दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का अर्थ (Daal Bhaat Mein Musal Chand Muhavare Ka Arth) होता है बीच में दखल देने वाला, वह व्यक्ति जो हर बात में बीच में रोक-टोक करे, तो उसके लिए दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग और इसकी व्याख्या के बारे में जानेगें।
मुहावरे किसे कहते हैं?
मुहावरे और उनके अर्थ – किसी विशेष शब्द के अर्थ को आम जन की भाषा में समझाने के लिए जिस वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है उसे मुहावरा कहते हैं। इसमें वाक्यांश का सीधा सीधा अर्थ न लेकर बात को घुमा फिराकर कहा जाता है। इसमें भाषा को थोड़ा मजाकिया, प्रभावशाली और संक्षिप्त रूप में कहा जाता है।
दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का अर्थ क्या है?
दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का अर्थ (Daal Bhaat Mein Musal Chand Muhavare Ka Arth) होता है बीच में दखल देने वाला, वह व्यक्ति जो हर बात में बीच में रोक-टोक करे।
दाल भात में मूसलचंद पर व्याख्या
इस मुहावरे में “दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का अर्थ” है की बीच में दखल देने वाला। इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति हर बात में बीच में रोक-टोक करे और बिना मतलब के किसी और की बात में दखल दे।
दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का वाक्य प्रयोग
दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का वाक्य में प्रयोग निम्नलिखित है :
- शिवम हर जगह दाल-भात में मूसलचन्द की तरह आ जाता है।
- साक्षी के अंदर हमेशा से ही दाल भात में मूसलचंद वाली आदत रही है।
- रोहन को किरन जैसे ही बात करने लगे, उनके दोस्त दाल भात में मूसलचंद बनके आ गए।
- सुनाली अपने पति से बहुत परेशान हो चुकी है क्योंकि उसका पति हमेशा उसके काम में दाल भात में मूसलचंद की तरह आ जाता है।
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आशा है कि दाल भात में मूसलचंद मुहावरे का अर्थ (Daal Bhaat Mein Musal Chand Muhavare Ka Arth) आपको समझ आया होगा। हिंदी मुहावरे के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।