2021 में 77.20 लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ने के लिए गए थे। 2022 में भारतीय छात्रों की संख्या में 137 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2022 में जनवरी और नवंबर के बीच यह संख्या 1.8 करोड़ हो गई है। यह डेटा गृह मंत्रालय (MHA) ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (BoI) का है। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह संख्या COVID से पहले थोड़ी कम है।
1.8 करोड़ के 40 प्रतिशत में से 72 लाख छात्रों ने “रेजीडेंसी” के लिए यूएसए छोड़ दिया, और अन्य 71 लाख पर्यटक थे।
BoI भारतीय के अराइवल और डिपार्चर के यात्रा डेटा को बनाए रखता है। यात्रा का उद्देश्य मैन्युअल रूप से भरा जाता है और “या तो उनके (यात्रियों के) ओरल डिस्क्लोजर या इमीग्रेशन क्लीरेंस के समय उनके द्वारा प्रोड्यूस्ड डेस्टिनेशन देश के वीज़ा के प्रकार पर आधारित होता है”।
शिक्षा ही एकमात्र ऐसी केटेगरी थी जो महामारी से पहले के स्तरों में सबसे ऊपर थी। जनवरी से नवंबर 2022 के बीच 4.4 लाख छात्र पढ़ने के लिए विदेश गए। 2019 में यह संख्या 0.58 मिलियन और 2018 में 0.52 मिलियन थी।
पिछले कुछ सालों में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है।
2017 में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या 1,33,049 थी। 2022 में यह 31 अक्टूबर, 2022 तक बढ़कर 1,83,741 हो गई है।
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने 9 दिसंबर को लोकसभा को बताया कि “मंत्रालय के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर विदेशी नागरिकों की संख्या 93 (2015 में), 153 (2016 में), 175 (2017 में), 129 (2018 में) थी, 113 (2019 में), 27 (2020 में), 42 (2021 में) और 60 (2022 में) थी।
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