जरूरतमंद छात्रों को घर पर ही शिक्षा प्रदान करने की योजना पर काम कर रही भारत सरकार 

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zaruratmand chaatro ko ghar par hi shiksha pradan karne ki yojna par kaam kar rahi Bharat sarkar

भारत सरकार का स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग दिव्यांग छात्रों को घर पर ही स्कूली शिक्षा प्रदान करने की योजना पर काम करने जा रहा है। NCERT के द्वारा जारी किए गए नए नियमों के अंतर्गत गंभीर रूप से दिव्यांग बच्चों को अध्यापक द्वारा घर पर जाकर पढ़ाए जाने का प्रावधान रखा गया है। 

स्टूडेंट्स को घर पर पढ़ाने आएँगे टीचर्स 

NCERT द्वारा शुरू की जा रही इस होम स्कूलिंग पहल के तहत गंभीर दिव्यांग स्टूडेंट्स को एक टीचर घर पर ही पढ़ाने आया करेगा। यह पहल इसलिए शुरू की जा रही है ताकि दिव्यांग बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में कोई बाधा महसूस न हो। एक बार जब बच्चा पर्याप्त स्तर तक शिक्षा ग्रहण कर लेगा, इसके बाद वह रेगुलर स्कूल जा सकता है। टीचर कितने दिनों तक स्टूडेंट को घर पर पढ़ाने आएगा, इस बात का फैसला बच्चे के अभिभावकों के साथ चर्चा बाद किया जाएगा। 

होमस्कूलिंग को भारत के संविधान से मान्यता प्राप्त है और भारतीय संविधान के शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में भी होमस्कूलिंग को निषेध नहीं बताया गया है। 

न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत गाइडलाइंस जारी 

बता दें कि होमस्कूलिंग की यह सुविधा केवल गंभीर रूप से दिव्यांग छात्रों के लिए ही प्रदान की जाएगी। इस संबंध में सभी गाइडलाइंस भारत सरकार द्वारा जारी न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अंतर्गत जारी कर दी गई हैं। इस योजना की शुरुआत NCERT द्वारा भारत में शिक्षा के स्तर को मजबूत करने और दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें एक अच्छा बचपन प्रदान करने के उद्देश्य से की जा रही है।  इसके पीछे शिक्षा विभाग का उद्देश्य भारत के प्रारम्भिक शिक्षा के ढांचे को मजबूती प्रदान करना है।  

दिव्यांग छात्रों के लिए लाभदायक सिद्ध होगी योजना 

शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की जा रही यह योजना निम्नलिखित रूप से फायदेमंद सिद्ध होगी-

  • इस योजना से गंभीर रूप से दिव्यांग बच्चों को घर पर ही शिक्षा प्राप्त हो सकेगी और एक समय के बाद जब वे नियमित रूप से स्कूल जाना शुरू कर देंगे तो तब तक उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ चुका होगा। इससे वे पढ़ाई में ज्यादा अच्छे से मन लगा सकेंगे। 
  • घर पर शिक्षक आकर दिव्यांग छात्रों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकेंगे जिससे उनका बेस मजबूत हो जाएगा औरउन्हें आगे चलकर पूरी क्लास के साथ शिक्षा ग्रहण करने में कोई परेशानी नहीं होगी। 
  • जब शिक्षक घर पर आकर पढ़ाएंगे तो वे दिव्यांग बच्चों के माता पिता से भी सुझाव ले सकेंगे और बच्चों को ज्यादा बेहतर तरीके से पढ़ा सकेंगे। 

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