ग्रेजुएशन की किताबों को भारतीय भाषाओं में लिखवाएगा यूजीसी  

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विश्विद्यालय अनुदान आयोग यानि यूजीसी द्वारा कॉलेज में पढ़ाई जाने वाले अंडर ग्रेजुएट सिलेबस की किताबों को भारतीय भाषाओं में लिखवाने का फैसला किया गया है। यूजीसी ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इस नोटिफिकेशन में यूजीसी की ओर से विभिन्न विषयों से संबंधित लेखकों और प्रोफेसरों को पुस्तकें लिखने के लिए आमंत्रित किया गया है। 

12 भारतीय भाषाओं में लिखी जाएंगी पुस्तकें 

यूजीसी द्वारा कॉलेजों में ग्रेजुएशन के सिलेबस में पढ़ाई जाने वाली विभिन्न विषयों की पुस्तकों को 12 भारतीय भाषाओं में लिखवाए जाने का कार्य करेगा। इस प्रक्रिया के लिए अपनी ओर से जारी नोटिस में विभिन्न विषयों के प्रोफ़ेसर और लेखकों को पुस्तक लिखने के लिए आमंत्रित भी किया है। इस संबंध में यूजीसी ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर एक लिंक भी साझा किया है जिस पर क्लिक करके कॉलेजों में ग्रेजुएशन में पढ़ाए जाने वाले विभिन्न कोर्सेज के विभिन्न विषयों के प्रोफ़ेसर और लेखक पुस्तक लिखने के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की आख़िरी तारीख 30 जनवरी 2024 है।  

नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया निर्णय 

यूजीसी द्वारा कॉलेजों में पढ़ाए जाने वाले विभिन्न अंडर ग्रेजुएशन कोर्सेज के विभिन्न विषयों की पुस्तकों को 12 भारतीय भाषाओं में लिखे जाने का निर्णय नई शिक्षा नीति 2020 तहत लिया गया है। नई शिक्षा नीति भारतीय भषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाए जाने पर बल देती है ताकि छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाई को अच्छे से समझ सकें। इस योजना के तहत  आर्ट्स और साइंस दोनों स्ट्रीम्स के कोर्सेज की किताबें भारतीय भाषाओं में लिखी जाएंगी। 

इससे पूर्व NCERT भी भारतीय भाषाओं को स्कूली शिक्षा का माध्यम बनाए जाने का फैसला ले चुका है। अब छात्र स्कूलों में गणित और विज्ञान जैसे विषय अपनी मातृभाषा में पढ़ सकेंगे।  

स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद साबित होगा निर्णय 

यूजीसी द्वारा लिया गया यह निर्णय स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद साबित होगा : 

  • इस निर्णय से स्टूडेंट्स कॉलेज की पढ़ाई को अपनी भाषा में पूरा कर सकेंगे। इससे उन्हें बेहतर तरीके से समझ में आएगा।  
  • विशेष रूप से गणित और विज्ञान जैसे विषय स्टूडेंट्स अपनी भाषा में ज्यादा बेहतर तरीके से समझ पाते हैं। इस निर्णय से स्टूडेंट्स को गणित और विज्ञान के कंसेप्ट्स समझने में आसानी होगी।  
  • हम अपने विचारों को अपनी मातृभाषा में अधिक अच्छे ढंग से व्यक्त कर पाते हैं। यूजीसी के इस निर्णय से स्टूडेंट्स एग्जाम में अपने विचारों को अपनी मातृभाषा में अधिक अच्छे से लिख सकेंगे जिससे उन्हें परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त होंगे।  

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