Essay On Zakir Hussain in Hindi: दिग्गज तबला वादक जाकिर हुसैन का 15 दिसंबर की रात अमेरिका में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। बता दें कि उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारत के सबसे प्रसिद्द तबलावादक थे। जाकिर हुसैन प्रसिद्द तबलावादक उस्ताद अल्ला रक्खा के सुपुत्र थे। जाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में सन 1988 में पद्मश्री तथा वर्ष 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। अक्सर स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में जाकिर हुसैन जैसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों के बारे में निबंध पूछ लिया जाता है। यहाँ Essay On Zakir Hussain in Hindi दिया जा रहा है।
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जाकिर हुसैन पर 100 शब्दों में निबंध (Essay On Zakir Hussain in Hindi)
यहाँ जाकिर हुसैन के बारे में 100 शब्दों में निबंध (Essay On Zakir Hussain in Hindi) दिया जा रहा है-
जाकिर हुसैन का जन्म 9 अक्टूबर 1951 को वाराणसी,उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम उस्मान खान था जो एक शास्त्रीय संगीतकार थे। इसकी माता का नाम बिमला खान था। ये भी एक प्रसिद्द शास्त्रीय संगीतकार थे। जाकिर हुसैन ने अपने जीवन में एक प्रमुख संगीतकार के रूप में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। उन्होंने भारतीय संगीत के क्षेत्र में अपने अद्वितीय कौशल और गंभीरता का परिचय दिया। उनका योगदान उन्हें संगीतकारों के सम्मान में अग्रणी स्थान पर लाया। जाकिर हुसैन एक विश्वसनीय भारतीय संगीतकार और संगीत शिक्षक थे। उन्होंने भारतीय संगीत के क्षेत्र में अन्य कलाकारों को भी प्रेरित किया। उनकी शैली को वैश्विक स्तर पर सराहना मिली। जाकिर हुसैन का योगदान संगीत में अद्वितीय है।
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जाकिर हुसैन पर 200 शब्दों में निबंध (Essay On Zakir Hussain in Hindi)
यहाँ जाकिर हुसैन के बारे में 200 शब्दों में निबंध दिया जा रहा है-
तबला वादक जाकिर हुसैन भारत के महान संगीतकारों में से एक थे। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को वाराणसी में हुआ था। उन्होंने अपने पिता, उस्ताद फदा हुसैन से तबला बजाना सीखा। उस्ताद जाकिर हुसैन भारत के एक महान तबला वादक थे। उन्हें संगीत में उनके महत्व के लिए वर्ष 1988 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
जाकिर हुसैन अपनी ताल और लय के लिए प्रसिद्द थे। उन्होंने तबला वादन में कई नई तकनीकों का भी विकास किया। इसके अलावा जाकिर हुसैन ने दुनिया भर के संगीतकारों को भी प्रभावित किया। उन्हें भारत के बाहर भारत के सबसे लोकप्रिय संगीतकारों में से एक माना जाता है।
जाकिर हुसैन की शिक्षा की बात की जाए तो उनकी स्कूली शिक्षा मुंबई के सेंट मैरी स्कूल से पूरी हुई। मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने केवल 12 वर्ष की उम्र में ही सार्वजनिक रूप से तबला बजाना शुरू कर दिया था।
जाकिर हुसैन के पिता ने उनको महज तीन साल की उम्र से ही तबले की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था। उन्होंने केवल 7 साल की उम्र में ही अपनी पहली स्टेज परफॉर्मेंस दे दी थी। पिता के सख्त और प्रेम भरे तरीके से तराशे गए जाकिर हुसैन भविष्य में भारतीय संगीत के अनमोल रत्न बनकर उभरे। जाकिर हुसैन ने तबलावादन की बारीकियों को अपने भीतर आत्मसात कर लिया था। उनकी इन्हीं खूबियों ने उन्हें भारत का सबसे बड़ा तबलावादक बना दिया।
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जाकिर हुसैन पर 500 शब्दों में निबंध
यहाँ जाकिर हुसैन के बारे में 500 शब्दों में निबंध (Essay On Zakir Hussain in Hindi) दिया जा रहा है-
प्रस्तावना
उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम सुनते ही संगीत की लय और ताल मानो जीवंत हो उठती हैं। यह नाम सिर्फ एक तबला वादक का नहीं, बल्कि संगीत की गहराई में गोता लगाने वाले सबसे बड़े कलाकार का है। जाकिर हुसैन को भारत का सबसे अच्छा तबलावादक माना जाता है। संगीत में उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण ही उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से नवाज़ा गया है।
पिता की परम्परा को आगे बढ़ाया
मुंबई में 1951 में जन्मे जाकिर हुसैन की संगीत यात्रा उनकी जन्मजात विरासत का ही विस्तार है। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा, भारतीय तबला वादन के दिग्गजों में एक थे। मात्र 3 साल की उम्र से ही नन्हें जाकिर ने पखवाज बजाना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपना पहला लाइव परफॉर्मेंस महज 7 साल की उम्र में दिया था। अपने पिता के मार्गदर्शन में जाकिर ने तबलावादन की बारीकियों को अपने भीतर समाहित कर लिया।
अतुलनीय कौशल
जाकिर की विशेषता उनकी अद्भुत तकनीक और लयबद्धता में निहित थी। उनके तेज़ और सटीक बोल, गहरे और गूंजते स्वरों और उनके जादुई सम्मोहन ने तबलावादन को एक नया आयाम दिया। जाकिर हुसैन एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और लगन से न केवल तबलावादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया बल्कि तबले को एक वैश्विक मंच भी प्रदान किया। वे नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए एक प्रेरणा हैं।
निष्कर्ष
जाकिर हुसैन एक महान कलाकार और महान व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपनी कला से भारत का नाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध किया है। वे एक ऐसे कलाकार थे जो भारतीय संगीत की पहचान को पश्चिमी देशों में भी लेकर गए। पॉप संगीत के दीवाने अमेरिका और यूरोप के देशों में जब जाकिर हुसैन अपने शो करने जाते थे तो वहां का बच्चा बच्चा उनका दीवाना हो जाता है। जाकिर हुसैन की उँगलियों से निकलती तिहाइयाँ और सूक्ष्म चिकटियाँ न केवल लय का अनुसरण करती हैं बल्कि उनकी सफलता की कहानी कहती है। जाकिर हुसैन केवल एक महान कलाकार ही नहीं बल्कि एक महान गुरु भी थे। अंत में हम यह कह सकते हैं कि जाकिर हुसैन भारतीय संगीत की दुनिया का ऐसा सितारा थे जो वैश्विक पटल पर हमेशा जगमगाता रहेगा और भारत का नाम हमेशा रोशन करता रहेगा।
जाकिर हुसैन पर 10 लाइन (10 Lines on Zakir Hussain in Hindi)
यहाँ जाकिर हुसैन पर 10 लाइन (10 Lines on Zakir Hussain in Hindi) दी जा रही हैं-
- जाकिर हुसैन का जन्म 9 अक्टूबर 1939 को वाराणसी,उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- उनके पिता का नाम उस्मान खान था जो एक शास्त्रीय संगीतकार थे।
- जाकिर हुसैन के पिता ने उनको महज तीन साल की उम्र से ही तबले की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था।
- उन्होंने केवल 7 साल की उम्र में ही अपनी लाइव परफॉर्मेंस दे दी थी।
- जाकिर हुसैन को वर्ष 1988 में पद्म भूषण पुरस्कार मिला था।
- जाकिर हुसैन को वर्ष 2002 में पद्म विभूषण मिला था।
- जाकिर हुसैन ने महान गायिका लता मंगेशकर के साथ भी काम किया है।
- जाकिर हुसैन ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई से पूरी की।
- उन्होंने अपनी कॉलेज की शिक्षा भी मुंबई से ही पूरी की।
- वे टीवी पर कई एड फिल्म्स में भी नज़र आ चुके हैं।
FAQs
उस्ताद जाकिर हुसैन भारत के नंबर 1 तबलावादक हैं।
जाकिर हुसैन को पद्म भूषण पुरस्कार वर्ष 1988 में मिला था।
जाकिर हुसैन को पद्म विभूषण पुरस्कार वर्ष 2002 में मिला था।
जाकिर हुसैन दुनिया के सबसे प्रसिद्ध तबला वादकों में से एक हैं, जिन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत और फ्यूजन शैलियों में उनके असाधारण कौशल के लिए जाना जाता है। वे प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे हैं।
जाकिर हुसैन को तबला पर उनकी महारत, भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान और समकालीन शैलियों के साथ पारंपरिक लय को मिलाने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। वह ग्रैमी पुरस्कार विजेता भी हैं और उन्होंने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों कलाकारों के साथ सहयोग किया है।
जाकिर हुसैन ने पद्म श्री (1988), पद्म भूषण (2002) और प्लैनेट ड्रम के लिए ग्रैमी पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं।
ज़ाकिर हुसैन ने जॉन मैकलॉघलिन (बैंड शक्ति में) और मिकी हार्ट जैसे कलाकारों के साथ सहयोग करके फ्यूजन संगीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय लय को जैज़, विश्व संगीत और अन्य समकालीन शैलियों के साथ जोड़ा है।
उनके वादन को जटिल लय, सटीकता, गति और गहरी भावनाओं को जगाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। वह तबले को उसके पारंपरिक सार को बनाए रखते हुए विभिन्न संगीत शैलियों के लिए अभिनव रूप से अनुकूलित करते हैं।
ज़ाकिर हुसैन ने जॉन मैकलॉघलिन (बैंड शक्ति में) और मिकी हार्ट जैसे कलाकारों के साथ सहयोग करके फ्यूजन संगीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय लय को जैज़, विश्व संगीत और अन्य समकालीन शैलियों के साथ जोड़ा है।
उनके वादन को जटिल लय, सटीकता, गति और गहरी भावनाओं को जगाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। वह तबले को उसके पारंपरिक सार को बनाए रखते हुए विभिन्न संगीत शैलियों के लिए अभिनव रूप से अनुकूलित करते हैं।
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