सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान : जानिए स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के योगदान के बारे में 

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सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

सरोजिनी नायडू जिन्हे ‘भारत कोकिला’ के नाम से भी जाना जाता है। जो भारत में महिला सशक्तिकरण के चेहरे के रूप में प्रसिद्ध हुईं। वह एक महान कवयित्री, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और एक कुशल राजनीतिज्ञ थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका नमक सत्याग्रह के दौरान उजागर हुई, जिसमें वह गुजरात के धरसाना साल्ट वर्क्स में कई अन्य महिला प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हुईं। वहीं उन्हें ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ (INC) की पहली महिला प्रेसिडेंट भी बनाया गया था और वर्ष 1928 तक वे इस पद पर बनी रहीं। सरोजिनी नायडू के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान से जुड़े प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाते है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के बारे में जानेंगे। 

सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

स्टूडेंट्स के लिए सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान से जुड़ी जानकारी यहाँ दी गई है : 

  • सरोजिनी नायडू ने महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण की वकालत की।
  • 1905 में जैसे ही बंगाल का विभाजन शुरू हुआ, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिष्ठित नेताओं से जुड़ीं।
  • 1915-1918 के बीच उन्होंने महिलाओं को घर से बाहर निकलकर देश की आज़ादी के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • 1917 में, नायडू लंदन में संयुक्त चयन समिति के सामने महिलाओं के मताधिकार की वकालत करने के लिए होम रूल की अध्यक्ष एनी बीसेंट के साथ गए। उन्होंने लखनऊ संधि के लिए भी समर्थन दिखाया, जो ब्रिटिशों के बेहतर राजनीतिक सुधार के लिए एक संयुक्त हिंदू-मुस्लिम मांग थी।
  • 1917 में नायडू गांधी के सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन में शामिल हो गए।
  • 1919 में, नायडू ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी वकालत के एक हिस्से के रूप में असहयोग आंदोलन में भी शामिल हो गई। 
  • नायडू 1925 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष भी बनीं।
  • वह 1930 में महिलाओं को नमक मार्च में शामिल होने के लिए गांधीजी को मनाने के लिए भी जिम्मेदार थीं।
  • 1931 में, सरोजिनी नायडू गांधी-इरविन समझौते के तहत लंदन में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुईं। हालाँकि, उन्हें 1932 में जेल में डाल दिया गया था।
  • भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण, नायडू को 1941 में कारावास का सामना करना पड़ा।
  • 1947 में भारत की आज़ादी के बाद नायडू उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनी। 

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FAQs 

स्वतंत्रता आंदोलन में सरोजिनी नायडू का क्या योगदान रहा?

सरोजिनी नायडू ने गांधीजी के अनेक सत्याग्रहों में भाग लिया और ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में वे जेल भी गईं।

सरोजिनी नायडू का असली नाम क्या था?

सरोजिनी चट्टोपाध्याय उनका असली नाम है।

भारत की पहली कोकिला कौन है?

सरोजिनी नायडू , जिन्हें भारत की कोकिला भी कहा जाता है। 

सरोजिनी नायडू को नाइटिंगेल ऑफ इंडिया क्यों कहा जाता है?

उनकी प्रभावी वाणी और ओजपूर्ण लेखनी के कारण नाइटिंगेल ऑफ इंडिया कहा गया।

आशा है आपको सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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