विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम क्या था और क्यों बदला उन्होंने अपना नाम?

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विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम क्या था?

भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आम लोगों तक पहुंचाकर इसे एक व्यापक आंदोलन के रूप में तब्दील करने में पत्रकारों ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी। इन सभी देशभक्त और क्रांतिवीर पत्रकारों ने आज़ादी की लड़ाई की चिंगारी को देश के युवाओं के दिलों में सुलगाने का काम किया था। ऐसे ही एक वीर देशभक्त पत्रकार विजय सिंह पथिक भी थे। लेकिन यह उनका असली नाम नहीं था। इस लेख में विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम क्या था और उनके बारे में अन्य महत्वपूर्ण बातें बताई जा रही हैं। 

विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम क्या था? 

विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फरवरी 1882 के दिन उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले के गुठावली कलां नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम चौधरी हमीर सिंह राठी और माता का नाम श्रीमती कमल देवी था। बचपन से ही पथिक अपने दादा दीवान इंद्र सिंह राठी की देशभक्ति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने 1857 के विद्रोह में अपने प्राणों का बलिदान दिया था। विजय सिंह पथिक का असली नाम भूप सिंह राठी था। 

विजय सिंह पथिक ने अपना नाम क्यों बदला 

यह तो ऊपर बताया जा चुका है कि विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम क्या था? लेकिन आखिर उन्होंने अपना नाम बदला क्यों? दरअसल लाहौर असेंबली बम कांड में उनका भी नाम लिया जा रहा था। इस कारण से अंग्रेज उन्हें सजा देने के लिए ढूंढ रहे थे। अंग्रेजों से अपनी पहचान छिपाने के लिए उन्होंने अपना नाम भूप सिंह राठी से बदलकर विजय सिंह पथिक रख लिया था। 

एक क्रांतिकारी के रूप में विजय सिंह पथिक की भूमिका 

विजय सिंह पथिक का वास्तविक नाम क्या था में अब जानिए एक क्रांतिकारी के रूप में उनकी भूमिका : 

  • विजय सिंह पथिक युवा अवस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उन्होंने “वीर भारत” और अनुशील समिति जैसे क्रांतिकारी संगठनों के साथ काम किया था। 
  • उन्होंने हथियारों का संग्रह करना और क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने का भी काम किया था। 
  • उन्होंने अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ बिजौलिया किसान आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

एक पत्रकार और साहित्यकार के रूप में विजय सिंह पथिक की भूमिका

विजय सिंह पथिक एक क्रांतिकारी होने के साथ साथ एक कवि लेखक और पत्रकार भी थे। अजमेर से उन्होंने सन्देश और राजस्थान सदेश के नाम से दो हिंदी अख़बार निकाले थे। तरुण नाम के एक हिंदी साहित्य में वे “राष्ट्रीय पथिक” नाम से अपने विचार व्यक्त किया करते थे। उनके द्वारा लिखी गई कुछ प्रसिद्द पुस्तकें हैं : 

  • अजय मेरु (उपन्यास)
  • पथिक प्रमोद (कहानी संग्रह) 
  • पथिक के जेल के पत्र 
  • पथिक की कविताओं का संग्रह 

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