हिंदी साहित्य के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले महान साहित्यकार शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की प्रेरक रचनाएं समाज को सशक्त बनाने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की प्रमुख रचनाएं युवाओं के जीवन में सकारात्मकता का संचार करती हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं को मुख्य रूप से कविताओं और गद्य रचनाओं के रूप में विभाजित किया जा सकता है। शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की रचनाओं में मानवीय संवेदनाएं, राष्ट्रप्रेम, सामाजिक चेतना और जीवन के विविध आयामों का अद्भुत दर्शन मिलता है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं पढ़कर अपने जीवन को नई दिशा प्रदान कर पाएंगे।
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शिवमंगल सिंह सुमन के बारे में
शिवमंगल सिंह सुमन का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था। शिवमंगल सिंह सुमन ने हिंदी साहित्य में एम.ए. और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। अपने साहित्य से समाज का मार्गदर्शन करने वाले शिवमंगल सिंह सुमन ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा, उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति (वाइस चांसलर) के पद पर भी कार्य किया।
शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं गद्य और पद्य खंड में विभाजित हैं, साथ ही उन्होंने नाटक भी लिखें। उनके द्वारा रचित काव्य संग्रह में हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय-सृजन, विश्वास बढ़ता ही गया, पर आँखें नहीं भरीं, विंध्य हिमालय, मिट्टी की बारात, वाणी की व्यथा, कटे अगूठों की वंदनवारें आदि हैं। शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख पद्य रचनाएं महादेवी की काव्य साधना, गीति काव्य: उद्यम और विकास और उनके द्वारा रचित नाटक प्रकृति पुरुष कालिदास है।
‘मिट्टी की बारात’ संग्रह के लिए शिवमंगल सिंह सुमन को वर्ष 1974 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1974 में पद्मश्री और वर्ष 1999 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शिवमंगल सिंह सुमन का निधन 27 नवंबर 2002 को हुआ।
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शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं
शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित सूची में प्रकाशन वर्ष के साथ दी गई हैं –
शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं | प्रकाशन का समय |
हिल्लोल | वर्ष 1939 |
जीवन के गान | वर्ष 1942 |
हिम तरंगिनी | वर्ष 1947 |
युग का मोल | वर्ष 1945 |
प्रलय सृजन | वर्ष 1950 |
विकल प्रहाण | वर्ष 1951 |
विश्वास बढ़ता ही गया | वर्ष 1948 |
विध्य हिमालय | वर्ष 1960 |
मिट्टी की बारात | वर्ष 1972 |
वाणी की व्यथा | वर्ष 1980 |
कटे अँगूठों की वंदनवारें | वर्ष 1991 |
युग की गंगा | वर्ष 1953 |
मैं तुमसे पूछता हूँ | वर्ष 1976 |
वृक्ष और वटवृक्ष | वर्ष 1989 |
सुमन सागर | वर्ष 1990 |
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शिवमंगल सिंह सुमन की कुछ लोकप्रिय कविताएँ
शिवमंगल सिंह सुमन की प्रमुख रचनाएं, उनके द्वारा लिखित लोकप्रिय कविताओं का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। शिवमंगल सिंह सुमन की कुछ लोकप्रिय कविताएँ कुछ इस प्रकार हैं;
- सांसों का हिसाब
- चलना हमारा काम है
- मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार
- असमंजस
- पतवार
- जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला
- सूनी साँझ
- विवशता
- मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ
- आभार
- पर आँखें नहीं भरीं
- मृत्तिका दीप
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी / भाग १
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी / भाग २
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी / भाग ३
- बात की बात
- हम पंछी उन्मुक्त गगन के
- वरदान माँगूँगा नहीं
- मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ
- तूफानों की ओर घुमा दो नाविक
- मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला
- सहमते स्वर-1
- सहमते स्वर-2
- सहमते स्वर-3
- सहमते स्वर-4
- सहमते स्वर-5
- अंगारे और धुआँ
- मैं अकेला और पानी बरसता है
- चल रही उसकी कुदाली
- मिट्टी की महिमा
- रणभेरी
- पर आंखें नहीं भरीं इत्यादि।
FAQs
शिवमंगल सिंह सुमन की लोकप्रिय कविताएं “हिल्लोल, मिट्टी की बारात, वाणी की व्यथा, प्रलय सृजन, हम पंछी उन्मुक्त गगन के, पथ भूल न जाना पथिक कहीं!, मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला, फिर व्यर्थ मिला ही क्यों जीवन, आज देश की मिट्टी बोल उठी है, जेल में आती तुम्हारी याद, तब समझूँगा आया वसंत” इत्यादि हैं।
सुमन काव्य संग्रह के रचियता शिवमंगल सिंह सुमन हैं।
शिवमंगल सिंह का उपनाम ‘सुमन’ है।
‘वरदान मांगूंगा नहीं’ एक लोकप्रिय रचना है, जिसके रचियता शिवमंगल सिंह सुमन हैं। ये कविता आज भी समाज को प्रेरित करने का काम करती है।
शिवमंगल सिंह सुमन को वर्ष 1974 में ‘मिट्टी की बारात’ संग्रह के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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