Essay on Climate Change in Hindi : जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी समस्यओं में से एक बन गया है। इससे होने वाले प्रभावों को अब साफ देखा जा सकता है। जलवायु परिवर्तन से कई देशों के डूबने की संभावना है, तो कई जगहों पर पीने के पानी की कमी हो गई है। इस समस्या से बचने के लिए यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP) या कहे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा 1988 में स्थापित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र का एक निकाय है। जिसमें 195 मेंबर देश हैं। जलवायु परिवर्तन पर नेशनल एक्शन प्लान या ये कहे की राष्ट्रीय कार्ययोजना का शुभारंभ वर्ष 2008 में किया गया था। कई बार छात्रों को स्कूल में इस विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। तो चलिए इस Essay on Climate Change in Hindi ब्लॉग के जरिये जानते है इसके बारे में कुछ अहम बातें।
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जलवायु परिवर्तन पर 100 शब्दों में निबंध
जलवायु परिवर्तन हम सभी के जीवन को परवर्तित करता है। जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर जलवायु परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। इसके लिए कई आंतरिक और बाहरी चीजे जिम्मेदार हैं, जैसे कि सौर विकिरण, पृथ्वी की कक्षा में बदलाव, ज्वालामुखी विस्फोट, प्लेट टेक्टोनिक्स आदि।
जलवायु में ज्यादा परिवर्तन होने से मौसम खराब हो सकता है, पानी की कमी हो सकती है, कृषि उत्पादन कम हो सकता है और इससे लोगों की आजीविका चलाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। स्वच्छ हवा में सांस लेने और शुद्ध पानी पीने के लिए, आपको हम सभी को गतिविधि को सीमित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन पर 200 शब्दों में निबंध
समय के साथ पृथ्वी की जलवायु में काफी बदलाव आता रहता है। जिसमें से कुछ बदलाव प्राकृतिक से होता है, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, जंगल की आग आदि के कारण और कई बदलाव ह्यूमन एक्टिविटीज के कारण हुए हैं। जीवाश्म ईंधन का जलना, पशुओं को पालना और कई ह्यूमन एक्टिविटीज ग्रीनहाउस गैसों की एक महत्वपूर्ण मात्रा का उत्पादन भी करती हैं। इसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग में अधिकता होती है जोकि जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारण हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण
- वनों की कटाई
- जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग
- जल और मृदा प्रदूषण
- प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट
- वन्यजीव और प्रकृति विलुप्ति
जलवायु परिवर्तन के नतीजे
अगर जलवायु में परिवर्तन इसी तरह से होता रहा, तो एक दिन पृथ्वी पर जीवन इससे बहुत प्रभावित होगा। जैसे देखा जा रहा है की पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है, मानसून में बदलाव देखने को मिलेगा, समुद्र का लेवल बढ़ेगा, जिससे कई बार तूफान, ज्वालामुखी विस्फोट प्राकृतिक आपदाएँ अधिक होंगी। पृथ्वी पर जैविक और पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ जाएगा। हम सभी को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को कम करने के लिए प्राकृतिक पर्यावरण रक्षा और संरक्षण के लिए उपायों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता लाने की आवश्यकता है।
जलवायु परिवर्तन पर 500 शब्दों में निबंध
कब हुई जलवायु परिवर्तन की शुरुआत
देशों में औद्योगिक क्रांति के साथ ही जलवायु परिवर्तन होने वाले संकेतों को देखा जा सकता हैं। जिस तेजी के साथ लोग बड़े पैमाने पर चीजों का उत्पादन करते थे, उसके लिए काफी मात्रा में कच्चे माल की आवश्यकता होती थी। चूंकि कच्चे माल को अब तैयार उत्पादों में बदला जा रहा है, इसलिए लाभ की बहुत बड़ी संभावना है, इसलिए ये व्यवसाय मॉडल दुनिया भर में तेजी से फैल गए हैं। कंपनी के उत्सर्जन और अपशिष्ट निपटान के परिणामस्वरूप पर्यावरण में खतरनाक पदार्थ और रसायन जमा हो जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन वैसे तो एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन मानव द्वारा किए निर्माण और प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन में उसकी स्थती पहले नंबर पर आ गई है। जलवायु परिवर्तन में बढ़ती जनसंख्या भी एक बड़ा कारक है। जनसंख्या की वृद्धि के परिणामस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का अधिक से अधिक दोहन हो रहा है, जिससे सीमित मात्रा में उपलब्ध संसाधनों पर जरूरत से ज्यादा बोझ पड़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारक
कृषि : फसल उगाने और पशुधन पालने से भी कई तरह की ग्रीनहाउस गैसें निकलती है जो वायुमंडल में प्रभावित करता है । उदाहरण के लिए, जानवर मीथेन बनाते हैं, जो एक ग्रीनहाउस गैस है जो कार्बन डाइऑक्साइड से 30 गुना अधिक शक्तिशाली है। खाद और उर्वरकों में इस्तेमाल होने वाला नाइट्रस ऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 300 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।
सौर विकिरण : पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करने में सूर्य का भी बड़ा योगदान है। सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा पृथ्वी को भी प्रभावित करती है। यह ऊर्जा हवाओं, समुद्री धाराओं आदि द्वारा दुनिया भर में फैलती है जो कि जलवायु को प्रभावित करती है।
वनों की कटाई : वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड पेड़ों द्वारा संग्रहीत की जाती है। लगातार तेजी से कटते वनों के कराण कार्बन डाइऑक्साइड अधिक तेजी से बनता है, क्योंकि इसे अवशोषित करने के लिए पेड़ नहीं होते हैं। इसके अतिरिक्त, जब हम उन्हें जलाते हैं तो पेड़ द्वारा संग्रहीत कार्बन को भी वातावरण में और फैलता है जो जलवायु को प्रभावित करता है।
जलवायु परिवर्तन को कैसे रोकें
हम सभी को जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह हमारे ग्रह पर संसाधनों और जीवन को प्रभावित कर रहा है। हम नीचे दी गई कुछ टिप्स से जलवायु परिवर्तन को रोक सकते हैं।
- देश में लोगों में जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता को बढ़ाना।
- वनों की कटाई और पेड़ों की कटाई को रोकना।
- आसपास का वातावरण को शुद्ध और साफ-सुथरा रखना।
- जितना हो सके रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से बचें।
- जगह-जगह हो रही पानी और कई प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी पर रोक लगाना।
- वृक्षारोपण करना और जानवरों की रक्षा करें।
- प्लास्टिक चीजों का कम से कम उपयोग करना।
- खाद्यपदार्थों को उपयोग में लाना।
जलवायु परिवर्तन पर नेशनल एक्शन प्लान
इस राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना के लिए 8 मिशन शामिल है-
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- राष्ट्रीय जल मिशन
- हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन
- सुस्थिर कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन
- सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन
- विकसित ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन
- सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन
- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन
शहरों के बसने के बाद और औद्योगिकीकरण की वजह से लोगों के जीवन को जीने के तौर-तरीकों में बहुत अधिक परिवर्तन देखने को मिलता है। विश्व भर में सड़कों पर वाहनों की संख्या बहुत अधिक होती जा रही है। जीवन शैली में परिवर्तन ने खतरनाक गैसों के उत्सर्जन में काफी अधिक योगदान दिया है।
FAQs
10वाँ स्थान।
अक्षांश, ऊंचाई, राहत, धाराएं, हवाएं और समुद्र से दूरी।
दो भागों में।
अक्षांश और पानी से दूरी हैं।
आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Climate Change in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।