Swar Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain: स्वर संधि के कितने भेद होते हैं?

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Swar Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain
(A) तीन
(B) पांच
(C) सात
(D) आठ
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इस प्रश्न का सही उत्तर ऑप्शन B है। स्वर संधि के मुख्यतः पांच भेद होते हैं:- दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि, यण संधि और अयादि संधि। 

स्वर संधि किसे कहते हैं?

दो स्वर वर्णों की अत्यंत समीपता के कारण यथाप्राप्त वर्ण विकार को स्वर संधि (Swar Sandhi) कहते हैं। 

स्वर संधि के कितने भेद होते हैं? 

स्वर संधि के मुख्यतः पांच भेद होते हैं:-

  1. दीर्घ संधि – यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ तथा ‘ऋ’ स्वरों के पश्चात् हस्व या दीर्घ अ, इ, उ या ऋ स्वर आएँ तो दोनों मिलकर क्रमश: आ, ई, ऊ तथा ॠ हो जाते हैं।
    उदाहरण;-
    देव+आशीष: = देवाशीष:
    नदी + ईश: = नदीश:
  2. गुण संधि – यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई’ आए। दोनों के स्थान पर ए एकादेश हो जाता है।
    उदाहरण;-
    उप+इंद्र= उपेंद्र
    हित + उपदेश = हितोपदेश 
  3. वृद्धि संधि – यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ आए तो दोनों के स्थान पर ‘ऐ’ एकादेश हो जाता है।
    उदाहरण;-
    मम + एव = ममैव
    सदा + एव = सदैव 
  4. यण संधि – जब ‘इक्’ वर्णों (इ, उ, ऋ, ऌ) के पहले यदि कोई अच् (स्वर) वर्ण आता है, तो ‘इक्’ वर्ण का रूप बदलकर यण रूप में हो जाता है। इस परिवर्तन को यण संधि कहते हैं।
    उदाहरण;-
    यदि + अपि = यद्यपि
    इति + आदि = इत्यादि  
  5. अयादि संधि – जब ए, ऐ, ओ तथा औ के बाद कोई स्वर आए तो ‘ए’ को अय्, ‘ऐ’ को आय्, ‘ओ’ को अव् तथा ‘औ’ को आव् आदेश हो जाते हैं।
    उदाहरण;-
    नै + अक: = नायक:
    नौ + इक: = नाविक:

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