मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध लेखिका, कहानीकार और उपन्यासकार थीं। वे 1960 के दशक के नई कहानी आंदोलन की प्रमुख महिला रचनाकारों में शामिल थीं। आंदोलन के उत्कर्ष काल में उन्होंने हिंदी कथा साहित्य में सक्रिय रूप से योगदान दिया। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें हिंदी अकादमी द्वारा ‘शलाका सम्मान’, केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा ‘18वां व्यास सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इस लेख में आप मन्नू भंडारी का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाओं के बारे में जानेंगे।
| लेखिका का नाम | मन्नू भंडारी |
| जन्म तिथि | 3 अप्रैल, 1931 |
| जन्म स्थान | भानपुरा गांव (मध्य प्रदेश) |
| वास्तविक नाम | महेंद्र कुमारी |
| पिता का नाम | सुख संपतराय |
| माता का नाम | अनुप कुमारी |
| भाई-बहन | प्रसन्न कुमार, बसंत कुमार, स्नेहलता, सुशीला |
| प्रसिद्ध कहानियां | यही सच है, एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर |
| प्रसिद्ध उपन्यास | आपका बंटी, महाभोज, एक इंच मुस्कान |
| पति का नाम | राजेंद्र यादव |
| बेटी का नाम | रचना (टिंकू) |
| मृत्यु | 15 नवंबर, 2021, गुरुग्राम, हरियाणा |
| जीवनकाल | 90 वर्ष |
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मन्नू भंडारी का जन्म
हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, 1931 को मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा नामक गांव में हुआ था। उनके पिता श्री सुखसंपतराय भंडारी साहित्य और कला प्रेमी थे, इसलिए शिक्षा के साथ-साथ मन्नू भंडारी की साहित्यिक अभिरुचि का भी विकास होता गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर में हुई और बाद में उन्होंने पश्चिम बंगाल के ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय’ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने ‘बनारस हिंदू विश्वविद्यालय’ से हिंदी भाषा और साहित्य में एम.ए. की डिग्री हासिल की। वहीं पर उनका संपर्क हिंदी साहित्य जगत के कई महान साहित्यकारों से हुआ।
मिरांडा हाउस में किया अध्यापन कार्य
मन्नू भंडारी ने एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही अध्यापन कार्य शुरू कर दिया और प्राध्यापिका बनकर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में पढ़ाने लगीं। फिर अध्यापन को ही उन्होंने अपनी आजीविका का मुख्य साधन बना लिया। वे अपनी सेवानिवृत्ति तक ‘मिरांडा हाउस कॉलेज’ में प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत रहीं।
मन्नू भंडारी का व्यक्तिगत जीवन
इसी दौरान उनकी मुलाकात हिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध कहानीकार राजेंद्र यादव से हुई। पहले दोनों के बीच पुस्तकों, लेखकों और साहित्यिक विषयों पर चर्चा होती थी, जो समय के साथ धीरे-धीरे व्यक्तिगत संबंधों में बदल गई। उनका विवाह 22 नवंबर, 1959 को हुआ था। इनकी पुत्री का नाम ‘रचना’ है।
गुरुग्राम में हुआ निधन
मन्नू भंडारी (वास्तविक नाम महेंद्र कुमारी) ने जिस नाम से साहित्य जगत में प्रसिद्धि प्राप्त की, उसी नाम को उन्होंने जीवन के अंत तक बनाए रखा। वह विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में ‘प्रेमचंद सृजनपीठ’ की अध्यक्ष भी रहीं। 15 नवंबर, 2021 को गुरुग्राम में उनका 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
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मन्नू भंडारी का साहित्यिक परिचय
नीचे मन्नू भंडारी की प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गई है:-
मन्नू भंडारी का कहानी संग्रह
| कहानी संग्रह | प्रकाशन वर्ष |
| मैं हार गई | सन 1957 |
| तीन निगाहों की एक तस्वीर | सन 1959 |
| यही सच है | – |
| एक प्लेट सैलाब | सन 1968 |
| त्रिशंकु | सन 1978 |
मन्नू भंडारी के उपन्यास
| उपन्यास | प्रकाशन वर्ष |
| एक इंच मुस्कान (राजेंद्र यादव के साथ) | सन 1961 |
| आपका बंटी | सन 1971 |
| कलवा | सन 1971 |
| महाभोज | सन 1979 |
| स्वामी | सन 1982 |
मन्नू भंडारी का नाटक संग्रह
| नाटक | प्रकाशन वर्ष |
| बिना दीवारों का घर | सन 1969 |
| महाभोज (नाट्य रूपांतर) | सन 1983 |
मन्नू भंडारी की आत्मकथा
| आत्मकथा | प्रकाशन वर्ष |
| एक कहानी यह भी | सन 2007 |
मन्नू भंडारी का बाल साहित्यिक रचना
| बाल साहित्य | प्रकाशन वर्ष |
| कलवा | सन 1971 |
| आसमाता | सन 1971 |
| आँखों देखा झूठ | सन 1976 |
मन्नू भंडारी की उपलब्धियां
हिंदी साहित्य और शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए मन्नू भंडारी को कई सरकारी और गैर-सरकारी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जैसे:-
- वर्ष 1981 में महाभोज के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया।
- भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता द्वारा वर्ष 1982 में सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1982 में नई दिल्ली में ‘कला-कुंज सम्मान’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1983 में भारतीय संस्कृत संसद कथा समारोह द्वारा पुरस्कृत किया गया।
- वर्ष 1991 में बिहार राज्य भाषा परिषद द्वारा सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2004 में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2006 में हिंदी अकादमी, ‘दिल्ली शलाका सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2007 में मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन में ‘भवभूति अलंकरण’ से सम्मानित किया गया।
- केके बिड़ला फाउंडेशन ने उन्हें उनकी आत्मकथा ‘एक कहानी ये भी’ के लिए ‘18वां व्यास सम्मान’ से पुरस्कृत किया।
FAQs
मन्नू भंडारी का मूल नाम ‘महेंद्र कुमारी’ था।
मन्नू भंडारी की माता का नाम ‘श्रीमती अनुप कुमारी’ था।
मन्नू भंडारी की भाषा शैली सरल, सहज, संवेदनशील और यथार्थपरक थी।
‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तिगत और साहित्यिक जीवन के अनुभव लिखे हैं।
यह मन्नू भंडारी की बाल साहित्यिक रचना है जिसका प्रकाशन वर्ष 1976 में हुआ था।
आशा है कि आपको आधुनिक हिंदी साहित्य की विख्यात लेखिका मन्नु भंडारी का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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