Bade Bhai Sahab Class 10 नोट्स CBSE बोर्ड की NCERT बुक के अंदर हिंदी विषय में 10वां पाठ है। इस ब्लॉग के अंदर बड़े भाई साहब के पाठ्यक्रम से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी है। इस ब्लॉग में bade bhai sahab class 10 solutions के बारे में विस्तार में बताया गया है। आइए बड़े भाई साहब पाठ के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बोर्ड | CBSE |
टेक्स्टबुक | NCERT |
कक्षा | कक्षा 10 |
विषय | हिंदी स्पर्श |
चैप्टर | चैप्टर 10 |
चैप्टर नाम | बड़े भाई साहब |
हल किए गए प्रश्नों की संख्या | 50 |
श्रेणी | NCERT सॉल्यूशन |
The Blog Includes:
- मुंशी प्रेमचंद का संक्षिप परिचय
- बड़े भाई साहब कहानी का सारांश
- बड़े भाई साहब पाठ के कठिन शब्दार्थ
- बड़े भाई साहब क्लास 10 PPT
- रिक्त स्थान भरें
- बड़े भाई साहब कक्षा 10 मुहावरे
- बड़े भाई साहब प्रश्न-उत्तर
- बड़े भाई साहब कक्षा 10 अतिरिक्त प्रश्न-उतर
- बड़े भाई साहब कक्षा 10 के नोट्स
- बड़े भाई साहब कक्षा 10 पर स्पष्टीकरण आधारित प्रश्न
- Bade Bhai Sahab Class 10 के लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- MCQs
- FAQs
मुंशी प्रेमचंद का संक्षिप परिचय
- लेखक का नाम- मुंशी प्रेमचंद
- जन्म- 13 जुलाई 1880
- मृत्यु – 8 अक्टूबर 1936
हिंदी के महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म सन् 1880 में वारणसी के पास लमही नामक गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा गाँव से ही की थी। बचपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया था। इसलिए अल्प आयु में ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ पड़ी। वे दसवीं पास होने के उपरांत ही प्राइमरी स्कूल के शिक्षक बन गए। उन्होंने नौकरी करते हुए ही अपनी बी. ए की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्हें शिक्षा विभाग में सब-डिप्टी-इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल के रूप में नियुक्त किया गया।
रचनाएं – मुंशी प्रेमचंद ने 350 कहानियां और 11 उपन्यास लिखे । प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यास हैं – सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, (bade bhai sahab class 10) और गोदान। उनके दो नाटक भी है जिनका नाम ‘कर्बला’ और ‘प्रेम की वेदी’ है ।
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बड़े भाई साहब कहानी का सारांश
Bade bhai sahab class 10 का पाठ सारांश इस प्रकार है:-
लेखक 9 वर्ष का था और उसका बड़ा भाई 14 वर्ष का था। बड़ा भाई 2 साल फेल हो चुका था। इसलिए वह लेखक से केवल तीन कक्षा आगे था। लेखक हमेशा अपने भाई को किताबे खोलकर बैठा देखा करता था परंतु उसका दिमाग कहीं और होता था। वह अपनी कॉपी और किताबों पर चिड़िया कबूतर आदि बनाया करता था। लेखक का मन पढ़ाई में बहुत कम लगता था इसलिए वह मौका पाते ही हॉस्टल से निकलकर खेलने लगता था।
परंतु घर पहुंचते ही उसे बड़े भाई का रूद्र रूप देखना पड़ता था उसके सामने लेखक मौन धारण कर लेता था। वार्षिक परीक्षा हुई तब बड़े भाई साहब फिर से फेल हो गए और लेखक अपनी कक्षा में प्रथम आया। लेखक के मन में आया कि वह बड़े भाई को खूब सुनाएं लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। बड़े भाई का फेल होना देखकर वह निडर हो गया और मैदान में जाकर खेलने लगा। भाई साहब बोले कि मैं देख रहा हूं कि कक्षा में प्रथम आने पर तुम्हें घमंड हो गया है मेरे फेल होने पर ना जाओ मेरी कक्षा में पहुंचेंगे तो पता चलेगा। अगले साल बड़ा भाई फिर से फेल हो गया जबकि लेखक दर्जे में प्रथम आया।
इस साल बड़े भाई ने खूब मेहनत की फिर भी वह फेल हो गया। यह देखकर लेखक को बड़े भाई साहब पर दया आने लगी अब सिर्फ एक ही कक्षा का अंतर दोनों में रह गया था। भाई बोला मैं तुम से 5 साल बड़ा हूं। तुम मेरे तजुर्बे की बराबरी नहीं कर सकते। तुम चाहे कितनी पढ़ाई क्यों ना कर लो समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती है। हमारे दादा और अम्मा कोई अधिक पढ़े लिखे नहीं हैं। फिर भी हम पढ़े-लिखे को समझाने का हक उनका है। लेखक को बड़े भाई की यह नई युक्ति बहुत अच्छी लगी वहां उसके सामने झुक गया। उसे सचमुच अनुभव हुआ और वह बोला आपको कहने का पूरा अधिकार है बड़े भाई साहब। या सुनते ही बड़े भाई साहब और लेखक गले लग गए और दोनों हॉस्टल की और चल पड़े।
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बड़े भाई साहब पाठ के कठिन शब्दार्थ
यहाँ Bade Bhai Sahab Class 10 में कठिन शब्दार्थ नीचे दिए गए हैं-
- तालीम – शिक्षा
- आलीशान- भव्य
- निगरानी- देख रेख
- जन्म सिद्ध- जन्म से ही प्राप्त
- शालीनता – समझदारी
- मसलन- उदाहरण
- जमात- कक्षा
- कंकरिया- पत्थर के छोटे टुकड़े
- प्राण सूख जाना- बुरी तरह डर जाना
- अपराध- गलती
- मोन- चुप
- सबक – सीखना
- कसूर – गलती
- खून जलाना- कड़ी मेहनत करना
- निराशा- दुख
- टाइम टेबल- समय सारणी
- मंजूर- स्वीकार
- जानलेवा- जान के लिए खतरा
- अमल करना- पालन करना
- दबे पाव- बिना आवाज के
बड़े भाई साहब क्लास 10 PPT
यहाँ Bade Bhai Sahab Class 10 के लिए नीचे PPT दी गई है-
रिक्त स्थान भरें
Bade Bhai Sahab Class 10 के लिए नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है – सकर्मक या अकर्मक? लिखिए –
(क) उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया।_____________
उत्तर: उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया। सकर्मक
(ख) फिर चोरों-सा जीवन कटने लगा।_____________
उत्तर: फिर चोरों-सा जीवन कटने लगा। अकर्मक
(ग) शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा।_________________
उत्तर: शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा। सकर्मक
(घ) मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता ।______________
उत्तर: मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। सकर्मक
(ङ) समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो।_____________
उत्तर: समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। सकर्मक
(च) मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।_________________________
उत्तर: मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था। अकर्मक
बड़े भाई साहब कक्षा 10 मुहावरे
Bade Bhai Sahab Class 10 के मुहावरे इस प्रकार हैं:-
डर लगना
छोटी मोटी बात होना
बड़े ध्यान से पढ़ना
मेहनत की कमाई
हृदय पर भारी आघात लगना
साहस समाप्त होना
अत्यधिक परिश्रम करना
बड़े भाई साहब प्रश्न-उत्तर
उत्तर- कथा नायक की रुचि खेल-कूद, मैदानों की सुखद हरियाली, हवा के हलके-हलके झोंके, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की फुरती और पतंगबाजी, कागज़ की तितलियाँ उड़ाना, चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूदना, फाटक पर सवार होकर उसे आगे-पीछे चलाना आदि कार्यों में थी।
उत्तर- बड़े भाई छोटे भाई से हर समय एक ही सवाल पूछते थे-कहाँ थे? उसके बाद वे उसे उपदेश देने लगते थे।
उत्तर- दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि वह स्वच्छंद और घमंडी हो गया। वह यह सोचने लगा कि अब पढ़े या न पढ़े, वह पास तो हो ही जाएगा। वह बड़े भाई की सहनशीलता का अनुचित लाभ उठाकर अपना अधिक समय खेलकूद में लगाने लगा।
उत्तर- बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में 5 साल बड़े थे। वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे।
उत्तर- बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी कापी पर तो कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों और बिल्लियों के चित्र बनाते थे। कभी-कभी वे एक शब्द या वाक्य को अनेक बार लिख डालते, कभी एक शेर-शायरी की बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसी शब्द रचना करते, जो निरर्थक होती, कभी किसी आदमी को चेहरा बनाते।
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बड़े भाई साहब कक्षा 10 अतिरिक्त प्रश्न-उतर
उत्तर- छोटे भाई ने अधिक मन लगाकर पढ़ने का निश्चय कर टाइम-टेबिल बनाया, जिसमें खेलकूद के लिए कोई स्थान नहीं था। पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय उसने यह सोचा कि टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है और बनाए गए टाइम-टेबिल पर अमल करना दूसरी बात है। यह टाइम-टेबिल का पालन न कर पाया, क्योंकि मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती उसे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही वह सब कुछ भूल जाता।
उत्तर- छोटा भाई दिनभर गुल्ली-डंडा खेलकर बड़े भाई के सामने पहुँचा तो बड़े भाई ने गुस्से में उसे खूब लताड़ा। उसे घमंडी कहा और सर्वनाश होने का डर दिखाया। उसने उसकी सफलता को भी तुक्का बताया और आगे की पढ़ाई का भय दिखलाया।
उत्तर-बड़े भाई साहब बड़े होने के नाते यही चाहते और कोशिश करते थे कि वे जो कुछ भी करें, वह छोटे भाई के लिए एक उदाहरण का काम करे। उन्हें अपने नैतिक कर्तव्य का वोध था कि स्वयं अनुशासित रह कर ही वे भाई को अनुशासन में रख पाएँगे। इस आदर्श तथा गरिमामयी स्थिति को बनाए रखने के लिए उन्हें अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं।
उत्तर- बड़े भाई साहब छोटे भाई को दिन-रात पढ़ने तथा खेल-कूद में समय न गॅवाने की सलाह देते थे। वे बड़ा होने के कारण उसे राह पर चलाना अपना कर्तव्य समझते थे।
उत्तर- छोटे भाई (लेखक) ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित फ़ायदा उठाया, जिससे उसकी स्वच्छंदता बढ़ गई और उसने पढ़ना-लिखना बंद कर दिया। उसके मन में यह भावना बलवती हो गई कि वह पढ़े या न पढ़े परीक्षा में पास अवश्य हो जाएगा। इतना ही नहीं, उसने अपना सारा समय पतंगबाज़ी को ही भेंट कर दिया।
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बड़े भाई साहब कक्षा 10 के नोट्स
उत्तर- मेरे विचार में यह सच है कि अगर बड़े भाई की डाँट-फटकार छोटे भाई को न मिलती, तो वह कक्षा में कभी भी अव्वल नहीं आता। यद्यपि उसने बड़े भाई की नसीहत तथा लताड़ से कभी कोई सीख ग्रहण नहीं की, परंतु उसपर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव गहरा पड़ता था, क्योंकि छोटा भाई तो खे-प्रवृत्ति का था। बड़े भाई की डाँट-फटकार की ही भूमिका ने उसे कक्षा में प्रथम आने में सहायता की तथा उसकी चंचलता पर नियंत्रण रखा। मेरे विचार से बड़े भाई की डाँट-फटकार के कारण ही छोटा भाई कक्षा में अव्वल अता था अर्थात् बड़े भाई की डाँट-फटकार उसके लिए वरदान सिद्ध हुई।
उत्तर- एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उन्होंने रौद्र रूप धारण कर पूछा, “कहाँ थे? लेखक को मौन देखकर उन्होंने लताड़ते हुए घमंड पैदा होने तथा आगामी परीक्षा में फेल होने का भय दिखाया।
उत्तर- बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ अनुभव रूपी ज्ञान से आती है, जोकि जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उनके अनुसार पुस्तकीय ज्ञान से हर कक्षा पास करके अगली कक्षा में प्रवेश मिलता है, लेकिन यह पुस्तकीय ज्ञान अनुभव में उतारे बिना अधूरा है। दुनिया को देखने, परखने तथा बुजुर्गों के जीवन से हमें अनुभव रूपी ज्ञान को प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि यह ज्ञान हर विपरीत परिस्थिति में भी समस्या का समाधान करने से सहायक होता है। इसलिए उनके अनुसार अनुभव पढ़ाई से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है, जिससे जीवन को परखा और सँवारा जाता है तथा जीवन को समझने की समझ आती है।
उत्तर- बड़े भाई साहब छोटे भाई को-
1. खेलकूद में समय न गॅवाकर पढ़ने की सलाह देते थे।
2. अभिमान न करने की सीख देते थे।
3. अपनी बात मानने की सलाह देते थे।
वे बड़ा होने के कारण ऐसा करना अपना कर्तव्य समझते थे।
उत्तर-बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. बड़ा भाई बड़ा ही परिश्रमी था। वह दिन-रात पढ़ाई में ही जुटा रहता था इसलिए खेल-कूद, क्रिकेट मैच आदि में उसकी कोई रुचि नहीं थी।
2. वह बार-बार फेल होने के बावजूद पढ़ाई में लीन रहता था।
3. बड़ा भाई उपदेश की कला में बहुत माहिर है इसलिए वह अपने छोटे भाई को उपदेश ही देता रहता है, क्योंकि वह अपने छोटे भाई को एक नेक इंसान बनाना चाहता है।
4. वह अनुशासनप्रिय है, सिद्धांतप्रिय है, आत्मनियंत्रण करना जानता है। वह आदर्शवादी बनकर छोटे भाई के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता है।
5. बड़ा भाई अपने छोटे भाई से पाँच साल बड़ा है इसलिए वह अपने अनुभव रूपी ज्ञान को छोटे भाई को भी देता है।
उत्तर- बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। उनका मत था कि किताबी ज्ञान तो रट्टा मारने का नाम है। उसमें ऐसी-ऐसी बातें हैं जिनका जीवन से कुछ लेना-देना नहीं। इससे बुधि का विकास और जीवन की सही समझ विकसित नहीं हो पाती है। इसके विपरीत अनुभव से जीवन की सही समझ विकसित होती है। इसी अनुभव से जीवन के सुख-दुख से सरलता से पार पाया जाता है। घर का खर्च चलाना हो घर के प्रबंध करने हो या बीमारी का संकट हो, वहीं उम्र और अनुभव ही इनमें व्यक्ति की मदद करते हैं।
छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर-1. छोटे भाई का मानना है कि बड़े भाई को उसे डाँटने-डपटने का पूरा अधिकार है क्योंकि वे उससे बड़े हैं। छोटे भाई की शालीनता व सभ्यता इसी में थी कि वह उनके आदेश को कानून की तरह माने अर्थात् पूरी सावधानी व सर्तकता से उनकी बात का पालन करे।
2. भाई साहब ने छोटे भाई से कहा कि मुझे जीवन का तुमसे अधिक अनुभव है। समझ किताबी ज्ञान से नहीं आती अपितु दुनिया के अनुभव से आती है। जिस प्रकार अम्मा व दादा पढ़े लिखे नहीं है, फिर भी उन्हें संसार का अनुभव हम से अधिक है। बड़े भाई ने कहा कि यदि मैं आज अस्वस्थ हो जाऊँ, तो तुम भली प्रकार मेरी देख-रेख नहीं कर सकते। यदि दादा हों, तो वे स्थिति को सँभाल लेंगे। तुम अपने हेडमास्टर को देखो, उनके पास अनेक डिग्रियाँ हैं। उनके घर का इंतजाम उनकी बूढ़ी माँ करती हैं। इन सब उदाहरणों से स्पष्ट है कि भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव था।
3. भाई साहब ने छोटे भाई से कहा कि मैं तुमको पतंग उड़ान की मनाहीं नहीं करता। सच तो यह कि पतंग उड़ाने की मेरी भी इच्छा होती है। बड़े भाई साहब बड़े होने के नाते अपनी भावनाओं को दवा जाते हैं। एक दिन भाई साहब के ऊपर से पतंग गुजरी, भाई साहब ने अपनी लंबाई का लाभ उठाया। वे उछलकर पतंग की डोर पकड़कर हॉस्टल की ओर दौड़कर आ रहे थे, छोटा भाई भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। इन सभी बातों से यह सिद्ध होता है कि बड़े भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है, जो अनुकूल वातावरण पाकर उभर उठता है।
4. बड़े भाई साहब द्वारा छोटे भाई को यह समझाना कि किताबी ज्ञान होना एक बात है और जीवन का अनुभव दूसरी बात। तुम पढ़ाई में परीक्षा पास करके मेरे पास आ गए हो, लेकिन यह याद रखो कि मैं तुमसे बड़ा हूँ और तुम मुझसे छोटे हो। मैं तुम्हें गलत रास्ते पर रखने के लिए थप्पड़ का डर दिखा सकता हूँ या थप्पड़ मार भी सकता हूँ अर्थात् तुम्हें डाँटने का हक मुझे है।
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बड़े भाई साहब कक्षा 10 पर स्पष्टीकरण आधारित प्रश्न
Bade Bhai Sahab Class 10 के लिए निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
उत्तर-इस पंक्ति का आशय है कि इम्तिहान में पास हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि इम्तिहान तो रटकर भी पास किया जा सकता है। केवल इम्तिहान पास करने से जीवन का अनुभव प्राप्त नहीं होता और बिना अनुभव के बुधि का विकास नहीं होता। वास्तविक ज्ञान तो बुधि का विकास है, जिससे व्यक्ति जीवन को सार्थक बना सकता है।
उत्तर-लेखक खेल-कूद, सैर-सपाटे और मटरगश्ती का बड़ा प्रेमी था। उसका बड़ा भाई इन सब बातों के लिए उसे खूब डाँटता-डपटता था। उसे घुड़कियाँ देता था, तिरस्कार करता था। परंतु फिर भी वह खेल-कूद को नहीं छोड़ सकता था। वह खेलों पर जान छिड़कता था। जिस प्रकार विविध संकटों में फँसकर भी मनुष्य मोहमाया में बँधा रहता है, उसी प्रकार लेखक डाँट-फटकार सहकर भी खेल-कूद के आकर्षण से बँधा रहता था।
उत्तर-इस पंक्ति का आशय है कि जिस प्रकार मकान को मजबूत तथा टिकाऊ बनाने के लिए उसकी नींव को गहरा तथा ठोस बनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार से जीवन की नींव को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा रूपी भवन की नींव भी बहुत मज़बूत होनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना जीवन रूपी मकान पायदार नहीं बन सकता।
उत्तर-लेखक पतंग लूटने के लिए आकाश की ओर देखता हुआ दौड़ा जा रहा था। उसकी आँखें आकाश में उड़ने वाली पतंग रूपी यात्री की ओर थीं। अर्थात् उसे पतंग आकाश में उड़ने वाली दिव्य आत्मा जैसी मनोरम प्रतीत हो रही थी। वह आत्मा मानो मंद गति से झूमती हुई नीचे की ओर आ रही थी। आशय यह है कि कटी हुई पतंग धीरे-धीरे धरती की ओर गिर रही थी। लेखक को कटी पतंग इतनी अच्छी लग रही थी मानो वह कोई आत्मा हो जो स्वर्ग से मिल कर आई हो और बड़े भारी मन से किसी दूसरे के हाथों में आने के लिए धरती पर उतर रही हो।
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Bade Bhai Sahab Class 10 के लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
उत्तर-लेखक और उसके भाई साहब छात्रावास में रहकर पढ़ाई करते थे। लेखक अपने बड़े भाई से उम्र में पाँच वर्ष छोटा था। वह नौ साल का और भाई साहब चौदह वर्ष के। उम्र और अनुभव के इस अंतर के कारण उन्हें लेखक की देखभाल और डाँट-डपट का पूरा अधिकार था और उनकी बातें मानने में ही लेखक की शालीनता थी।
उत्तर-लेखक ने देखा कि बड़े भाई साहब ने अपनी पुस्तकों और कापियों के पृष्ठों और हासिये पर जानवरों की तसवीरें बना रखी हैं या ऐसे-ऐसे शब्दों का निरर्थक मेल करने का प्रयास किया है जिनसे किसी अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं होती है। लाख चेष्टा करने पर कुछ समझ न पाने के कारण लेखक के लिए यह अबूझ पहेली बनी रही। वह उम्र में छोटा होने से बड़े भाई की पहेलियों का हल कैसे ढूँढ़ सकता था।
उत्तर-भाई साहब शिक्षा को जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानते थे। ऐसे महत्त्वपूर्ण मामलों में वे जल्दबाजी करने के पक्षधर न थे। उनका मानना था कि जिस प्रकार एक मजबूत मकान बनाने के लिए मजबूत नींव की जरूरत होती है उसी प्रकार शिक्षा की नींव मजबूत बनाने के लिए वे एक-एक कक्षा में दो-दो, तीन साल लगाते थे।
उत्तर-लेखक का मन पढ़ाई के बजाए खेलकूद में अधिक लगता था। वह घंटा भर भी पढ़ाई के लिए न बैठता और मौका पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता। वह तरह-तरह के खेल खेलते हुए, दोस्तों के साथ बातें करते हुए समय। बिताया करता था। उसका ऐसा करना और पढ़ाई से दूरी भाई साहब को पसंद न था। वह जब भी खेलकर घर आता, तब उसे उनके रौद्र रूप के दर्शन हो जाया करते थे।प्रश्न 5.खेल में लौटे १ई साब लेखक का साइत किस तरह करते थे?
उत्तर-लेखक जब भी खेलकर घर लौटता तो गुस्साए भाई साहब उससे पहला सवाल यही करते, “कहाँ थे”? हर बार इसी प्रकार के प्रश्न का उत्तर लेखक भी चुप रहकर दिया था। वह अपने द्वारा बाहर खेलने की बात कह नहीं पाता। लेखक की यह चुप्पी कहती थी कि उसे अपना अपराध स्वीकार है। ऐसे में भाई साहब स्नेह और रोष भरे शब्दों में उसका स्वागत करते।
उत्तर-बड़े भाई साहब लेखक के सामने अंग्रेजी की कठिनता का भयावह चित्र खींचते हुए कहते, ”इस तरह अंग्रेज़ी पढ़ोगे तो जिंदगी भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आएगा। अंग्रेजी पढ़ना कोई हँसी-खेल नहीं है, जिसे हर कोई पढ़ ले। इसके लिए दिन-रात एक करना पड़ता है। इतने परिश्रम के बाद भी इसे शुद्ध रूप से पढ़ा और बोला नहीं जा सकता।” ऐसा कहने के पीछे भाई साहब का उद्देश्य यही था कि लेखक अधिकाधिक पढ़ाई पर ध्यान दे।
उत्तर-लेखक के बड़े भाई साहब पढ़ाई के नाम पर किताबें रटने का प्रयास करते वे रटकर परीक्षा पास करने का प्रयास करते। वे ऐसा करने के क्रम में अकसर किताबें खोले रहते और खेलकूद, मेले-तमाशे छोड़कर पढ़ते रहते थे, फिर भी परीक्षा में फेल हो गए। वे अपने उदाहरण द्वारा यह बताना चाहते थे कि यदि इतना पढ़कर भी मैं फेल हो गया तो तुम सोचो खेलने में समय गंवाने वाले तुम्हारा क्या हाल होगा।
उत्तर-पढ़ाई छोड़कर खेलकूद में समय गंवाकर लौटे लेखक को भाई-साहब खूब डाँटते-फटकारते और यह सलाह भी दे देते कि जब मैं एक दरजे में दो-तीन साल लगाता हूँ तो तुम उम्र भर एक ही दरजे में पड़े सड़ते रहोगे। इससे बेहतर है कि तुम घर जाकर गुल्ली-डंडा खेलो और दादा की गाढ़ी कमाई के पैसे बरबाद न करो। उनके इस व्यवहार को मैं उचित नहीं मानता, क्योंकि उनके विचारों में नकारात्मकता झलकती है।
उत्तर- भाई साहब द्वारा लताड़े जाने के बाद लेखक जो टाइम-टेबिल बनाता था उसमें खेल के लिए जगह नहीं होती। इस टाइम-टेबिल में प्रातः छह से आठ तक अंग्रेज़ी, आठ से नौ तक हिसाब, साढ़े नौ तक भूगोल फिर भोजन और स्कूल के बाद चार से पाँच तक भूगोल, पाँच से छह तक ग्रामर, छह से सात तक अंग्रेजी कंपोजीशन आठ से नौ अनुवाद नौ से दस तक हिंदी और दस से ग्यारह विविध विषय, फिर विश्राम।
उत्तर- लेखक का मन पढ़ाई से अधिक खेलकूद में लगता था। वह पढ़ने का निश्चय करके भले ही टाइम-टेबिल बना लेता पर इस टाइम-टेबिल पर अमल करने की जगह उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की सुखद हरियाली, हवा के झोंके, खेलकूद की मस्ती और उल्लास, कबड्डी के दाँव-पेंच और बॉलीबाल की फुरती उसे खींच ले जाती, ऐसे में उसे टाइम टेबिल और किताबों की याद नहीं रह जाती थी।
उत्तर- बड़े भाई साहब ने देखा कि उनके फेल होने और खुद के पास होने से लेखक के मन में घमंड हो गया है। उसका घमंड दूर करने के लिए उसने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण चक्रवर्ती राजा था, जिसे संसार के अन्य राजा कर देते थे। बड़े-बड़े देवता भी उसकी गुलामी करते थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे पर घमंड ने उसका भी नाश कर दिया।
उत्तर- परीक्षकों के संबंध में भाई साहब के विचार बहुत अच्छे नहीं थे। भाई साहब का कहना था कि परीक्षक इतने निर्दयी होते थे कि जामेट्री में अ ज ब लिखने की जगह अ ब ज लिखते ही अंक काटकर छात्रों का खून कर देते थे, वह भी इतनी सी व्यर्थ की बात के लिए। इन परीक्षकों को छात्रों पर दया नहीं आती थी।
उत्तर- वार्षिक परीक्षा में फेल होने के कारणों में भाई साहब परीक्षकों का दृष्टिकोण, विषयों की कठिनता और अपनी कक्षा की पढ़ाई की कठिनता का हवाला देकर लेखक को कह रहे थे कि लाख फेल हो गया हूँ, लेकिन तुमसे बड़ा हूँ, संसार का मुझे तुमसे ज्यादा अनुभव है। वे उम्र में बड़े और अधिक अनुभवी होने के आधार पर अपना बड़प्पन बनाए रखना चाहते
उत्तर- भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई को अत्यंत कठिन बताते हुए उसका जो भयंकर चित्र खींचा था, उससे लेखक भयभीत हो गया। लेखक को इस बात के लिए खुद पर आश्चर्य हो रहा था कि वह स्कूल छोड़कर घर क्यों नहीं भागा। इतने के बाद भी उसकी खेलों में रुचि और पुस्तकों में अरुचि यथावत बनी रही। वह अब कक्षा में अपमानित होने से बचने के लिए अपने टस्क पूरे करने लगा।
उत्तर- भाई साहब के अंदर भी बचपना छिपा था। इस बचपने को वे बलपूर्वक दबाकर अपनी बालसुलभ इच्छाओं का गला घोटे जा रहे थे। वे खेलने-कूदने और पतंग उड़ाने जैसा कार्य करना चाहते थे, परंतु कर्तव्य और बड़प्पन की भावना के कारण वे ऐसा नहीं कर पा रहे थे। यदि वे स्वयं खेलकूद में लग जाते तो लेखक को पढ़ने के लिए कैसे प्रेरित करते।
पाठ के दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
Bade Bhai Sahab Class 10 के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर नीचे दिए गए हैं-
उत्तर- वार्षिक परीक्षा का जब परिणाम आया तो दिन-रात किताबें खोलकर बैठे रहने वाले भाई साहब फेल हो गए और उनका छोटा भाई (लेखक) जिसका सारा समय खेलकूद को भेंट होता था और बहुत डाँट-डपट खाने के बाद थोड़ी-सी पढ़ाई कर लेता था, परीक्षा में अव्वल आ गया। लेखक जब भी बाहर से खेलकर आता तो भाई साहब रौद्र रूप धारण कर सूक्तिबाणों से उसका स्वागत करते और जी भरकर लताड़ते। अब उनके फेल होने पर लेखक के मन में यह विचार आया क्यों न वह भाई साहब को आड़े हाथों ले और पूछे कि कहाँ गई वह आपकी घोर तपस्या? मुझे देखिए, मजे से खेलता भी रहा और दरजे में अव्वल भी हूँ, पर भाई साहब की उदासी और दुख देखकर उनके घावों पर नमक छिड़कने की हिम्मत लेखक को न हुई।
उत्तर- भाई साहब पढ़ाई के प्रति घोर परिश्रम करते थे, परंतु एक-एक कक्षा में दो-दो या तीन-तीन साल लगाते थे। इसके बाद भी उनकी सहज बुद्धि बड़ी तेज़ थी। भाई साहब के फेल होने और छोटे भाई के पास होने से उसमें अभिमान की भावना बलवती हो गई। वह आज़ादी से खेलकूद में शामिल होने लगा। वह भाई साहब को मौखिक जवाब तो नहीं दे सकता था पर उसके रंग-ढंग से यह जाहिर होने लगा कि छोटा भाई अब भाई साहब के प्रति वैसी अदब नहीं रखता जैसी वह पहले रखा करता था। भाई की सहज बुद्धि ने बिना कुछ कहे-सुने इसे भाँप लिया और एक दिन जब वह खेलकर लौटा तो भाई साहब ने उसे उपदेशात्मक भाषा में खूब खरी-खोटी सुनाई । इससे स्पष्ट होता है कि भाई साहब की सहज बुद्धि अत्यंत तीव्र थी।
उत्तर- बड़े भाई साहब ने उस समय की शिक्षा प्रणाली में जिन कमियों की ओर संकेत किया है उनमें मुख्य हैं-एक ही परीक्षा द्वारा छात्रों का मूल्यांकन अर्थात् वार्षिक परीक्षा के परिणाम पर ही छात्रों का भविष्य निर्भर करता था। इस प्रणाली से रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता था। इसमें छात्रों के अन्य पहलुओं के मूल्यांकन की न तो व्यवस्था थी और न उन्हें महत्त्व दिया जाता था। इसके अलावा परीक्षकों का दृष्टिकोण भी कुछ ऐसा था कि वे छात्रों से उस तरह के उत्तर की अपेक्षा करते थे जैसा पुस्तक में लिखा है। किताब से उत्तर अलग होते ही शून्य अंक मिल जाते थे। यद्यपि इन कारणों से ही भाई साहब अपने फेल होने का दोष परीक्षा प्रणाली पर नहीं डाल सकते हैं। वे खुद भी तो समझकर पढ़ने के बजाय रटकर पढ़ते थे जो उनके फेल होने का कारण बनी। इस तरह भाई साहब के विचारों से मैं सहमत नहीं हूँ। पास होने के लिए उन्हें विषयों को समझकर पढ़ने की जरूरत होती है जो उन्होंने नहीं किया।
MCQs
A) स्वयं से
B) अपने जन्म स्थान से
C) किसी से नही
D) जन जीवन से
उत्तर: D
A) स्वयं स
B) लोगो से
C) फ़िल्म्कारो से
D) आर्थिक तङ्गी से
उत्तर: D
A) भाषा शेली की
B) साहित्य की
C) कहानी की
D) शब्दों के चयन की
उत्तर: A
A) फ़िल्म निर्माताओ के निर्देश के अनुसार लिखने के कारण
B) घर से दूर होने कारण
C) रुचि न होने के कारण
D) समय न होने के कारण
उत्तर: A
A) व्यंग्यात्मक
B) करुणामयी
C) आत्म कथात्मक
D) सभी
उत्तर: C)
A) निरन्तर विकट परिस्तिथियो का सामना करने के कारण
B) पानी के कार
C) आर्थिक तन्गी के कारण
D) सभी
उत्तर: A
A) कथाकार
B) लेखक
C) गायक
D) कहानीकार
उत्तर: A
A) शोषक एवं शोषित
B) फ़िल्मी वर्ग को
C) आम जनता को
D) सभी
उत्तर: A
A) तत्सम
B) तदभव
C) देशज एवं विदेशी
D) सभी
उत्तर: D
A) 200
B) 300
C) 400
D) लगभग 100
उत्तर: C
A) 7
B) 6
C) 5
D) 8
उत्तर: D
A) 3 साल
B) 5 साल
C) 6 साल
D)8 साल
उत्तर: B)
A) दो कक्षा
B) तीन कक्षा
C) चार कक्षा
D) सात
उत्तर:B)
A) खेल कूद मे
B) लडने मे
C) शिक्षा के मामले मे
D) निर्णय लेने के बारे में
उत्तर: C
A) क्योकि वे धीरे चलना पसंद करते थे
B) क्योकि बुनियाद को मजबूत बनाना पसंद करते थे
C) क्योकि आलसी थे
D) अच्छा लगता था
उत्तर: B
(A) खेल कूद पर पर जोर देती है
(B) किताबी कीड़ा बनाती है और वास्तविकता से दूर है
(C) बहुत लाभदायक नहीं है
(D) सभी
उत्तर: B
(A) गंभीर प्रवित्ति के थे
(B) छोटे भाई के हितैषी थे
(C) वाक् कला में निपुण थे
(D) सभी
उत्तर: D
(A) अब तुम कहाँ थे
(B) क्या कर रहे थे
(C) कहाँ जा रहे हो हो
(D) पढ़ाई कर ली
उत्तर: A
(A) पतंग कटने से
(B) खेल में हार जाने से
(C) फेल होने होने से
(D) भाई साहिब के उपदेश सुनने से
उत्तर: D
(A) खेलो मे
(B) पढने मे
(C) कन्चे खेलने मे
(D) पतङ्ग उडाने की कला में
उत्तर: D
(A) खेल कूद में
(B) लड़ने में
(C) शिक्षा के मामले में
(D) निर्णय लेने के बारे में
उत्तर: C
(A) 200
(B) 300
(C) 400
(D) लगभग 100
उत्तर: C
(A) दिन-रात खेलना-कूदना
(B) दिन-रात पढ़ाई करना
(C) खाना बनाना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: B
(A) कहाँ थे
(B) क्यों गए थे
(C) कितनी दूर गए थे
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर: A
(A) खेलने-कूदने वाले
(B) आरामदायक जीवन जीने वाले
(C) अध्ययनशील
(D) जल्दबाज़ी करने वाले
उत्तर: C
FAQs
महान भारतीय साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी ने बड़े भाई साहब को लिखा है।
लेखक का बड़ा भाई जब 14 वर्ष का था।
परीक्षा के परिणाम के समय लेखक पास हो गया लेकिन बड़े भाई साहब फेल हो गए। लेखक को बड़ी हैरानी हुई कि मैंने इतनी मेहनत की भी नहीं थी और बड़े भाई साहब से ने बहुत मेहनत की थी परंतु वह फेल हो गए| बड़े भाई साहब परिणाम के बाद तो वह रो पड़े और मैं भी रोने लगा। अपने पास होने की ख़ुशी आधी हो गई। इसी कारण लेखक को बड़े भाई साहब पर दया आती थी।
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती बल्कि अनुभव से आती है।
बड़े भाई साहब छोटे भाई के होशियार होने के बाद भी चाहते थे कि वह हरदम पढ़ता रहे और अच्छे अंकों से पास होता रहे। इसलिए वे उसे हमेशा सलाह देते कि ज़्यादा समय खेलकूद में न बिताए, अपना ध्यान पढ़ाई में लगाए। वे कहते थे कि अंग्रेजी विषय को पढ़ने के लिए दिनरात मेहनत करनी पड़ती है।
आशा करते हैं कि आपको Bade Bhai Sahab Class 10 की पूरी जानकारी इस ब्लॉग में मिल गयी होगी। ऐसे ही ज्ञानवर्धक और सामान्य ज्ञान से संबंधित ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।