सूरदास की भक्ति-भावना पर प्रकाश डालिए।

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सूरदास की भक्ति-भावना पर प्रकाश डालिए।
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उत्तर: सूरदास की भक्ति भावना सखा भाव पर आधारित है, जिसे प्रेमलक्षणा भक्ति भी कहा जाता है। उनका सम्पूर्ण काव्य कृष्ण-प्रेम और माधुर्य रस से ओत-प्रोत है। उन्होंने विशेष रूप से कृष्ण की बाल लीलाओं, गोपियों के साथ रासलीलाओं तथा ब्रज की भावनात्मक संस्कृति का अत्यंत भावुक एवं सजीव चित्रण किया है।

सूरदास लीला-भक्ति मार्ग के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उनकी भक्ति भावना में साधक और भगवान के बीच घनिष्ठ आत्मीयता देखने को मिलती है। वे भगवान कृष्ण को केवल ईश्वर नहीं, बल्कि मित्र, प्रेमी और आत्मीय मानते हैं।

उनकी भक्ति का आधार वल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित पुष्टिमार्ग है, जिसमें श्रद्धा, समर्पण और निष्काम प्रेम को प्रमुख स्थान प्राप्त है। इसीलिए सूरदास की भक्ति भावना भावनात्मकता, माधुर्य और आत्मीयता से परिपूर्ण है।

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