प्राचीन भारत में कई महत्वपूर्ण साम्राज्य विकसित हुए जिनमें से एक मौर्य साम्राज्य भी था जो चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित किया गया था। मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण राजवंश था जिसका पूरी दुनियाभर में नाम प्रसिद्ध था। इसी वंश के दूसरे शासक थे बिन्दुसार जो चंद्रगुप्त मौर्य के इकलौते पुत्र थे। इस ब्लॉग में, हम बिन्दुसार के जीवन और इतिहास के बारे में विस्तार से बताएंगे। इसके साथ ही इस ब्लॉग में आपको मौर्य साम्राज्य में बिन्दुसार के महत्वपूर्ण योगदान और उनके प्रभाव के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाएगी।
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बिन्दुसार का जीवन परिचय व इतिहास
इतिहास में बिन्दुसार का जीवन विस्तृत रूप से वर्णित नहीं है। उनके बारे में जितनी भी जानकारी है वह सैकड़ों वर्ष के अवशेषों से प्राप्त है। तो आईये जानते हैं इतिहास के मौजूद उसी जानकारी के बारे में।
बिन्दुसार मौर्य, मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक और इसी साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे जिनका जन्म लगभग 320 ईस्वी पूर्व में पाटलिपुत्र मे हुआ था। वह अपने पिता चंद्रगुप्त मौर्य और माता दुर्धरा के इकलौते जीवित संतान थे क्योंकि उनके बड़े भाई केशनाक की जन्म लेते ही मृत्यु हो गयी थी। वहीं जब बिन्दुसार अपनी माता की कोख में थे तब उनकी माता का भी देहांत हो गया था। परंतु बिन्दुसार को आचार्य चाणक्य ने किसी तरीके से बचा लिया।
इसके पीछे भी एक कहानी है आचार्य चाणक्य रोजाना चंद्रगुप्त के भोजन में थोड़ा सा जहर मिला देते थे ताकि समय के साथ उनके शरीर में विषरोधी इम्यूनिटी विकसित हो जाये और उनके प्राणों को किसी भी तरह से हानि न पहुंचे। इस तरह एक दिन चंद्रगुप्त का भोजन उनकी गर्भवती पत्नी दुर्धरा ने खा लिया। जब तक आचार्य चाणक्य को यह बात पता चली तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जहर खाने से दुर्धरा की मृत्यु हो गयी थी लेकिन उस समय बिन्दुसार पेट में ही था। उस समय चाणक्य ने दुर्धरा के पेट को चीर के गर्भ से बच्चे को निकाल तो लिया परंतु तब तक बच्चे के सिर में जहर की कुछ बूंदें पहुंच चुकी थी। ऐसे में आचार्य ने अपनी सूजबूझ से बच्चे को जहर से मुक्त कर बच्चे को बचा लिया। ऐसा कहा जाता है कि इस जहर की बूंद की वजह से ही आचार्य ने इस बच्चे का नाम बिन्दुसार रखा।
उसके बाद बिन्दुसार का पालन पोषण शाही दासियों द्वारा किया गया। वह अपने पिता की तरह एक योग्य सम्राट बन गया और 16 महिलाओं से विवाह किया जिनमें से उनके 101 पुत्र हुए। उन्ही पुत्रों में से अशोक, विताशोक और सुसीम का नाम प्रचलित रहा है।
पूरा नाम | बिन्दुसार मौर्य |
जन्म | 320 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र |
माता | दुर्धरा |
पिता | चंद्रगुप्त मौर्य |
पत्नी | सुभद्रांगी और 15 अन्य |
पुत्र | अशोक, विताशोक, सुसीम और 98 अन्य |
गुरु | आचार्य चाणक्य |
साम्राज्य | मौर्य साम्राज्य |
शासनकाल | 297 ईसा पूर्व से 273 ईसा पूर्व तक (27 वर्ष) |
मृत्यु | 273 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र |
उत्तराधिकारी | सम्राट अशोक मौर्य |
बिन्दुसार के विभिन्न नाम
उन्हें विभिन्न नामों से भी जाना जाता था, जिनमें से प्रत्येक का अपना एक अलग अर्थ और महत्व है। नीचे हमने बिन्दुसार के विभिन्न नामों के बारे में बताया है-
- अमित्रघात – यह नाम उनके सबसे आम नामों में से था, जिसका संस्कृत में अर्थ होता है “दुश्मनों का हत्यारा”। संभवतः यह नाम मौर्य साम्राज्य के विस्तार में उनकी सफलता को दर्शाने के लिए दिया गया था।
- अमित्रोचेट्स – स्ट्रैबो और एथेनियस जैसे यूनानी लेखकों द्वारा सम्राट बिन्दुसार को अमित्रोचेट्स नाम की उपाधि दी गई। यह संस्कृत भाषा के शब्द ‘अमित्रघट’ से लिया गया है जिसका का अर्थ होता है- ‘शत्रुनाशक’
- वरिसर – भागवत पुराण में उनका उल्लेख वरिसार या वरिकारा नाम से किया गया है।
- भद्रसार – वायु पुराण शासक को भद्रसार नाम से बुलाया जाता था, जिसका संस्कृत अर्थ है “शुभ” या “धन्य”।
- नंदसार – वायु पुराण में इनका दूसरा नाम नंदसार बताया गया है।
- देवानामप्रिय – उनके पिता चन्द्रगुप्त मौर्य की तरह, उन्हें भी देवानामप्रिय की उपाधि दी गई, जिसका संस्कृत में अर्थ है “देवताओं का प्रिय”।
बिन्दुसार का शासनकाल
कुछ सालों बाद चंद्रगुप्त की भी मृत्यु हो गयी। अपने पिता की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य की राजगद्दी पर बैठा और 297 ईसा पूर्व से लेकर 272 ईसा पूर्व तक राज किया। अपने पिता की तरह वह भी एक कुशल सैन्य रणनीतिकार और सक्षम प्रशासक थे जिन्होंने अपने साम्राज्य का दक्षिण की ओर विस्तार किया हँलांकि इसके भी कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। बिन्दुसार का शासनकाल मौर्य साम्राज्य के लिए आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि का काल था। इस तरह 25 वर्षों तक शासन करने के बाद 272 ईसा पूर्व में सम्राट की मृत्यु हो गई और उसके बाद उनका उत्तराधिकारी उनका पुत्र अशोक बना। भारतीय इतिहास में अशोक सबसे महान शासकों में से एक था।
मौर्य साम्राज्य का संक्षिप्त इतिहास
चाणक्य की सहायता से, चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी एक सेना खड़ी की और 322 ई.पू. मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। मौर्य साम्राज्य, प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) थी। इस साम्राज्य में चाणक्य, चंद्रगुप्त के मुख्यमंत्री थे जिनके सहयोग से चंद्रगुप्त ने धीरे धीरे साम्राज्य का और विस्तार कर दिया। मौर्य साम्राज्य में ऐसे तीन महत्वपूर्ण शासकों ने शासन किया जो अपने शासनकाल के लिए प्रसिद्ध थे। मौर्य साम्राज्य के शासकों के नाम निम्नलिखित है:
- चन्द्रगुप्त मौर्य (324/321-297 ईसा पूर्व)
- बिंदुसार (297-272 ईसा पूर्व)
- अशोका (268-232 ईसा पूर्व)
चाणक्य के प्रति बिन्दुसार की घृणा
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद आचार्य चाणक्य उनके बेटे बिंदुसार की सेवा में लगे गए। उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य की तरह बिंदुसार को भी एक सफल राजा होने का पाठ पढ़ाया। वहीं बिंदुसार भी आचार्य के सिखाए कदमों पर चलने में सफल रहा लेकिन दूसरी ओर कोई था जिसको आचार्य और बिन्दुसार की इतनी करीबी पसंद नहीं थी। वह था बिदुसार का मंत्री सुबंधु। सुबंधु, आचार्य चाणक्य को राजा से दूर कर देना चाहता था और इसके लिए उसने कई प्रत्यन किये। आखिर में एक दिन ऐसा आया जब सुबंधु ने बिन्दुसार के मन में चाणक्य के खिलाफ जहर भर ही दिया और बिंदुसार की मां की मृत्यु का आरोप आचार्य पर लगा दिया।
ऐसा करने में सुबंधु सफल हुए और धीरे-धीरे राजा ने चाणक्य के साथ अपने सभी संबंध खत्म कर लिए। इसमें चाणक्य इतना टूट गए थे कि एक दिन वे चुपचाप महल से निकल गए। उनके जाने के बाद जिस दाई ने राजा बिंदुसार की माता का ख्याल रखा था उन्होंने बिंदुसार को उनकी मां की मृत्यु का सही कारण बताया।
बिंदुसार को दाई से यह सत्य पता चलने के बाद उन्होंने आचार्य को महल में वापस लौटने को कहा लेकिन आचार्य ने लौटने से इनकार कर दिया और ताउम्र उपवास करने की ठान ली। इस तरह उन्होंने अंत में प्राण त्याग दिए। हालाँकि आचार्य चाणक्य की मौत को लेकर इतिहास के पन्नों में कई कहानियां मौजूद है जिसमे से कौन सी सही है कौन सी नहीं, ये आज तक रहस्य बना हुआ है।
बिन्दुसार की मृत्यु
कई इतिहासकारों के अनुसार चक्रवर्ती सम्राट राजा बिंदुसार ने 24 वर्षों तक पाटलिपुत्र पर राज किया तो कुछ अन्य इतिहासकारों के मुताबिक उन्होंने लगभग 27 वर्षों तक राज्य किया था। महज 53 वर्ष की उम्र में 273 ई.पू. में सम्राट बिंदुसार की मृत्यु हो गई। कुछ इतिहासकारों ने बिन्दुसार की मृत्यु तिथि 272 ईसा पूर्व निर्धारित की है। आपको बता दें कि उनकी मृत्यु का मुख्य कारण उनकी कमजोर स्वास्थ्य स्थिति थी जिसके चलते वे ज्यादा बीमार पड़ गए और उनकी मृत्यु हो गयी।
FAQs
बिन्दुसार मौर्य राजवंश के राजा चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र थे।
मौर्य वंश का सबसे महान शासक अशोक था जिसके पिता बिंदुसार थे। अशोक एक ऐसा सम्राट था जिसने 268 से 232 ईसा पूर्व तक लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया था।
अशोक के निधन के बाद, कुशासन ने 185 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बना।
बिन्दुसार के माता का नाम दुर्धरा और पिता का नाम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य था।
बिन्दुसार ने 16 महिलाओं से विवाह किए थे जिनसे उनके 101 पुत्र हुए। उन सभी पुत्रों में से अशोक, विताशोक और सुसीम का नाम प्रचलित रहा है।
आशा है कि आपको बिन्दुसार के बारे में बहुत सी जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।