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उत्तर: मेरे मित्र के स्वभाव की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- मेरा मित्र कुशाग्रबुद्धि, सत्यनिष्ठ और निरभिमानी है। वह हमेशा सच बोलता है और किसी भी स्थिति में अपने आपको विनम्र रखता है।
- उसमें सहनशीलता, सरलता और ईमानदारी पूरी तरह से समाहित हैं। वह हर परिस्थिति में धैर्यपूर्वक व्यवहार करता है।
- अपने माता-पिता, गुरुजनों और बुजुर्गों का वह पूरे आदर और सम्मान के साथ सम्मान करता है।
- वह हमेशा दूसरों की मदद करने को तत्पर रहता है और सहकार की भावना से भरपूर है।
- उसका स्वभाव जिज्ञासु है; वह नई-नई बातों को जानने और समझने में गहरी रुचि रखता है।
- मेरा मित्र न तो क्रोधी है और न ही घमंडी। वह आत्म-सम्मान से पूर्ण है और अपने व्यवहार में संयमित रहता है।
इस प्रकार, मेरा मित्र एक आदर्श, सद्गुणों से युक्त और प्रेरणादायक व्यक्ति है।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
- ‘बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥ पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- ‘इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥ देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा-सौन्दर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
- इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
- निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए- (क) बालकु बोलि बधाँ नहि तोही। (ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
- “सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है…” इस कथन के आधार पर क्रोध के पक्ष या विपक्ष में अपना मत स्पष्ट कीजिए।
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