Essay On Bribe in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं रिश्वत की समस्या पर निबंध  

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Essay On Bribe in Hindi

समय के साथ दुनिया बदल रही है और लोगों की नैतिकता खत्म होती जा रही है। वर्तमान समय में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी इतनी आम हो गई है कि बहुत से लोग उन्हें अनदेखा कर देते हैं। रिश्वत का मतलब है अवैध रूप से काम करवाने या किसी काम को करवाने के लिए पैसे, सामान या वस्तुएँ देना है। ज़्यादातर लोग रिश्वतखोरी के खिलाफ़ हैं, फिर भी बहुत से लोग किसी न किसी तरह से इसमें भाग लेते हैं। रिश्वत एक ऐसी समस्या है जो लोगों में नैतिकता को खत्म करती है। इसके बारे में छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए कई बार उन्हें Essay On Bribe in Hindi लिखने के लिए दिया जाता है। आपकी मदद के लिए Essay On Bribe in Hindi के कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं।

रिश्वत पर 100 शब्दों में निबंध

अगर कोई व्यक्ति किसी को ऐसा काम करने के लिए पैसे देता है जो काम सामान्य परिस्थिति में आसानी से नहीं किया जाता है, तो इसे रिश्वत माना जाता है। रिश्वत लोगों के द्वारा अपने लाभ के लिए अनुचित रूप से दी या ली जाती है। रिश्वत को किसी भी रूप में दिया जा सकता है यह गहने, संपत्ति या किसी अन्य लाभ के रूप में भी दी जा सकती है। उदाहरण के लिए देखें तो यदि किसी ठेकेदार के द्वारा ठेका प्राप्त करने के लिए किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत के रूप में पैसे दिए जा सकते हैं। कभी-कभी रिश्वत किसी भ्रष्ट अधिकारी के द्वारा सिर्फ अपने नियमित काम को करने के लिए भी ली जा सकती है। रिश्वत लेने या देने से बहुत बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार होता है। रिश्वत की वजह से ही लोगों का सरकार और कानून की सभी व्यवस्थाओं से भरोसा उठ जाता है। गरीब और कम शिक्षा वाले लोग रिश्वत से सबसे अधिक परेशान होते हैं। बड़े स्तर पर रिश्वत देश की आर्थिक वृद्धि को धीमा कर देती हैं। 

रिश्वत पर 200 शब्दों में निबंध

रिश्वत किसी व्यक्ति को उसके पक्ष में काम करने के लिए प्रभावित करने के लिए दी जाने वाली धनराशि या अन्य मूल्यवान वस्तुएँ होती हैं। रिश्वत पैसे, मूल्यवान वस्तुओं या अन्य लाभों के रूप में हो सकती है। रिश्वत के माध्यम से प्राप्त किए जाने वाले लाभ अवैध लाइसेंस प्राप्त करने, सज़ा से बचने या पदोन्नति या स्थानांतरण में अनुचित लाभ प्राप्त करने से लेकर हो सकते हैं।

रिश्वत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। देखा जाए तो भ्रष्टाचार रिश्वत का ही परिणाम होता है। दोनों एक दूसरे से बहुत करीब से जुड़े हुए हैं जहाँ भी रिश्वत है, वहाँ भ्रष्टाचार भी है। रिश्वत देना या लेना भ्रष्टाचार का एक मुख्य तत्व होता है। जब भ्रष्टाचार होता है, तो रिश्वत उसमें शामिल होती है।

रिश्वत में अक्सर दो पक्षों के बीच अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए एक समझौता शामिल होता है। इस प्रकार की मिलीभगत देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाती है। रिश्वत व्यापक भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है, जो सरकार और जनता दोनों के लिए एक आम बात हो जाती है। लोग यह मानने लगते हैं कि कुछ भी करवाने के लिए, उन्हें सरकारी अधिकारियों को भुगतान करना होगा। बदले में ये अधिकारी खुलेआम रिश्वत माँगते हैं, जिससे और भी अधिक भ्रष्टाचार होता है। यह चक्र तब तक राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालता रहेगा जब तक कि रिश्वतखोरी के खिलाफ़ कड़े कानून लागू नहीं किए जाते। सरकार और अन्य एजेंसियों को रिश्वतखोरी के मामलों के बारे में सतर्क रहने की आवश्यकता है। सभी को इस बात से अवगत कराया जाना चाहिए कि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार राष्ट्र के विकास और वृद्धि को कैसे गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकते हैं।

रिश्वत पर 500 शब्दों में निबंध

रिश्वत पर 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है –

प्रस्तावना

आसान शब्दों में समझे तो रिश्वत एक प्रकार की धनराशि मूल्यवान वस्तु हो सकती है जो किसी व्यक्ति से अवैद्य कार्य करवाने के लिए दी जाती है। यह लाभ उस व्यक्ति को दिया जाता है जिससे किसी अनैतिक कार्य को करवाना हो। रिश्वत लेने या देने अक्सर अवैध या अनैतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं। रिश्वत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है क्योंकि इसमें लोग अपनी भलाई के लिए कानून को दरकिनार कर अपने स्वार्थ के लिए कार्य करते हैं। वर्तमान समय में रिश्वतखोरी समाज में एक बढ़ती हुई समस्या है। रिश्वतखोरी की वजह से जनता का सरकारी ढ़ांचे के प्रति विश्वास भी कम होता जा रहा है। इस समस्या से कई लोग अनुचित रूप से लाभ प्राप्त करने के लिए कानून से बचने और अनुचित लाभ के लिए कीमती समान और पैसे देने ले लिए तैयार हो जाते हैं। रिश्वत लेने और देने से शासन कमजोर होता है और सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को जन्म होता है। रिश्वत की समस्या जनता के विश्वास को खत्म करती है और राष्ट्र के विकास और प्रगति में बाधा डालती है।

रिश्वत के कारण

रिश्वत लेने और देने के समय समुदाय के बीच में नैतिक मूल्यों में गिरावट भी आती है। रिश्वत की वजह से लोगों में बेईमानी और लालच को बढ़ावा मिलता है। बड़ी संख्या में लोग रिश्वत लेते या देते हैं तो वह अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इस कार्य को करते हैं। बड़ी संख्या में रिश्वत लेने या देने वाले लोग न्याय की भी अवहेलना कर करते हैं। रिश्वत लेने की वजह से लोगों में नैतिक मूल्यों की कमी आ जाती है और एक ऐसा वातावरण बनता है जहां पर सभी लोग एक दूसरे से धोखाधड़ी करते हैं और समाज भ्रष्ट हो जाता है। समय के साथ रिश्वत लेने और देने से समाज के नैतिक मूल्य में कमी आती है और यह आम बात हो जाती है। रिश्वतखोरी की समस्या की वजह से कानून के प्रति लोगों में सम्मान की कमी आ जाती है। 

रिश्वतखोरी की समस्या सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ाती है। रिश्वत की वजह से कानून की व्यवस्था कमजोर होती है। एक कमजोर न्याय व्यवस्था में अवैध गतिविधियों पर लगाम नहीं लग पाती है। जब रिश्वत की समस्या अधिक मात्रा में होती है तो इससे कई संस्थाएं भ्रष्ट हो जाती है। संस्थाओं के कार्य पर भी प्रभाव पड़ता है और आम जनता का उनमें समय के साथ भरोसा काम हो जाता है। जैसे-जैसे रिश्वतखोरी की समस्या बढ़ती है यह भ्रष्टाचार, कानून के शासन को कमजोर और समाज के काम में बाधा डालती है। 

रिश्वत की वजह से लोगों में लालच और स्वार्थ की भावना भी बढ़ जाती है। जब कोई व्यक्ति रिश्वत लेता या देता है तो वह न्याय की अवहेलना करते हुए सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही कार्य करता है। लोगों में भ्रष्ट आचरण एक ऐसे समाज को बढ़ावा देता है जहां इस प्रकार के कार्य आम बात हो जाते हैं। इससे सामाजिक मूल्यों में कमी आ जाती है। रिश्वतखोरी से समाज की भलाई को नुकसान पहुँचता है।

समाज पर प्रभाव

रिश्वत सीधे तौर पर लोगों के विश्वास को खत्म करके बेईमानी की संस्कृति को बढ़ावा देती है। इससे समाज का सरकारी संस्थाओं के प्रति विश्वास कम होता है और कानून भी कमजोर होता है। रिश्वतखोरी की वजह से समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोगों में अनैतिक व्यवहार, आर्थिक असमानता और सरकार के प्रति भरोसे की कमी आम बात हो जाती है। यह लोगों के बीच अशांति को भी जन्म देती है। जैसे-जैसे रिश्वतखोरी बढ़ती है इससे देश में होने वाले निवेश को भी नुकसान होता है। इसकी वजह से सरकारी संसाधनों का गलत आवंटन किया जाता है और सामाजिक तथा आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। रिश्वतखोरी की वजह से ही परियोजनाओं में देरी होती है और उनमें गुणवत्ता की कमी होती है। इससे लोगों में कार्य के प्रति उत्पादकता कम हो जाती है भ्रष्टाचार के माहौल को बढ़ावा मिलता है। लंबे समय से हो रही रिश्वतखोरी की समस्याओं से देश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है जिससे देश की प्रगति में समय लगता है। 

रिश्वतखोरी की वजह से न्याय और समानता का भी ह्रास होता है। रिश्वतखोरी की वजह से अधिक संसाधन या धन वाले व्यक्ति कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर अनैतिक कार्यों से लाभ प्राप्त करते हैं। इससे समाज में निष्पक्षता के सिद्धांत में भी कमी आती है। अधिकतर निर्णय योग्यता या कानून के आधार पर न होकर रिश्वत के आधार पर होते हैं। रिश्वतखोरी की समस्या की वजह से ही शक्तिशाली लोग अनैतिक रूप से कार्यों के परिणाम में हेर फेर कर सकते हैं। इन कार्यों की वजह से समाज के लोगों में असमानताएं और अधिक बढ़ जाती है और जनता का न्याय और सरकार के प्रति सम्मान कम होता जाता है। 

रिश्वत की वजह से गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के ऊपर सीधा प्रभाव पड़ता है। रिश्वतखोरी की समस्या की वजह से अक्सर वे लोग बुनियादी सेवाओं और अपने अधिकार क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाते हैं। इन समस्याओं की वजह से अमीर व्यक्ति गरीबों की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त कर पाते हैं। इनके परिणाम स्वरुप रिश्वत गरीबों को और अधिक बढ़ा देती है और सामाजिक गतिशीलता पर भी असर डालती है। 

रिश्वत के दुष्परिणाम

रिश्वतखोरी की वजह से निर्णय लेने की प्रक्रिया भ्रष्ट हो जाती है। इसकी वजह से अधिकारियों में धीरे-धीरे ईमानदारी खत्म हो जाती है। रिश्वत की वजह से कई बार निर्णय भी प्रभावित होते हैं इससे लोगों में अनुचित व्यवहार और अकुशलता की समस्या बढ़ती है। रिश्वत की वजह से शासन का लोगों पर प्रभाव कम हो जाता है। रिश्वत की वजह से नीतियों और संसाधनों का आवंटन गलत रूप में कि जाता है। इनका आवंटन योग्यता के बजाय व्यक्तिगत लाभ के आधार पर किया जाता है। इस वजह से रिश्वयात शासन और प्रशासन में गिरावट का कारण बनती है।

रिश्वत के कारण संस्थाओं और उनकी निष्पक्षता भी कम हो जाता है। इस समस्या से जनता के बीच सरकार से भरोसा उठ जाता है। लोग रिश्वत को देखने से ऐसा महसूस करते हैं कि व्यवस्था भ्रष्ट और पक्षपाती होती जा रही है। इस कारण से वे सरकारी संस्थाओं और अधिकारियों पर कम भरोसा करते हैं। रिश्वत की वजह से सरकारी संस्थाओं को प्रभावी ढंग से काम करने में बाधा आती है। समय के साथ भरोसा टूटने से लोगों में निराशा पैदा हो सकती है।

समय के साथ रिश्वत की समस्या लोगों में आम बात हो जाती है। लोग इस अनैतिक व्यवहार को स्वीकार कर लेते हैं। अपना काम होने के लाभ के कारण लोग आसानी से रिश्वत देने के लिए तैयार हो जाते हैं, इसके परिणाम में भ्रष्टाचार का वातावरण चलता रहा है। इस भ्रष्टाचार के कारण संस्थागत अखंडता कमजोर होती है। इसकी वजह से कानूनी और नियामक ढांचा कमजोर होता है। 

रिश्वतखोरी रोकथाम के उपाय

रिश्वतखोरी को कम करने के लिए सख्त कानून लागू करना बहुत आवश्यक है। रिश्वत विरोधी कानून लागू करने और पकड़े जाने पर दंड को बढ़ाया जाना चाहिए। सरकारी काम काज में कठोर निगरानी, पारदर्शी जांच प्रक्रिया और अपराधियों के खिलाफ कड़ी करवाई की जानी चाहिए। इसके लिए स्वतंत्र भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियां को स्थापना की आवश्यकता है जो रिश्वत के खिलाफ कड़े कदम उठा सके। लोगों में रिश्वत के दुष्परिणामों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। 

रिश्वत के प्रति रोकथाम के उपायों में शिक्षा और नैतिकता को बढ़ावा देना भी शामिल हो सकता है। छात्रों को रिश्वत के नकारात्मक प्रभावों के प्रति शिक्षित करने और कम उम्र से ही नैतिक मूल्यों को सिखाना आवश्यक है। शिक्षण संस्थाओं में उनके पाठ्यक्रम, पेशेवर प्रशिक्षण और जन जागरूकता अभियानों में इसके लिए जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। 

जागरूकता अभियानों में सरकार और लोगों दोनों की बराबर भागीदारी होना आवश्यक है। जागरूकता अभियान बड़े स्तर जनता को रिश्वत देने के खतरों और परिणामों के बारे में शिक्षित करते हैं। लोगों को इस बारे में भी जागरूक करना चाहिए जब वे किसी भी प्रकार के भ्रष्ट आचरण को देखें तो उसकी शिकायत करें। आम जनता को सरकार के साथ निगरानी और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं शामिल किया जाना चाहिए। 

उपसंहार 

रिश्वत के खिलाफ एकजुटता एक नैतिक समाज को बढ़ावा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में लोगों को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। इसके लिए हम जवाबदेही और नैतिक व्यवहार को बढ़ावा दे सकते हैं। रिश्वत के खिलाफ प्रयासों में कड़े कानून, प्रभावी प्रवर्तन, सार्वजनिक शिक्षा और आम जनता भागीदारी शामिल होनी चाहिए। रिश्वत से बचने के लिए ईमानदारी, पारदर्शिता और निष्पक्षता की संस्कृति बनानी आवश्यक है। रिश्वत को खत्म करके यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति एक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज में योगदान दे सके और उससे लाभ उठा सके।

रिश्वत पर 10 लाइन 

रिश्वत पर 10 लाइन नीचे दी गई है –

  • रिश्वत किसी व्यक्ति के कार्यों को अनुचित तरीके से प्रभावित करने के लिए दी जाने वाली धनराशि या मूल्यवान वस्तु है।
  • इसका उपयोग अक्सर पक्षपात करने, नियमों को दरकिनार करने या अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  • रिश्वत सार्वजनिक और निजी संस्थानों की अखंडता को कमजोर करती है।
  • यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है, शासन और कानूनी प्रणालियों में विश्वास को खत्म करती है।
  • रिश्वतखोरी की प्रथा असमानता और सामाजिक अन्याय को कायम रख सकती है।
  • रिश्वत विभिन्न रूपों में दी जा सकती है, जिसमें नकद, उपहार या सेवाएँ शामिल हैं।
  • रिश्वत देना और लेना दोनों ही अवैध और अनैतिक माने जाते हैं।
  • रिश्वत के परिणामस्वरूप अक्सर संसाधनों का गलत आवंटन और अक्षमताएँ होती हैं।
  • प्रभावी रिश्वत विरोधी उपायों में सख्त कानून, सतर्क प्रवर्तन और सार्वजनिक जागरूकता शामिल हैं।
  • रिश्वतखोरी का मुकाबला करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना शामिल है।

FAQs

भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या उपाय हैं?

भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को दंडित करने के कानूनों को नियमित रूप से लागू किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के मामलों को मीडिया में उजागर किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिलेगी। कार्यस्थल पर कैमरे लगाने से लोगों को भ्रष्ट आचरण से हतोत्साहित किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार का सही अर्थ क्या है?

वे ऐसा कुछ करते हैं जो किसी सरकारी अधिकारी की शक्तियों के ईमानदार या निष्पक्ष प्रयोग या आधिकारिक कर्तव्यों के पालन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। (कोई भी व्यक्ति इस प्रकार के भ्रष्ट आचरण में शामिल हो सकता है, भले ही वह स्वयं सरकारी अधिकारी न हो।)

भ्रष्ट लोगों से कैसे निपटें?

खुलकर बोलने और शिकायत करने से निम्नलिखित में मदद मिलती है: भ्रष्ट गतिविधियों और जोखिमों को उजागर करना। सार्वजनिक क्षेत्र को ईमानदार, पारदर्शी और जवाबदेह बनाए रखना। बेईमान प्रथाओं को रोकना।

भ्रष्टाचार अच्छा है या बुरा?

भ्रष्टाचार की कीमत यह है कि यह सतत आर्थिक विकास में बाधा डालता है। शैक्षणिक संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार स्थायी भ्रष्ट पदानुक्रम के निर्माण की ओर ले जाता है।

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