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उत्तर: परशुराम की तीव्र प्रतिक्रिया सुनकर विश्वामित्र ने उन्हें विनम्रतापूर्वक समझाते हुए प्रार्थना की कि साधुजन बालकों के दोषों को तूल नहीं देते। वे उन्हें क्षमा कर देते हैं, क्योंकि बालक कभी-कभी नासमझीवश ऐसी बातें कह देते हैं। अतः उन्होंने परशुराम से आग्रह किया कि लक्ष्मण को बालक समझकर उसके अपराध को क्षमा कर दें और उसके दोष पर ध्यान न दें।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
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- क्रोध पर विनय और व्यंग्य का अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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- शूरवीर और कायर में क्या अंतर बताया गया है?
- ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ पाठ में क्या संदेश दिया गया है?
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