Anunasik: हिंदी भाषा में उच्चारण की दृष्टि से अनुनासिक शब्दों का विशेष महत्व है। अनुनासिक वे शब्द होते हैं, जिनके उच्चारण में नाक से हवा निकलती है, जिससे विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है। इन शब्दों में “ँ” (चंद्रबिंदु) या “ं” (बिंदु) का प्रयोग किया जाता है, जैसे— चाँद, गंगा, संसार, हिंदी, गूँज आदि। अनुनासिक ध्वनि शब्दों को मधुरता प्रदान करती है और भाषा को प्रभावशाली बनाती है। हिंदी व्याकरण में इनका अध्ययन ध्वनि विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। यह शब्द हमारे दैनिक जीवन में व्यापक रूप से प्रयोग किए जाते हैं और भाषा की सुंदरता को बढ़ाते हैं। इसलिए इस ब्लाॅग में आपको Anunasik: अनुनासिक शब्द की पहचान कैसे करें? के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।
This Blog Includes:
- अनुनासिक शब्द की परिभाषा क्या है? (Anunasik)
- Anunasik: अनुनासिक शब्द की पहचान कैसे करें?
- अनुनासिक शब्द के उदाहरण क्या हैं? (Anunasik)
- अनुनासिक का प्रयोग क्या है?
- 10 अनुनासिक शब्द क्या हैं?
- 20 अनुनासिक शब्द क्या है?
- अनुनासिक के स्थान पर अनुस्वार (बिंदु) का प्रयोग
- अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर क्या है?
- पाठ्य-पुस्तक ‘संचयन-I’ में प्रयुक्त अनुनासिक शब्द
- अनुनासिक शब्द वर्कशीट (Anunasik Worksheet)
- अनुनासिक शब्द का वाक्य में प्रयोग क्या है?
- FAQs
अनुनासिक शब्द की परिभाषा क्या है? (Anunasik)
अनुनासिक शब्द वे शब्द होते हैं, जिनके उच्चारण में नाक से हवा निकलती है, जिससे विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है। हिंदी भाषा में अनुनासिक ध्वनि को दर्शाने के लिए “ँ” (चंद्रबिंदु) या “ं” (बिंदु) का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए— चाँद, गूँज, संसार, हिंदी, पाँच आदि। अनुनासिक ध्वनि भाषा को मधुरता और स्पष्टता प्रदान करती है। इसका अध्ययन हिंदी व्याकरण के ध्वनि विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। अनुनासिक शब्दों का प्रयोग कविता, गीत और साहित्य में अधिक देखने को मिलता है, जिससे भाषा अधिक प्रभावशाली और कर्णप्रिय बनती है।
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Anunasik: अनुनासिक शब्द की पहचान कैसे करें?
अनुनासिक शब्दों की पहचान उनके उच्चारण के आधार पर की जाती है। इन शब्दों को बोलते समय नाक से हल्की हवा निकलती है, जिससे एक विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है। हिंदी भाषा में अनुनासिक ध्वनि को दर्शाने के लिए “ँ” (चंद्रबिंदु) या “ं” (बिंदु) का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए— चाँद, गूँज, संसार, हिंदी, पाँच आदि। अनुनासिक शब्दों की पहचान करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें-
- यदि किसी शब्द में चंद्रबिंदु (ँ) या बिंदु (ं) का प्रयोग हुआ है, तो वह अनुनासिक शब्द हो सकता है।
- शब्द का उच्चारण करते समय यदि नाक से ध्वनि निकलती है, तो वह अनुनासिक होता है।
- कुछ शब्दों में बिना चंद्रबिंदु या बिंदु के भी अनुनासिक ध्वनि सुनाई देती है, जैसे— माँ, हाँ, हंस।
इन शब्दों का प्रयोग भाषा की मधुरता और स्पष्टता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
अनुनासिक शब्द के उदाहरण क्या हैं? (Anunasik)
अनुनासिक शब्द के उदारहण इस प्रकार हैं-
- मुँह
- धुँधले
- कुआँ
- चाँद
- भाँति
- काँच
- बाँधकर
- पहुँच
- ऊँचाई
- टाँग
- पाँच
- दाँते
- साँस
- रँगी
- अँगूठा
- बाँधकर
- बाँट
- अँधेर
- माँ
- फूँकना
- आँखें
- झाँका
- मुँहजोर
- उँड़ेल
- बाँस
- सँभाले
- मियाँ
- अजाँ
- ऊँगली
- ठूँस
- गूँथ
- काँव-काँव
- उँगली
- काँच
- बूँदें
- रोएँ
- पूँछ
- झाँकते
अनुनासिक का प्रयोग क्या है?
जिस प्रकार Anunasik की परिभाषा में बताया गया है कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है, वे अनुनासिक कहलाते हैं और इन्हीं स्वरों को लिखते समय इनके ऊपर anunasik के चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग किया जाता है। यह ध्वनि (अनुनासिक) वास्तव में स्वरों का गुण होती है। अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है। जैसे – कुआँ, चाँद, अँधेरा आदि।
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10 अनुनासिक शब्द क्या हैं?
10 अनुनासिक शब्द नीचे दिए गए हैं:
- उँड़ेल
- बाँस
- सँभाले
- धँसकर
- गाँव
- मुँह
- धुँधले
- धुआँ
- चाँद
- काँप
20 अनुनासिक शब्द क्या है?
20 अनुनासिक शब्द नीचे दिए गए हैं:
- बूँदा-बाँदी
- आँखें
- बाँधकर
- पहुँच
- मियाँ
- अजाँ
- आँगन
- कँप-कँपी
- ठूँस
- गूँथ
- दाँते
- साँस
- झाँका
- मुँहजोर
- भाँति
- रँगी
- सँभाले
- जाऊँगा
अनुनासिक के स्थान पर अनुस्वार (बिंदु) का प्रयोग
आप क्या यह सोच रहे हैं कि स्वरों में तो इ, ई, ए, ऐ, ओ और औ भी आते हैं तो anunasik इन स्वरों में क्यों प्रयुक्त नहीं होता? इसका एक कारण है कि जिन स्वरों में शिरोरेखा (शब्द के ऊपर खींची जाने वाली लाइन) के ऊपर मात्रा-चिह्न आते हैं, वहाँ अनुनासिक के लिए जगह की कमी के कारण अनुस्वार (बिंदु) लगाया जाता है। जैसे : नहीं, मैं, गोंद आदि। इन शब्दों में anunasik के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है इसलिए इन सभी मात्राओं (इ, ई, ए, ऐ, ओ और औ) के साथ अनुनासिक (ँ) के स्थान पर अनुस्वार (ं) लगाया गया है। लेकिन क्या आपने यह नोटिस किया anunasik (ँ) के स्थान पर अनुस्वार (ं) का प्रयोग करने पर भी इन शब्दों के उच्चारण में किसी प्रकार का अंतर नहीं आया। लेकिन कई बार सिर्फ एक अनुस्वार या अनुनासिक से शब्द का अर्थ बिल्कुल बदल जाता है इसके बारे में आप आगे जानेंगे।
अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर क्या है?
अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर इस प्रकार है-
अनुनासिक | अनुस्वार |
अनुनासिक स्वर है | अनुस्वार मूलत: व्यंजन |
अनुनासिक (चंद्रबिंदु) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता | अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है। |
अनुनासिक का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही किया जा सकता है, जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर न लगी हों। | अनुस्वार का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही किया जा सकता है, जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर लगी हों। |
मुख्य रूप से अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है। | शिरोरेखा से ऊपर लगी मात्राओं वाले शब्दों में अनुनासिक के स्थान पर अनुस्वार अर्थात बिंदु का प्रयोग ही होता है। |
उदा. – हँस (हँसने की क्रिया), अँगना (घर के बाहर खुला बरामदा), स्वाँग (ढोंग), हँस, चाँद, पूँछ आदि। | उदा. – हंस (एक जल पक्षी), अंगना (सुंदर अंगों वाली स्त्री), स्वांग (स्व+अंग)(अपने अंग), गोंद, कोंपल, आदि। |
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पाठ्य-पुस्तक ‘संचयन-I’ में प्रयुक्त अनुनासिक शब्द
पाठ्य-पुस्तक ‘संचयन-I’ में प्रयुक्त कुछ अनुनासिक शब्द इस प्रकार हैं-
- धूल- गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच।
- दुःख का अधिकार- बाँट, अँधेर, माँ, फूँकना, आँखें।
- एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा– बाँधकर, पहुँच, ऊँचाई, टाँग, पाँच, दाँते, साँस।
- तुम कब जाओगे, अतिथि- धुआँ, चाँद, काँप, मँहगाई, जाऊँगा।
- वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन्- ढूँढने, ऊँचे, भाँति।
- कीचड़ का काव्य- रँगी, अँगूठा, बाँधकर।
- धर्म की आड़- मियाँ, अजाँ।
- शुक्रतारे के समान- जालियाँवाला, ऊँगली, ठूँस, गूँथ।
- गिल्लू – काँव-काँव, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ, काँच, झाँकते।
- स्मृति– बूँदा-बाँदी, गाँव, आँगन, कँप-कँपी, बाँध, साँप, कुएँ, पाँच, फुँकार, फूँ-फूँ, दाँत।
- कल्लू कुम्हार की उनाकोटी– झाँका, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, धँसकर।
अनुनासिक शब्द वर्कशीट (Anunasik Worksheet)
नीचे दी गई वर्कशीट में अनुनासिक लगाकर शब्दों को पूरा करें :
अनुनासिक शब्द का वाक्य में प्रयोग क्या है?
अनुनासिक शब्द का वाक्य में प्रयोग इस प्रकार है-
- चाँद की चाँदनी रात में बहुत सुंदर लगती है।
- गूँजती हुई आवाज़ जंगल में दूर तक सुनाई दी।
- हिंदी भारत की राजभाषा है और इसे करोड़ों लोग बोलते हैं।
- संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों का फल भोगता है।
- गाँव का प्राकृतिक वातावरण शहर से बहुत शांत होता है।
- पाँच दोस्तों ने मिलकर समाज सेवा का संकल्प लिया।
- माँ की ममता संसार में सबसे अनमोल होती है।
- बच्चा मीठे आम को बड़े चाव से खा रहा था।
- शिक्षक ने छात्रों को गणित के कठिन प्रश्न समझाए।
- मंदिर की घंटियों की आवाज़ से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
FAQs
कई स्वरों को बोलने के लिए मुख और नासिका दोनों का प्रयोग करना पड़ता है या यह कह सकते हैं कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है वे अनुनासिक कहलाते हैं। वर्णों के ऊपर चंद्रबिंदु (ँ) लगा कर anunasik स्वर लिखे जाते हैं। जैसे : हँसना, आँख, ऊँट आदि अनुनासिक है।
हिंदी में अनुनासिक वर्णों की कुल संख्या 5 हैं। जो कि ङ, ञ, ण, म, न हैं।
गिल्लू – काँव-काँव, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ, काँच, झाँकते। स्मृति- बूँदा-बाँदी, गाँव, आँगन, कँप-कँपी, बाँध, साँप, कुएँ, पाँच, फुँकार, फूँ-फूँ, दाँत। कल्लू कुम्हार की उनाकोटी- झाँका, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, धँसकर।
अनुनासिक वे शब्द होते हैं जिनके उच्चारण में नाक से हवा निकलती है। इनमें “ँ” (चंद्रबिंदु) या “ं” (बिंदु) का प्रयोग होता है, जैसे— चाँद, गूँज, हिंदी, संसार आदि।
अनुनासिक ध्वनि तब उत्पन्न होती है जब किसी वर्ण का उच्चारण करते समय मुख के साथ-साथ नाक से भी हवा निकलती है, जिससे शब्द की ध्वनि में विशेष मधुरता आ जाती है।
अनुनासिक शब्द हिंदी भाषा को मधुरता और स्पष्टता प्रदान करते हैं। यह शब्द उच्चारण में सौंदर्य जोड़ते हैं और व्याकरण की दृष्टि से ध्वनि विज्ञान में इनका विशेष अध्ययन किया जाता है।
अनुनासिक ध्वनि नाक से निकलती है और “ँ” से दर्शाई जाती है, जबकि अनुस्वार “ं” से दर्शाया जाता है और व्यंजन के पहले मुँह से बोला जाता है, जैसे— गंगा, अंश, पंच आदि।
आशा करते हैं कि इस ब्लॉग के माध्यम से आपको अनुनासिक (Anunasik) के बारे में सभी जानकारी मिल गई होगी। यदि आप हिंदी व्याकरण के और भी ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो बने रहें हमारी वेबसाइट पर बनें रहें।
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