13 सितंबर को मनाया जाने वाला प्रमुख दिवस अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस है। अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस मानव जाति द्वारा किए गए चॉकलेट के आविष्कार के लिए एक विशेष श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है। चॉकलेट खाने में बहुत अधिक स्वादिष्ट होती है। चॉकलेट किसी भी डेजर्ट को बनाने में उपयोग की जा सकती है तथा उसके स्वाद को चार चांद लगाने का कार्य करती है। दुनिया के ज़्यादातर लोग चॉकलेट को एक स्वादिष्ट व्यंजन मानते हैं। इस ब्लॉग में 13 सितंबर के मनाए जाने वाले चॉकलेट दिवस के बारे में जानकारी दी गई है। इस बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
कब और क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस
अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस प्रतिवर्ष 13 सितंबर को मनाया जाता है। लोगों के द्वारा इस दिन को मनाने का मुख्य कारण चॉकलेट के प्रति प्रेम है। चॉकलेट की एक लंबी और ऐतिहासिक यात्रा रही है। कई सभ्यताओं से लेकर वर्तमान समय तक यह लोगों द्वारा बहुत पसंद की जाती है। इस दिन लोग एक दूसरे को प्रेम के संदेश के रूप में चॉकलेट भी देते हैं।
अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस का इतिहास
चॉकलेट का इतिहास प्राचीन मेसोअमेरिकी सभ्यताओं, जैसे ओल्मेक, माया, और एज़्टेक से जुड़ा है, जिन्होंने कोको बीन्स का उपयोग पेय पदार्थ और धार्मिक अनुष्ठानों में किया था। इसके बाद 16वीं सदी में चॉकलेट यूरोप पहुंची, जहां यह तेजी से लोकप्रिय हुई। 1800 में नेस्ले, जे.एस. फ्राई एंड संस और लिंड्ट जैसी कंपनियों ने चॉकलेट बार का उत्पादन शुरू किया। इसके बाद हर्शीज, कैडबरी और मार्स जैसी कंपनियां भी बाजार में आई। इन कंपनियों के आने के बाद चॉकलेट घर-घर में लोकप्रिय हो चुकी थी। आज चॉकलेट कैंडीज, केक, कुकीज़ और बहुत सारी चीज़ें बनाने में प्रयोग की जाती है। चॉकलेट के प्रति प्रेम के कारण प्रतिवर्ष 13 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस मनाया जाता है। समय के साथ यह एक वैश्विक आयोजन के रूप में विकसित हो गया है।
चॉकलेट किस तरह बनती है?
चॉकलेट बनाने की विधि में सबसे पहले कोको की फलियों को पौधे से तोड़ लिया जाता है। इसके बाद फलों से सफ़ेद पदार्थ को साफ कर लिया जाता है। उसके बाद उन्हें सुखाया जाता है। सूखने के बाद में कोको बीन्स को फर्मेंटेड कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद कोको बीन्स से कागज़ के खोल को हटाया जाता है जिससे कोको निब दिखाई देने लगते हैं।
इसके बाद में कोको निब को पीसा जाता है। सूखने के बाद में कोको के ठोस और कोको के बटर वाले हिस्से को अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद में इसमें दूध और चीनी मिलाई जाती है। अगर कोई व्यक्ति सफेद चॉकलेट बना रहा है तो वह दूध और चीनी के साथ सिर्फ कोको बटर का प्रयोग करेगा। हर चॉकलेट बनाने वाली कंपनी के पास में इसे बनाने के अपने अलग-अलग तरीके और विचार हैं जो दुनिया भर में लोकप्रिय हैं।
चॉकलेट के सामान्य प्रकार
चॉकलेट के सामान्य प्रकार नीचे दिए गए हैं:
- बेकिंग चॉकलेट बिना चीनी के : इस चॉकलेट में अलग अलग अनुपात में कोको सॉलिड और कोको बटर होता है।
- मीठी चॉकलेट : इस प्रकार की चॉकलेट में कोको सॉलिड, कोको बटर और चीनी का मिश्रण होता है, स्वाद को बदलने के लिए अन्य पदार्थ भी मिलाए जाते हैं।
- मिल्क चॉकलेट : मिल्क चॉकलेट में मिल्क पाउडर या कंडेंस्ड मिल्क वाली मीठी चॉकलेट होती है, इसमें दूध की मात्रा अधिक होती है।
- सफ़ेद चॉकलेट : सफ़ेद चॉकलेट को बनाने के लिए कोको बटर, चीनी और दूध का प्रयोग किया जाता है। इसमें कोको सॉलिड नहीं होता है।
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आशा करते हैं कि आपको इस ब्लाॅग में 13 सितंबर को कौनसा दिवस मनाया जाता है, के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य महत्वपूर्ण दिवस से संबंधित आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहे।