शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। पारंपरिक अंकों के स्थान पर अब ग्रेडिंग प्रणाली (Grading System) का उपयोग किया जा रहा है, जो छात्रों के समग्र प्रदर्शन को बेहतर ढंग से दर्शाने में सहायक है। ग्रेडिंग सिस्टम एक मूल्यांकन पद्धति है जो छात्रों के प्रदर्शन को विभिन्न ग्रेडों में वर्गीकृत करने के लिए उपयोग की जाती है। यह प्रणाली अंकों के बजाय ग्रेड्स के माध्यम से छात्रों की शैक्षणिक योग्यता को प्रदर्शित करती है। भारत में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में ग्रेडिंग सिस्टम अलग-अलग हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह सीजीपीए (CGPA) और एसजीपीए (SGPA) के आधार पर होती है। यह न केवल परीक्षा के अंक देने की प्रक्रिया को सरल बनाती है, बल्कि छात्रों को तनावमुक्त रखते हुए उनकी क्षमताओं को समुचित रूप से परखने का अवसर भी प्रदान करती है। इस लेख में आपके लिए ग्रेडिंग प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसके लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना चाहिए।
This Blog Includes:
- ग्रेडिंग प्रणाली क्या है?
- ग्रेडिंग प्रणाली के प्रकार कितने होते हैं?
- ग्रेडिंग प्रणाली के फायदे
- ग्रेडिंग प्रणाली के नुकसान
- अच्छी ग्रेडिंग प्रणाली के गुण जानिए
- भारत की ग्रेडिंग प्रणाली जानिए
- CBSE ग्रेडिंग प्रणाली
- भारत में ग्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत कब हुई?
- ग्रेडिंग प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले सामान्य ग्रेड
- विश्वभर की ग्रेडिंग प्रणाली
- सीजीपीए और एसजीपीए कैसे काम करते हैं?
- FAQs
ग्रेडिंग प्रणाली क्या है?
ग्रेड प्रणाली में स्टूडेंट्स का मूल्यांकन सीधी तरह से ग्रेड के रूप में किया जाता है और एग्जाम में मिले मार्क्स के आधार पर ग्रेड दिए जाते हैं। सीधे ग्रेड देते समय एग्जामिनर सबसे पहले प्रत्येक प्रश्न के उत्तर पर अलग – अलग ग्रेड प्रदान करता है और उसके बाद सभी प्रश्नों पर दिए गए ग्रेड का औसत निकाला जाता है। ग्रेड औसत निकालने के लिए सबसे पहले अक्षरों को ग्रेड में बदला जाता है और उसके बाद उनका औसत निकाला जाता है।
ग्रेडिंग प्रणाली के प्रकार कितने होते हैं?
ग्रेडिंग प्रणाली के प्रकार ये हैं-
- ग्रेडिंग प्रतिशत प्रणाली : इसमें 0 से 100 के बीच में प्रतिशत में ग्रेडिंग की जाती है।
- लेटर ग्रेडिंग : इसमें A से लेकर F के बीच में ग्रेडिंग होती है।
- मास्टरी ग्रेडिंग : इसमें स्टूडेंट्स को मास्टर के तौर पर रेटिंग दी जाती है।
- कॉमन स्केल : इसमें स्टूडेंट्स को पास/फेल के स्केल पर रेटिंग दी जाती है।
- रेटिंग एक्सपेक्टेशन : इसमें स्टूडेंट्स की सफलता को पिछले प्रदर्शन के आधार पर मापा जाता है।
- नेरेटिव ग्रेडिंग : इसमें स्टूडेंट्स के बारे में राय कायम की जाती है।
ग्रेडिंग प्रणाली के फायदे
इस सिस्टम के फायदे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझे जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- ग्रेडिंग सिस्टम से स्टूडेंट्स की कमजोरियों और खूबियों के बारे में पता चलता है।
- इससे पता चलता है कि स्टूडेंट्स को किस सबजेक्ट पर काम करने की ज़रूरत है।
- यह टीचर को यह पता करने में मदद करती है कि स्टूडेंट कहाँ गलती कर रहा है और उसे कितने अभ्यास की ज़रूरत है।
- इसमें उच्च अंक प्राप्त करने के दबाव को कम किया जाता है।
ग्रेडिंग प्रणाली के नुकसान
ग्रेडिंग प्रणाली के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है –
- ग्रेडिंग सिस्टम की वजह से लोग पढाई में ज्यादा ध्यान नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि वे पास होने लायक ग्रेड आराम से प्राप्त कर लेंगे।
- ग्रेडिंग सिस्टम की वजह से बच्चों के असली अंक नहीं पता चल पाते हैं।
- ग्रेड को नम्बर्स में बदलना कठिन है।
अच्छी ग्रेडिंग प्रणाली के गुण जानिए
अच्छी ग्रेडिंग प्रणाली के गुण इस प्रकार हैं :
- एक अच्छा ग्रेडिंग सिस्टम टीचर और माता-पिता को स्टूडेंट के परफ़ोर्मेंस के बारे में सही रिपोर्ट देती है।
- एक अच्छा ग्रेडिंग सिस्टम टीचर निष्पक्ष होता है।
- एक अच्छे ग्रेडिंग सिस्टम में एकेडमिक परफ़ोर्मेंस और चरित्र को अलग करके मापती है।
- इसमें स्टूडेंट्स को अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है।
- यह स्टूडेंट्स को कभी हतोत्साहित नहीं करती है।
भारत की ग्रेडिंग प्रणाली जानिए
भारत की ग्रेडिंग प्रणाली इस प्रकार है :
प्रतिशत | ग्रेड पॉइंट | क्लासिफिकेशन |
60 – 100 | A1 | फ़र्स्ट क्लास |
55 – 59 | A2 | सेकंड क्लास |
50 – 54 | B1 | सेकंड क्लास |
43 – 49 | B2 | थर्ड क्लास |
35 – 49 | 1.5 – 2.49 | थर्ड डिवीज़न |
0 – 34 | 0-1.49 | फेल |
CBSE ग्रेडिंग प्रणाली
यहाँ CBSE ग्रेडिंग सिस्टम की जानकारी इस प्रकार है :
मार्क्स रेंज | ग्रेड | ग्रेड पॉइंट |
91 – 100 | A1 | 10.0 |
81 – 90 | A2 | 9.0 |
71 – 80 | B1 | 8.0 |
61 – 70 | B2 | 7.0 |
51 – 60 | C1 | 6.0 |
41 – 50 | C2 | 5.0 |
33 – 40 | D | 4.0 |
21 – 32 | E1 | फेल |
0 – 20 | E2 | फेल |
भारत में ग्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत कब हुई?
भारत में शिक्षा क्षेत्र में इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। इस समय से पहले, शिक्षा के क्षेत्र में अंक प्रणाली लागू होती थी जिसमें छात्रों को अंक दिए जाते थे जिसमें ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को उच्च श्रेणी दी जाती थी। लेकिन 2009 में, शिक्षा के क्षेत्र में एक नई ग्रेडिंग प्रणाली लागू की गई जिसमें छात्रों को ग्रेड दिए जाते हैं जिससे उनकी कक्षा के साथ साथ विषयों के अनुसार भी ग्रेडिंग की जाती है।
ग्रेडिंग प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले सामान्य ग्रेड
इस सिस्टम में उपयोग किए जाने वाले सामान्य ग्रेड की जानकारी दी गई है, जो आपके काम आएगी –
ग्रेड | अर्थ |
A+ (90-100%) | उत्कृष्ट प्रदर्शन |
A (80-89%) | बहुत अच्छा |
B+ (70-79%) | अच्छा |
B (60-69%) | संतोषजनक |
C+ (50-59%) | औसत |
C (40-49%) | न्यूनतम योग्यता |
F (0-39%) | अनुत्तीर्ण |
विश्वभर की ग्रेडिंग प्रणाली
यहाँ आपके लिए विश्वभर के ग्रेडिंग सिस्टम की जानकारी निम्नलिखित है –
UK की ग्रेडिंग प्रणाली
ग्रेड | ग्रेड डेफ़िनेशन | ECTS ग्रेड |
70 -100 | A | फ़र्स्ट क्लास |
60 – 69 | B | अपर सेकंड क्लास |
50 – 59 | C | लोअर सेकंड क्लास |
40 – 49 | D | थर्ड क्लास |
30 – 39 | E | फेल |
0 – 29 | F | फेल |
जर्मनी की ग्रेडिंग प्रणाली
प्रतिशत | ग्रेड पॉइंट | क्लासिफिकेशन |
1 – 1.5 | वेरी गुड | A |
1.6 – 2.5 | गुड | B |
2.6 – 3.5 | सटिसफ़ाइंग | C |
3.6 – 4.9 | सफिशिएंट | D |
5.0 – 6.0 | इनसफिशिएंट | फेल |
कनेडियन ग्रेडिंग प्रणाली
प्रतिशत | ग्रेड |
90 – 100 | A + |
85 – 89 | A |
80 – 84 | A – |
77 – 79 | B + |
73 – 76 | B – |
67 – 69 | C + |
63 – 66 | C |
60 – 62 | C – |
57 – 59 | D + |
53 – 56 | D |
50 – 52 | D – |
Below 50 | F |
ऑस्ट्रेलियन ग्रेडिंग प्रणाली
ग्रेड | स्केल | डिवीज़न |
HD | 7.00 | फ़र्स्ट क्लास |
D | 6.00 | अपर सेकंड क्लास |
C | 5.99 | लोअर डिवीज़न |
P | 4.00 | पास |
N | 0.00 | फेल |
नीदरलैंड का ग्रेडिंग प्रणाली
ग्रेड | प्रतिशत |
0-1 | 0 – 5 |
2 | 5 – 15 |
3 | 15 – 25 |
4 | 25-35 |
5 | 35 – 45 |
6 | 45 – 55 |
7 | 55 – 65 |
8 | 65 – 75 |
9 | 75 – 85 |
10 | 85 – 100 |
स्पेनिश ग्रेडिंग प्रणाली
नंबर | स्पेनिश शब्द और उसका अर्थ |
0 – 49 | Suspenso (फ़ेल) |
5 – 6.9 | Aprobado (अप्रूव) |
7 – 8.9 | Notable (गुड) |
9 – 9.9 | Sobresaliente (आउटस्टेंडिंग) |
10 | Matricula de Honor (ऑनरी) |
सीजीपीए और एसजीपीए कैसे काम करते हैं?
सीजीपीए और एसजीपीए निम्नलिखित तरीके से काम करते हैं, जिसकी जानकारी इस प्रकार है –
- एसजीपीए (SGPA): यह किसी एक सेमेस्टर में प्राप्त ग्रेड पॉइंट्स का औसत होता है।
- सीजीपीए (CGPA): यह सभी सेमेस्टर के कुल ग्रेड पॉइंट्स का औसत होता है।
- CGPA से प्रतिशत में परिवर्तन: आमतौर पर, CGPA को 9.5 से गुणा करके प्रतिशत में बदला जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका CGPA 8.0 है, तो आपका प्रतिशत = 8.0 × 9.5 = 76%
FAQs
इस में स्टूडेंट्स का मूल्यांकन सीधी तरह से ग्रेड के रूप में किया जाता है और एग्जाम में मिले मार्क्स के आधार पर ग्रेड दिए जाते हैं। सीधे ग्रेड देते समय एग्जामिनर सबसे पहले प्रत्येक प्रश्न के उत्तर पर अलग–अलग ग्रेड प्रदान करता है और उसके बाद सभी प्रश्नों पर दिए गए ग्रेड का ग्रेड औसत निकाला जाता है। ग्रेड औसत निकालने ग्रेडिंग सिस्टम के लिए सबसे पहले अक्षरों को ग्रेडों में बदला जाता है और उसके बाद उनका औसत निकाला जाता है।
हाँ, भारत के कुछ यूनिवर्सिटीज़ और स्कूलों में ग्रेडिंग सिस्टम लागू होता है।
सबसे अच्छा ग्रेड A+माना जाता है।
हाँ, मार्किंग और ग्रेडिंग दोनों अलग अलग सिस्टम हैं।
ग्रेडिंग सिस्टम का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स की सही क्षमता को मापना होता है।
मुख्यतः दो प्रकार की ग्रेडिंग प्रणालियाँ होती हैं: सापेक्ष ग्रेडिंग (Relative Grading), जिसमें छात्र की तुलना अन्य छात्रों से की जाती है, और निरपेक्ष ग्रेडिंग (Absolute Grading), जिसमें एक निर्धारित मानक के आधार पर ग्रेड दिए जाते हैं।
अंकों की प्रणाली में प्रत्येक उत्तर के लिए अंक दिए जाते हैं, जबकि ग्रेडिंग प्रणाली में अंक श्रेणियों को ग्रेड में बदला जाता है, जिससे छात्रों पर अंक की होड़ का दबाव कम होता है।
सीबीएसई (CBSE) ने 2009-10 से इस प्रणाली को लागू किया, ताकि छात्रों पर परीक्षा का तनाव कम किया जा सके और उनके समग्र विकास पर ध्यान दिया जा सके।
सीबीएसई के अनुसार, छात्रों को A1 से E तक ग्रेड दिए जाते हैं, जो उनकी अंक श्रेणी को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, 91-100 अंक पाने वाले छात्रों को A1 ग्रेड मिलता है।
सीबीएसई और कई अन्य बोर्ड कक्षा 1 से 10 तक इस प्रणाली का उपयोग करते हैं, जबकि कक्षा 11 और 12 में अंक और ग्रेड दोनों दिए जाते हैं।
उम्मीद है इस लेख में आपको ग्रेडिंग प्राणाली क्या है? की विस्तृत जानकारी पसंद आई होगी। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।