भारत एक ऐसा महान देश है, जिसने अपने ऊपर अनेकों विदेशी आक्रमण सहकर भी मनावता को नहीं त्यागा। इतिहास में हुए अनेकों युद्धों में से एक बयाना का युद्ध भी था, जिसने भारतीय इतिहास में वीरता की गाथाओं को स्वर्णिम अक्षरों से लिखा। इतिहास पर नज़र डाली जाए तो हमें देखने को मिलता हैं कि विदेशी आक्रमणकारियों के हमलों ने भारत में भीषण नरसंहार किया, जिनका प्रतिकार भारत के महान शूरवीरों ने किया। इस पोस्ट के माध्यम से आप इस युद्ध, के बारे में सटीक जानकारी के साथ-साथ मातृभूमि पर मर-मिटने वाले शूरवीरों के बारे में भी जान पाएंगे।
बयाना का युद्ध किस-किस के बीच हुआ?
लोदी से मिली जीत के मद में चूर बाबर दिल्ली से लेकर आगरा तक अपना आधिपत्य स्थापित करने में सफल हुआ, जिसके चलते मेवाड़ नरेश महाराणा सांगा ने अपनी एक सयुंक्त सेना बनाई। महाराणा सांगा ने बाबर से लड़ने का निश्चय किया। मेवाड़ राज्य के प्रमुख पुरोहित की डायरी ‘मेवाड़ का संक्षिप्त इतिहास’ में इस युद्ध की संपूर्ण जानकरी मिलती है। यह युद्ध भारत के वीर सपूत महाराणा सांगा की सयुंक्त सेना और बाबर की सेना के बीच हुआ था।
बयाना का युद्ध कब हुआ था?
यह युद्ध 21 फरवरी 1527 को मेवाड़ के राणा सांगा की सयुंक्त सेना और बाबर की मुगलिया सेना के बीच हुआ था। दोनों सेनाएं बयाना नामक स्थान पर आमने-सामने थी, इसीलिए इस युद्ध को बयाना का युद्ध कहा जाता है। बाबर की मंशा थी कि वह भारत में अधिकाधिक भूमि पर अपना कब्ज़ा करे और यहाँ राज करे, बाबर की इस इच्छा का दमन करने के लिए भारतीय वीर सपूत और संपूर्ण राजपुताना महाराणा सांगा के साथ खड़ा था।
बयाना का युद्ध का मुख्य कारण क्या था?
मुगल बादशाह बाबर ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया, जिसके बाद वह भारत में अपना एक क्षत्र राज स्थापित करना चाहता था। भारत के शूरवीर योद्धा और संपूर्ण राजपुताना बाबर के इस सपने के आड़े आता था, बाबर जानता था कि अगर राजपुताने को जीतकर भारत पर अपना राज चलाना है तो उसके लिए उसे पहले मेवाड़ के राजा महाराणा सांगा को परास्त करना होगा। बयाना पर राजपूत शासकों का समृद्ध शासन था, जिसके स्थान पर बाबर खुद का झंडा बुलंद करना चाहता था। यही इस युद्ध का मुख्य कारण बना।
बयाना युद्ध का परिणाम
बाबर की क्रूरता से भारत का हर वीर योद्धा परिचित था, जिसके चलते भारत के समस्त शासक और मेवात के नवाब जैसे शासक भी महाराणा सांगा के साथ, इस युद्ध में कूद पड़े। इस भीषण युद्ध में राणा सांगा के वीर योद्धाओं ने इस प्रकार यह युद्ध लड़ा, जैसे कि रण में स्वयं महाकाल उतर आये हो। अंततः इस युद्ध में विजय श्री ने महाराणा सांगा के मस्तक पर जय का तिलक लगाया और बाबर की सेना उलटे पाव भाग खड़ी हुई।
बयाना के युद्ध से जुड़ी मुख्य बातें
बयाना के युद्ध से जुड़ी मुख्य बातों के बारे में भी जान लेना चाहिए, जो कि निम्नलिखित हैं;
- 21 फरवरी 1527 ई. में मेवाड़ नरेश राणा सांगा और मुग़ल बादशाह बाबर के बीच हुए इस युद्ध को ही बयाना के युद्ध के नाम से जाना जाता है।
- इस युद्ध की पृष्ठभूमि में बाबर का भारत पर अपना राज स्थापित करना तथा इसके विरोध में मातृभूमि के लिए प्राणों को न्योछावर करने वाले वीरों की वीरगाथाएं हैं।
- इस युद्ध में बाबर की क्रूरता को जड़ से उखाड़ फेकने के लिए महाराणा सांगा को मारवाड़ के शासक राव गांगा के पुत्र मालदेव, चन्देरी के मेदिनीराय, मेड़ता के रायमल राठौड़, सिरोही के अखैराज दूदा, डूंगरपुर के रावल उदयसिंह, सलूम्बर के रावत रतनसिंह, सादड़ी के झाला अज्जा, गोगुन्दा का झाला सज्जा, उत्तरप्रदेश के चन्दावर क्षेत्र से चन्द्रभान, माणिकचन्द चौहान और मेहंदी ख्वाजा आदि वीरों का ससैन्य समर्थन प्राप्त था।
FAQs
यह युद्ध मेवाड़ नरेश राणा सांगा और मुग़ल बादशाह बाबर के बीच हुआ था।
यह युद्ध महाराणा सांगा के वीर सैनिकों की विजय का उत्सव बनकर उभरा, इस युद्ध में बाबर की शर्मनाक हार हुई और महाराणा सांगा की जय-जयकार हुई।
इस युद्ध का मुख्य कारण बाबर की महत्वकांक्षी और विस्तारवादी नीतियां थी।
आशा है कि आपको बयाना का युद्ध, के बारे में संपूर्ण जानकारी मिली होगी। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।