भारत के महान एयरोस्पेस वैज्ञानिक “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम” (A.P.J. Abdul Kalam) जिन्हें हम “मिसाइल मैन” के नाम से भी जानते हैं। उनकी इस वर्ष 15 अक्टूबर को 8वीं जयंती मनाई जाएगी। एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को प्रगतिशील बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। डॉ. कलाम ने न केवल मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में अपना योगदान दिया, बल्कि उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भी अहम भूमिका अदा की है। वह भारत के प्रख्यात वैज्ञानिक होने के साथ- साथ एक महान शिक्षक भी थे। आइए हम जानते हैं डॉ. कलाम का विज्ञान के क्षेत्र में योगदान।
डॉ. कलाम का विज्ञान के क्षेत्र में योगदान
भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने से लेकर डॉ. कलाम ने विभिन्न क्षेत्रों में देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। एक एयरोस्पेस वैज्ञानिक होने के नाते उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल होकर की थी।
यहाँ उन्होंने ‘हावरक्राफ्ट परियोजना’ पर काम किया। इसके बाद उन्होंने ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) में भी कुछ वर्षों तक कार्य किया और देश के लिए कई स्वदेशी मिसाइलों का निर्माण किया। इनमें पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल और ब्रह्मोस के विकास और संचालन के लिए उन्हें ”भारत के मिसाइल मैन ” की उपाधि से भी नवाज़ा गया। क्या आप जानते हैं डॉ. कलाम ने ISRO में भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लांच व्हीकल (SLV-III) के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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परमाणु परीक्षण में दिया अहम योगदान
वर्ष 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने महत्वपूर्ण तकनीकी और राजनीतिक भूमिका निभाई। इस सफल परमाणु परिक्षण के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने भारत को एक पूर्ण विकसित परमाणु देश घोषित किया और भारत विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभरा।
‘कलाम राजू टैबलेट’ का निर्माण
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने ‘डॉ. सोमा राजू’ के साथ मिलकर वर्ष 2012 में ‘कलाम-राजू टैबलेट’ नामक छोटा लैपटॉप तैयार किया था, जो ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के लिए तैयार किया गया था।
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लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट में योगदान
डॉ.कलाम लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट से विशेष रूप से जुड़े हुए थे। क्या आप जानते हैं कि वह लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट उड़ाने वाले पहले भारतीय “राष्ट्राध्यक्ष” भी थे।
स्वास्थ्य सेवा में भी निभाई अहम भूमिका
यदि आप सोचते हैं कि डॉ.कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) ने केवल मिसाइल और विज्ञान के क्षेत्र में ही कार्य किया है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। बता दें कि उन्होंने हृदय रोग विशेषज्ञ ‘डॉ. बी.सोमा राजू’ के साथ संयुक्त रूप से काम करते हुए कोरोनरी हृदय रोग के लिये ‘कलामराजू-स्टेंट’ विकसित किया था। इससे लोगों के लिए स्वाथ्य सेवा कम कीमत पर सुलभ हो पाई।
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डॉ. कलाम की मिसाइलों के नाम और उनकी विशेषताएं
यहाँ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (A.P.J. Abdul Kalam) की मिसाइलों के नाम और उनकी विशेषताएं बताई जा रही हैं:-
मिसाइल का नाम | विशेषताएं |
पृथ्वी | सतह से सतह, कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल रेंज-150–300 किमी परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम |
अग्नि | री-एंट्री टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर ,शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल रेंज- 700–900 किमी |
त्रिशूल | शॉर्ट रेंज सतह से हवा में वार करने वाली मिसाइल रेंज- 12 किमी |
नाग | एन्टी टैंक मिसाइल दागो और भूल जाओ प्रणाली पर आधारित सभी प्रकार के मौसम में काम करने में सक्षम |
आकाश | मीडियम रेंज सतह से हवा में वार करने में सक्षम रेंज – 18 किमी |
ब्रह्मोस | लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, युद्धपोत के साथ-साथ जमीन पर मौजूद सिस्टम समेत कई अलग-अलग प्लेटफॉर्म की मदद से लॉन्च किया जा सकता है। स्पीड – 2,9000 किमी प्रति घंटा ध्वनि की गति से भी तेज़ रेंज – 300 किलोमीटर से 800 किलोमीटर के बीच। |
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