क्रोध पर विनय और व्यंग्य का अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

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krodh par vinay aur vyangya ka alag alag prabhav kaise padta hai ram lakshman parshuram samvad ke aadhar par spasht kijiye
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उत्तर: क्रोध पर विनय और व्यंग्य के प्रभाव में स्पष्ट अंतर होता है। विनय क्रोध को शांत करने वाला और उसे नियंत्रित करने वाला भाव होता है, जबकि व्यंग्य क्रोध को भड़काने और बढ़ाने वाला होता है।

‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में यह बात स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जब लक्ष्मण परशुराम पर व्यंग्य करते हैं, तो परशुराम का क्रोध और अधिक बढ़ जाता है। लक्ष्मण के व्यंग्यपूर्ण वचन उनकी क्रोधाग्नि को भड़काते हैं और वे और क्रोधित हो उठते हैं।

इसके विपरीत, जब श्रीराम विनम्र और शालीन भाषा में परशुराम से संवाद करते हैं, तो उनका क्रोध शांत होने लगता है। राम की विनयपूर्ण बातों से परशुराम का हृदय शमित होता है और वे अपना गुस्सा धीरे-धीरे कम कर देते हैं।

इस प्रकार, विनय क्रोध को नियंत्रण में लाने का कार्य करता है, जबकि व्यंग्य क्रोध को उत्तेजित करता है।

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