प्रमुख सुर्खियां
42वें अधिनियम, 1976 के द्वारा वन्यजीवों और पक्षियों को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में स्थान्तरित किया गया।
संविधान के अनुच्छेद 51 A (g) में वर्णित है कि वन्यजीवों और पक्षियों को संरक्षण प्रदान करना सरकारों का मूल कर्तव्य होगा।
इस अधिनियम के अनुसार राज्य पर्यावरण को सरक्षित करने और उसको बढ़ावा देने का काम करेगा।
इस अधिनियम को पौधों और पशुओं की प्रजातियों की रक्षा के लिए बनाया गया था।
इस अधिनियम से पहले भारत में केवल पांच नामित राष्ट्रीय उद्यान थे।
वर्तमान में भारत में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या 101 है।
अधिनियम से जुड़े महत्वपूर्ण पॉइंट्स
- शिकार पर प्रतिबन्ध : यह अधिनियम अनुसूची I, II, III, IV, में निहित किसी भी वन्य पशु का शिकार करना प्रतिबंधित है।
- अपवाद : मुख्य वार्डन से अनुमति लेने के बाद इन स्थियों में इन सूचियों में आने वाले किसी भी पशु को मारा जा सकता है :
- यदि वह मानव जीवन के लिए खतरा बन गया हो।
- यदि वह विकलांग हो या उसका जीवन बहुत ही अधिक कष्टकारी बन गया हो तो।
- अनुसूचित पेड़ पौधों को काटने पर प्रतिबन्ध : यह अधिनियम किसी भी जंगल या संरक्षित क्षेत्र से पेड़ पौधों को उखाड़ने पर प्रतिबन्ध लगाता है।
- इस अधिनियम के तहत सरकार किसी भी वन्य क्षेत्र को वन्य अभ्यारण घोषित कर सकती है।
- वन्य जीवों की रक्षा हेतु विभिन्न निकायों को गठित किया जाना : इस अधिनियम के तहत वन्यजीवों की रक्षा हेतु राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर निकायों का गठन किए जाने का प्रावधान है।
- शिकार किए गए जानवरों के अंग को सरकारी संपत्ति घोषत किया जाना : इस अधिनियम के मुताबिक शिकार किए गए किसी भी वन्यजीव के अंग जैसे बाल, दांत, नाखून, खाल आदि सभी सरकार की संपत्ति मानी जाएगी। इसे बेचना या खरीदना गैर कानूनी माना जाएगा।
वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत गठित किए गए निकाय
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थाई समिति
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड
- केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो
अधिनियम के तहत अनुसूचियाँ और उनमें अनुसूचित जंगली जानवर
अनुसूची 1 : इसके अंतर्गत उन जानवरों को रखा गया है जिन्हें सर्वाधिक सुरक्षा की जरूरत है। इस अधनियम के तहत किसी भी अनुसूचित जानवर का शिकार करना या उसकी हत्या करना दंडनीय अपराध है। ऐसा करने वाले व्यक्ति को कठोर सजा दी जाती है। इस सूची के अंतर्गत निम्नलिखित जानवारों को रखा गया है :
- काला हिरन
- बंगाल टाइगर
- धूमिल तेंदुआ दलदल हिरन
- हिम तेंदुआ
- दलदल हिरन
- एशियाई चीता
- कश्मीरी हिरन
- गैंडा
- कस्तूरी हिरन
- शेर
- चिंकारा
- कैप्ड लंगूर
- हूलॉक गिब्बन
- गोल्डन लंगूर
अनुसूची 2 : इसमें आने वाले जानवरों को भी कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके तहत आने वाले जानवरों के व्यापार पर सख्त प्रतिबन्ध है। इस सूची के अंतर्गत निम्नलिखित जानवर आते हैं :
- असमिया मैकाक
- बंगाल हनुमान लंगूर
- सियार
- हिमालयी काला भालू
- हिमालियन सैलामेंडर
- स्पर्म व्हेल
- उड़ने वाली गिलहरी
- विशाल गिलहरी
- किंग कोबरा
अनुसूची 3 : अनुसूची 3 के अंतर्गत निम्नलिखित जानवरों को रखा गया है :
- चित्तीदार हिरन
- नीलगाय
- साम्भर हिरन
- लकड़बग्घा
- नीली भेड़
- चित्त्तीदार हिरन
- स्पंज
अनुसूची 4 : इसके तहत इस सूची में इन जानवरों को शामिल किया गया है :
- राजहंस
- खरगोश
- फाल्कन
- किंगफिशर
- हॉर्सशू केकड़ा
- नीलकंठ
अनुसूची 5 : इस अनुसूची के अंतर्गत निम्नलिखित जानवरों को रखा गया है :
- कौवा
- चूहा
- फ्रूट बैट
- मूषक
अनुसूची 6 : इस अनुसूची के अंतर्गत पेड़ पौधों की प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। इस अनुसूची के अंतर्गत पेड़ पौधों के निम्नलिखित प्रजातियां आती हैं :
- ब्लू वांडा
- साइकस बेडडोमि
- कुथु
- रेड वांडा
- स्लीयर ऑर्किड
- पिचर प्लांट
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