शारीरिक शिक्षा एक ऐसी साधना है जो मानव को स्वस्थ, सभ्य और बलिष्ट बनाती है। शारीरिक शिक्षा ही मानव को हर प्रकार के संघर्ष का सम्मान करना सिखाती है, शारीरिक शिक्षा ही समस्याओं का समाधान खोजने के लिए आपको प्रेरित करती है। शारीरिक शिक्षा ही आप में साकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिसके माध्यम से आप चुनौतियों को भी हंसकर स्वीकार करते हैं।
“तन को स्वस्थ और मन को स्वच्छ बनाती है
ज्ञान के स्तर को हर स्तर पर बढ़ाती है
मानव के लिए वरदान बनती शारीरिक शिक्षा
रोगमुक्त होकर जीवन जीना सिखाती है…”
-मयंक विश्नोई
आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है। वर्तमान में झूठ-फरेब की चादर ओढ़कर मानव ने वास्तविक सच्चाई से मुँह फेर लिया है। ऐसा नहीं है कि हमें इस युग में होने वाले विकास की अनदेखी कर उन्हें नकारना चाहिए, ऐसा भी नहीं है कि हमें परिवर्तन को स्वीकार नहीं करना चाहिए। आज के इस ब्लॉग में आप आधुनिक शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है, इस के बारें में पढ़ेंगे। इस ब्लॉग से मिलने वाली जानकारी, आपका मार्गदर्शन करेंगी।
भारत का संविधान शिक्षा पाने का अधिकार समान रूप से हर नागरिक को देता है। शिक्षा के माध्यम से शारीरिक स्वास्थ्य के पहलुओं पर चर्चा करके समाज को सभ्य समाज बनाया जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में शारीरिक शिक्षा का कितना महत्व रहा है? यदि आप इस सवाल के जवाब के बारें में जानकारी पाना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए बिंदुओं की सहायता ले सकते हैं-
- भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में शारीरिक शिक्षा का अधिक महत्व था, जिसके लिए योग व व्यायाम के माध्यम से विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त किया जाता था।
- युद्ध कौशल में पारंगत होने के लिए गुरूकुल प्रणाली में शारीरिक शिक्षा को विशेष स्थान दिया गया था, जिससे हर विद्यार्थी को होकर गुजरना पड़ता था।
- ब्रिटिश राज के बाद इस गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को समाप्त कर दिया गया और आधुनिक शिक्षा का दौर हो गया।
- लेकिन आज पूरा विश्व भी इस बात को जान गया है कि शारीरिक शिक्षा का कितना लाभ है इसीलिए विश्व ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को खुले मन से अपनाकर शारीरिक शिक्षा को पाने के लिए एक सराहनीय कदम आगे बढ़ाया है।
उपरोक्त बिंदुओं को समझने के बाद आपके मन में यह विचार अवश्य आएगा कि आधुनिक शारीरिक शिक्षा की सही परिभाषा क्या है? इसकी परिभाषा कुछ इस प्रकार होगी कि “अच्छे स्वास्थ्य की कामना से शारीरिक श्रम को महत्त्व देना ही शारीरिक शिक्षा है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो शरीर को स्वस्थ और मानसिक तनाव से खुद को दूर रखने की चाह मानव के मन में प्रारंभिक काल से ही रही है। इसका जीता जागता उदाहरण है कि प्रारंभ से ही मानव ने आत्म रक्षा हो या अपने अधिकारों और संसाधनों की रक्षा हो, के लिए शारीरिक श्रम को प्राथमिकता दी, जो कि शारीरिक शिक्षा के रूप में विश्व कल्याण के लिए उभर कर आई।
आधुनिक शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य
आधुनिक शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य उन गतिविधियों को बढ़ावा देना है जिनके माध्यम से मानव जीवन को और अधिक सरल और आनंदित बनाया जा सकता है। आधुनिक शारीरिक शिक्षा का अभ्यास करने और उन्हें बढ़ावा देने का मुख्य लक्ष्य, मूल रूप से मानव को शिक्षित और उसका विकास करना है।
इसके माध्यम से उन लोगों के जीवन जीने की दिनचर्या में भी परिवर्तन आता है जिनके पास शारीरिक रूप से जीवन भर स्वस्थ गतिविधियों का आनंद लेने के लिए उचित कौशल और ज्ञान है। आधुनिक शारीरिक शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों को आसान भाषा में समझने के लिए आप नीचे दिए गए बिंदुओं को भी पढ़ सकते हैं-
- शारीरिक रूप से जीवन की गतिविधयों को नियंत्रित कर, शारीरिक शिक्षा के लिए उचित कौशल और ज्ञान में बढ़ोत्तरी करना।
- आधुनिकता के इस दौर में भी स्वयं को निरोगी बनाये रखने के लिए समाज में जागरूकता बनाये रखना।
- मानसिक और शारीरिक विकास के लिए लोगों को प्रेरित करना।
- तनावपूर्ण जीवन पाने के लिए जीवन के नए आयाम को स्थापित करना।
- साकारात्मक परिवर्तन और साकारात्मक सुझावो के लिए नित नए मार्ग खोजना।
इस ब्लॉग का उद्देश्य आधुनिक शारीरिक शिक्षा के मुख्य उद्देश्यों के बारें में आपको उचित व संपूर्ण जानकारी देना है। आशा है कि आपको यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा और इसके शब्द आपको प्रेरित करेंगे। इसी प्रकार के ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट के साथ बनें रहें।