उत्तर: क्रोध पर विनय और व्यंग्य के प्रभाव में स्पष्ट अंतर होता है। विनय क्रोध को शांत करने वाला और उसे नियंत्रित करने वाला भाव होता है, जबकि व्यंग्य क्रोध को भड़काने और बढ़ाने वाला होता है।
‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में यह बात स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जब लक्ष्मण परशुराम पर व्यंग्य करते हैं, तो परशुराम का क्रोध और अधिक बढ़ जाता है। लक्ष्मण के व्यंग्यपूर्ण वचन उनकी क्रोधाग्नि को भड़काते हैं और वे और क्रोधित हो उठते हैं।
इसके विपरीत, जब श्रीराम विनम्र और शालीन भाषा में परशुराम से संवाद करते हैं, तो उनका क्रोध शांत होने लगता है। राम की विनयपूर्ण बातों से परशुराम का हृदय शमित होता है और वे अपना गुस्सा धीरे-धीरे कम कर देते हैं।
इस प्रकार, विनय क्रोध को नियंत्रण में लाने का कार्य करता है, जबकि व्यंग्य क्रोध को उत्तेजित करता है।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- ‘बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥ पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- ‘इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥ देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा-सौन्दर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
- इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
- निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए- (क) बालकु बोलि बधाँ नहि तोही। (ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
- “सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है…” इस कथन के आधार पर क्रोध के पक्ष या विपक्ष में अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
- दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए इस विषय पर कहानी लिखिए।
- उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
- लक्ष्मण के वचनों से बढ़े हुए परशुराम जी के क्रोध को किसने और कैसे शान्त किया?
- ‘दोहा’ नामक छंद के लक्षण लिखिए।
- लक्ष्मण को परशुराम को मारने पर पाप और अपयश की सम्भावना क्यों थी?
60,000+ students trusted us with their dreams. Take the first step today!

One app for all your study abroad needs
