UGC Guidelines : 3 से 6 महीने के होंगे शाॅर्ट टर्म स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्स, 12वीं पास कर सकते हैं आवेदन

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UGC ne short-term skill courses ke liye new guidelines release ki hain

नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी (NEP) आने के बाद भारतीय शिक्षा प्रणाली में बड़े सुधार हो रहे हैं। अब शाॅर्ट टर्म स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्सेज के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत हायर एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स (HEI) में 3 से 6 महीने के तक के शॉर्ट-टर्म स्किल कोर्सेज शुरू करने की मंजूरी दी गई है। 

गाइडलाइंस के मुताबिक, ये कोर्सेज स्किल की अलग-अलग फील्ड से जुड़े होंगे और 12वीं के बाद स्टूडेंट्स सीधे एडमिशन ले सकेंगे। गाइडलाइंस नेशनल एजुकेशन पाॅलिसी को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।

UGC ने इन शॉर्ट-शर्ट कोर्सेज की अवधि औऱ फीस आदि से जुड़ी जानकारी का ड्राॅफ्ट भी रिलीज किया है और सभी हायर इंस्टिट्यूट्स से स्किल डेवलपमेंट से जुड़ा सेंटर स्थापित करने का सुझाव भी दिया है। इसके लिए इंस्टिट्यूट्स को अपनी फंडिंग से मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार करने के लिए कहा गया है।

स्टडी के साथ कराया जाएगा प्रैक्टिकल

शाॅर्ट टर्म स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्सेज कम से कम 12 क्रेडिट और ज्यादा से ज्यादा 30 क्रेडिट स्कोर के होंगे। इसमें स्टूडेंट्स को स्टडी के साथ प्रैक्टिकल भी कराया जाएगा और एक क्रेडिट के लिए स्टूडेंट्स को कम से कम 15-20 घंटे स्टडी करनी होगी।

इन फील्ड में शाॅर्ट टर्म स्किल कोर्सेज पर विचार कर सकते हैं HEI

गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि HEI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), डेटा साइंस और एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, 5G कनेक्टिविटी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन, बेसिक कोडिंग कंप्यूटिंग लैंग्वेज, 3डी प्रिंटिंग, डिजिटल मार्केटिंग, फैशन टेक्नोलॉजी आदि में शाॅर्ट टर्म स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्स पर विचार कर सकते हैं।

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इंटर्नशिप और जाॅब के लिए योजना बनाने का सुझाव

इसके अलावा इंस्टिट्यूट्स को शाॅर्ट टर्म स्किल कोर्सेज पूरा करने वाले सफल स्टूडेंट्स के लिए रोजगार के अवसर और इंटर्नशिप की सुविधा के लिए एक योजना बनाने के लिए कहा जाएगा। 

UGC के बारे में

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।

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