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है। इस तकनीक की मदद से जोड़े गए सभी स्मार्ट डिवाइस एक दूसरे को डाटा भेजते हैं और एक दूसरे से डाटा प्राप्त कर सकते हैं। इस टेक्नोलॉजी की मदद से हम लोगों की जिंदगी आने वाले समय में बेहद आसान हो जाएगी। इसकी मदद से आप किसी भी एक डिवाइस या उपकरण को इंटरनेट के साथ लिंक करके बाकी डिवाइसेज से अपने अनुसार कुछ भी कार्य करवा सकते हैं। जैसे- अगर कोई व्यक्ति अपने घर पहुंचने से पहले चाहता है कि उसके कमरे का एसी (AC) ऑन हो जाए और घर पहुंचते ही उसे अपना कमरा एकदम ठंड़ा मिले तो इंटरनेट ऑफ थिग्स के जरिए ऐसा किया जा सकता है। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इतिहास 

स्मार्ट उपकरणों के नेटवर्क की मुख्य अवधारणा की शुरुआत 1982 थी। मार्क वीज़र के 1991 के पेपर, “द कंप्यूटर ऑफ़ द 21स्ट सेंचुरी”, साथ ही साथ UbiComp और PerCom जैसे शैक्षणिक स्थानों ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स के मॉडल को प्रस्तुत किया। 

“इंटरनेट ऑफ थिंग्स” की अवधारणा और स्वयं शब्द, पहली बार पीटर टी. लुईस के एक भाषण में वाशिंगटन, डीसी में कांग्रेसनल ब्लैक कॉकस फाउंडेशन के 15वें वार्षिक विधायी सप्ताहांत में, सितंबर 1985 में प्रकाशित हुआ। “इंटरनेट ऑफ थिंग्स” शब्द को स्वतंत्र रूप से प्रॉक्टर एंड गैंबल के केविन एश्टन द्वारा गढ़ा गया था। 1999 के समय में रेडियो-फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) को इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स के लिए आवश्यक माना गया,  जो कंप्यूटर को सभी व्यक्तिगत चीज़ों का प्रबंधन करने की अनुमति देता। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स की विशषताएं  

Internet of things in Hindi की कुछ खास सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कनेक्टिविटी, सेंसर, एक्टिव एंगेजमेंट और छोटे उपकरण का उपयोग शामिल है-

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस − इंटरनेट ऑफ थिंग्स चीज़ों को स्मार्ट बनाता है। यह डेटा संग्रह, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एल्गोरिदम और नेटवर्क की शक्ति के साथ जुड़ा हुआ है। 
  • कनेक्टिविटी− इंटरनेट ऑफ थिंग्स अपने सिस्टम उपकरणों के बीच छोटे नेटवर्क बनाता है.
  • सेंसर्स − इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेंसर के बिना अपना भेद खो देता है। वे उपकरणों को परिभाषित करने के रूप में कार्य करते हैं। 
  • एक्टिव एंगेजमेंट − कनेक्टेड तकनीक के साथ आज की अधिकांश बातचीत पैसिव जुड़ाव के माध्यम से होती है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स सक्रिय सामग्री, उत्पाद, या सेवा सहभागिता के लिए एक नया आदर्श प्रस्तुत करता है। .

इंटरनेट ऑफ थिंग्स कैसे काम करता है?

Internet of things in Hindi प्रक्रिया स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे टीवी, वॉशिंग मशीन जैसे उपकरणों से शुरू होती है जो आपको इंटरनेट ऑफ थिंग्स प्लेटफॉर्म के साथ संवाद (communicate) करने में मदद करती है-

1. सेंसर/ डिवाइस

सेंसर या डिवाइस एक प्रमुख घटक है जो आपको आसपास के वातावरण से लाइव डेटा एकत्र करने में मदद करते हैं। यह एक साधारण तापमान निगरानी सेंसर (simple temperature monitoring sensor) हो सकता है, या यह वीडियो फीड के रूप में हो सकता है। एक उपकरण में विभिन्न प्रकार के सेंसर हो सकते हैं जो संवेदन के अलावा कई कार्य करते हैं। उदाहरण, मोबाइल फोन एक ऐसा उपकरण है जिसमें जीपीएस, कैमरा जैसे कई सेंसर होते हैं।

2. कनेक्टिविटी

सभी  एकत्रित डेटा को क्लाउड इफास्ट्रक्चर में भेजा जाता है। संचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करके सेंटर को क्लाउड से जोड़ा जाना चाहिए। इन संचार माध्यमों में मोबाइल या सैटेलाइट नेटवर्क, ब्लूटूथ WiFi, WAN आदि शामिल है।

3. डेटा प्रोसेसिंग

एक बार जब वह डेटा एकत्र हो जाता है, और यह क्लाउड पर पहुंच जाता है, तो सॉफ्टवेयर एकत्रित डेटा पर प्रोसेसिंग करता है। यह प्रक्रिया केवल तापमान की जांच कर सकती है और एसी या हीटर जैसे उपकरणों पर उसे रीड किया जा सकता है। 

4. यूजर इंटरफेस

जानकारी को अंतिम उपयोगकर्ता के लिए किसी तरह उपलब्ध होना चाहिए जो उनके फोन पर अलार्म डिगर करके या उन्हें ईमेल या नोटिफिकेशन भेजकर प्राप्त किया जा सके। उपयोगकर्ता को कभी कभी एक इंटरफ़ेसकी आवश्यकता हो सकती है जो सक्रिय रूप में उनके 101 सिस्टम की जाँच करता है।

कौन-कौन से उपकरण इंटरनेट ऑफ थिंग्स का हिस्सा बन सकते हैं?

  • Amazon Echo – स्मार्ट होम – Amazon Echo वॉयस असिस्टेंट एलेक्सा के जरिए काम करता है।  इसमे यूजर अलग-अलग कार्य करवा सकते है। यूजर एलेक्सा को गाने चलाने, मौसम की जनकारी देने, खेल का स्कोर बताने, टैक्सी बुक करने जैसे कई काम करवा सकते है। 
  • Fitbit One-Variables – Fitbit One ट्रैक करता है की आप कितना चले है आपने कितनी कैलरीज बर्न की हैं या आप कितना सोए हैं आदि इसी के साथ यह डिवाइस आपके स्मार्ट फ़ोन या कंप्यूटर से लिंक हो कर आपके फिटनेस डाटा को चार्ट मे भी बदल कर देता है। 
  • Barcelona-स्मार्ट सिटी- यह स्पेनिश सिटी स्मार्ट सिटी में सबसे पहले आती है। यहां कई इंटरनेट ऑफ थिंग्स की योजनाओं को लागू किया गया है। इससे स्मार्ट पार्किंग और वातावरण को साफ रखने में मदद मिली है। 
  • Astrum AL 150 Lock – सिक्योरिटी – इन ब्लूटूथ आधारित लॉक में आपको चाबी या किसी कॉम्बो लॉक की जरुरत नहीं पड़ती। ये लॉक एंड्राइड और IOS  डिवाइस को सपोर्ट करता है। इसे आप घर में मौजूद अन्य गैजेट्स के साथ आसानी से कनेक्ट कर सकते है। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्यों करना चाहिए?

Internet of things in Hindi क्यों करना चाहिए इसके कुछ पॉइंट्स नीचे बताए गए हैं-

  • आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेस्ट फीडबैक प्रदान करता है। 
  • रीयल-टाइम मॉनीटरिंग में बेस्ट पॉसिबल रिसोर्स एलोकेशन प्रदान करता है। 
  • मोबिलिटी पैटर्न्स में बेस्ट पॉसिबल डिसिशन मेकिंग प्रदान करता है.
  • इसके साथ लोकल प्रोवाइडर्स को बेस्ट पॉसिबल कनेक्शन प्रदान करता है। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के फायदे 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स हमें ऐसे अवसर प्रदान करता है जिससे हम ज्यादा एफ्फिसेंटली काम कर सकें जिससे की हमारे समय की बचत हो, और उसके साथ पैसों की भी, वहीँ हमारा काम भी आसानी से हो जाये। इंटरनेट ऑफ थिंग्स हमारे दैनिक समस्याओं को समाधान करने में मदद करता है – जैसे की पार्किंग एरिया में अपनी कार के लिए पार्किंग स्पेस खोजना, अपने होम एंटरटेनमेंट सिस्टम को लिंक करना और फ्रिज के वेबकेम से ये चेक करना की हमें और दूध चाहिए या नहीं। एलेक्सा के माध्यम से गाने चलवाना। 

भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स की स्थिति 

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2014 में इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर प्रारूप नीति जारी की थी। डिजिटल इंडिया स्मार्ट इंडिया पहल के साथ अप्रैल 2015 में कुछ मॉडिफिकेशन के साथ इसे जारी किया गया था। इस नीति के तहत 2020 तक 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इंटरनेट ऑफ थिंग्स उद्योग बनाने की योजना है। 2020 तक आंध्रा प्रदेश को मुख्य IT हब मे परिवर्तित करने के उद्देश्य से आंध्रा प्रदेश की सरकार ने भारत की पहली इंटरनेट ऑफ थिंग्स नीति 2016 को मंजूरी प्रदान की। प्राइवेट क्षेत्र में अगस्त 2015 में रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड ने संयुक्त राज्य अमेरिका आधारित जेस्पर टेक्नोलॉजीज के साथ एक सेटलमेंट कर भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स सर्विस को प्रवेश कराने की कोशिश की। 

IoT कोर्सेज के प्रकार

Internet of things in Hindi कोर्सेज के लेवल नीचे दिए गए हैं-

  • सर्टिफिकेट
  • डिप्लोमा
  • बैचलर्स
  • मास्टर्स
  • PhD

IoT करने के बाद टॉप जॉब प्रोफाइल्स

Internet of things in Hindi करने के बाद टॉप जॉब प्रोफाइल्स दिए गए हैं-

  • IoT प्रोडक्ट मैनेजर
  • डेटा साइंटिस्ट
  • डेटाबेस डिज़ाइनर
  • IoT इंजीनियर
  • एप्लीकेशन आर्किटेक्ट

FAQs

इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस का कौन उदाहरण हैं?

कंप्यूटर, स्मार्टफोन, स्मार्टवाच, टैबलेट, मार्डन टीवी और पहनने योग्य गैजेट्स सभी इंटरनेट ऑफ थिंग्स  का हिस्सा है। हालांकि, रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे थर्मोस्टैट्स और स्मोक डिटेक्टर अब स्मार्ट हो रहे हैं, जो उन्हें इंटरनेट ऑफ थिंग्स के रूप में स्थापित करता है।

इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स शब्द पहली बार कब बनाया गया था?

इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स शब्द को पहली बार केविन एश्टन (Kevin Ashton) नाम के वैज्ञानिक ने 1999 इस्तेमाल किया था। 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस क्या है?

इंटरनेट ऑफ थिंग्स दुनिया भर में उन अरबों फिजिकल डिवाइसेस का समूह है जो इंटरनेट से जुड़े हैं। जो चीजें इंटरनेट से जुडी हैं वो स्मार्ट और तेज हैं, उनका उपयोग जानकारी इकट्ठा करने, जानकारी भेजने या दोनों के लिए किया जाता है।

उम्मीद है, कि इस ब्लॉग में आपको Internet of things in Hindi के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। यदि आप विदेश में अर्बन डिजाइनिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 572 000 पर कॉल कर बुक करें।

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