Essay on Suryakant Tripathi Nirala in Hindi: हिंदी के महान साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” पर निबंध 

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Essay on Suryakant Tripathi Nirala in Hindi

Essay on Suryakant Tripathi Nirala in Hindi: हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ न केवल एक महान कवि थे बल्कि समाज सुधारक और स्वतंत्र विचारक भी थे। उनकी कविताओं में छायावाद, राष्ट्रभक्ति, सामाजिक जागरूकता और मानवता के गहरे भाव देखने को मिलते हैं। निराला जी की रचनाएँ साहित्य में नवाचार और विद्रोह का प्रतीक मानी जाती हैं, जिन्होंने हिंदी काव्य को एक नई दिशा दी। विद्यालयों और प्रतियोगी परीक्षाओं में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ पर निबंध (Suryakant Tripathi Nirala Essay in Hindi) लिखने के लिए कहा जाता है ताकि छात्र उनके जीवन, साहित्यिक योगदान और सामाजिक विचारों को समझ सकें। इस निबंध में हम उनके जीवन परिचय, लेखन शैली, प्रमुख कृतियाँ और हिंदी साहित्य में उनके योगदान पर विस्तार से जानेंगें।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर निबंध 100 शब्दों में

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” पर निबंध (Essay on Suryakant Tripathi Nirala in Hindi) 100 शब्दों में इस प्रकार है:

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के छायावादी युग के स्तंभों में से एक थे। उनका जन्म 21 फरवरी 1899 को बंगाल में हुआ था। उन्होंने हिंदी कविता को एक नया स्वरूप दिया और अपनी रचनाओं में समाज, प्रेम, प्रकृति और आध्यात्मिकता को प्रमुखता से स्थान दिया। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में परिमल, गीतिका, राम की शक्ति पूजा और अस्सी शामिल हैं। वे न केवल कवि बल्कि उपन्यासकार और निबंधकार भी थे। उनकी भाषा सशक्त, प्रवाहमयी और प्रभावशाली थी। 15 अक्टूबर 1961 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों को प्रेरित करती हैं और हिंदी साहित्य में अमर हैं।

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर निबंध 200 शब्दों में

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” पर निबंध (Essay on Suryakant Tripathi Nirala in Hindi) 200 शब्दों में इस प्रकार है:

हिंदी साहित्य के अमर हस्ताक्षर सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को महाप्राण कवि और लेखक के रूप में जाना जाता है। वे छायावादी युग के सबसे क्रांतिकारी रचनाकारों में से एक थे। उनका जन्म 21 फरवरी 1899 को बंगाल के मेदिनीपुर जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक यथार्थ, प्रकृति, प्रेम और दर्शन को अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया। उनकी प्रमुख कृतियाँ परिमल, गीतिका, राम की शक्ति पूजा, तुलसीदास और अपरिमिता आदि हैं।

निराला जी मुक्त छंद के प्रवर्तक थे और उन्होंने पारंपरिक बंधनों को तोड़ते हुए नई शैली को अपनाया। उनकी रचना राम की शक्ति पूजा मुक्त छंद का उत्कृष्ट उदाहरण है। वे केवल साहित्यकार ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी थे। उन्होंने शोषित वर्ग, नारी स्वतंत्रता और जातिगत भेदभाव के खिलाफ अपनी कलम चलाई। उनकी संवेदनशीलता इतनी प्रबल थी कि वे अक्सर गरीबों को अपने वस्त्र तक दे देते थे, इसलिए उन्हें “दीनबंधु निराला” कहा जाता था।

निराला जी को खाना बनाने का भी बहुत शौक था और वे कवि सम्मेलनों में स्वयं पकाकर अतिथियों को भोजन कराते थे। 15 अक्टूबर 1961 को उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में सदैव अमर रहेंगी और पाठकों को हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर निबंध 500 शब्दों में

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” पर निबंध (Essay on Suryakant Tripathi Nirala in Hindi) 500 शब्दों में इस प्रकार है:

प्रस्तावना

हिंदी साहित्य के अग्रणी कवियों में से एक, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ को हिंदी काव्य में नवचेतना का प्रवर्तक माना जाता है। उनका जन्म 21 फरवरी 1899 को उत्तर प्रदेश के मीरगंज में हुआ था। वे अपने समय के उन गिने-चुने कवियों में से थे जिन्होंने सामाजिक अन्याय, आर्थिक विषमता, और भारतीय समाज की रूढ़िवादी परंपराओं के विरुद्ध अपनी लेखनी चलाई। उनकी कविताएं न केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति थीं बल्कि वे समाज के प्रति एक क्रांतिकारी विचारधारा को भी प्रस्तुत करती थीं।

निराला की लेखन शैली

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को हिंदी साहित्य में छायावादी आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक माना जाता है। उन्होंने पारंपरिक लेखन शैली से अलग हटकर “नई कविता” की नींव रखी। उनकी रचनाओं में प्रकृति प्रेम, राष्ट्रीय चेतना, समाज सुधार और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। उनकी भाषा सरल, प्रभावशाली और संवेदनशील होती थी, जिसमें उन्होंने कठिन शब्दों और अलंकारों के बजाय सहज और सरल शब्दों का प्रयोग किया। वे हिंदी के पहले ऐसे कवि थे जिन्होंने मुक्त छंद में कविता लिखने की परंपरा शुरू की, जिससे साहित्य की अभिव्यक्ति में नयापन आया।

निराला की प्रमुख रचनाएं

निराला जी की साहित्यिक यात्रा विविधताओं से भरी हुई थी। उन्होंने कविता, उपन्यास, निबंध और कहानी सभी विधाओं में लेखन किया। उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में “राम की शक्ति पूजा,” “सरोज स्मृति,” “कुकुरमुत्ता,” “परिमल” और “अणिमा” शामिल हैं। उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में “अप्सरा,” “चोटी की पकड़,” और “कुल्ली भाट” प्रमुख हैं।

“राम की शक्ति पूजा” उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें उन्होंने भगवान राम के संघर्ष, आत्मबल और शक्ति प्राप्ति की गाथा को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। वहीं “सरोज स्मृति” उनकी व्यक्तिगत पीड़ा का प्रतीक है, जिसे उन्होंने अपनी बेटी सरोज की मृत्यु के बाद लिखा था।

निराला का जीवन संघर्ष और योगदान

निराला जी का जीवन कठिनाइयों से भरा था। आर्थिक संघर्ष, सामाजिक उपेक्षा और पारिवारिक विषमताओं के बावजूद उन्होंने साहित्य की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और इसे जनता की आवाज बनाया। उनके लेखन में जहां एक ओर समाज की कुरीतियों पर करारा प्रहार था, वहीं दूसरी ओर मानवता, प्रेम और करुणा का गहरा संदेश भी था।

निराला ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। वे महिलाओं की स्वतंत्रता, श्रमिकों के अधिकारों और जातिवाद के विरुद्ध अपनी रचनाओं में आवाज उठाते थे। वे केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांतिकारी भी थे, जिन्होंने अपनी लेखनी को समाज सुधार का माध्यम बनाया।

उपसंहार

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ न केवल एक महान कवि थे, बल्कि वे हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक भी थे। उनकी कविताएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। उन्होंने साहित्य को एक नया आयाम दिया और मुक्त छंद की परंपरा को स्थापित किया। उनकी रचनाएं समाज, राष्ट्र और व्यक्ति के जीवन के विविध पहलुओं को छूती हैं और हमें सोचने पर मजबूर करती हैं।

उनका योगदान हिंदी साहित्य में अमर है। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाज को न केवल दिशा दी, बल्कि एक नई ऊर्जा और चेतना का भी संचार किया। वास्तव में, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जैसा कोई दूसरा कवि नहीं हो सकता, और उनकी रचनाएं आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करती रहेंगी।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर 10 लाइन

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर 10 लाइनें इस प्रकार हैं:

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि, उपन्यासकार और निबंधकार थे।
  2. उनका जन्म 21 फरवरी 1899 को उत्तर प्रदेश के मीरगंज में हुआ था।
  3. वे छायावादी युग के चार प्रमुख कवियों में से एक थे।
  4. उनकी लेखन शैली में मुक्त छंद का प्रयोग हुआ, जो हिंदी साहित्य में नवीनता लेकर आया।
  5. उनकी प्रमुख रचनाओं में “राम की शक्ति पूजा,” “सरोज स्मृति,” “परिमल” और “अणिमा” शामिल हैं।
  6. उन्होंने अपनी कविताओं में राष्ट्रभक्ति, सामाजिक सुधार और आध्यात्मिकता को स्थान दिया।
  7. आर्थिक कठिनाइयों और सामाजिक संघर्षों के बावजूद उन्होंने साहित्य की सेवा की।
  8. उन्होंने समाज में नारी सशक्तिकरण और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई।
  9. उनकी रचनाएं आज भी हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में देखी जाती हैं।
  10. 15 अक्टूबर 1961 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका साहित्यिक योगदान अमर है।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर निबंध कैसे लिखें?

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पर निबंध (Suryakant Tripathi Nirala Essay in Hindi) लिखने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का पालन करें:

  1. प्रस्तावना से शुरुआत करें – निबंध की शुरुआत में निराला जी के महत्व और हिंदी साहित्य में उनके योगदान का संक्षिप्त परिचय दें।
  2. जीवन परिचय लिखें – उनके जन्म, शिक्षा, पारिवारिक जीवन और शुरुआती संघर्षों के बारे में बताएं।
  3. साहित्यिक योगदान पर फोकस करें – उनकी प्रमुख रचनाएं, लेखन शैली और साहित्य में उनकी विशिष्टता का उल्लेख करें।
  4. मुक्त छंद का प्रयोग – बताएं कि वे हिंदी साहित्य में मुक्त छंद के प्रवर्तक थे और इसका क्या महत्व है।
  5. मुख्य कृतियों का वर्णन करें – उनकी प्रसिद्ध कृतियों जैसे राम की शक्ति पूजा, सरोज स्मृति, परिमल आदि का संक्षिप्त विश्लेषण करें।
  6. सामाजिक और राष्ट्रीय विचारधारा – निराला जी के विचारों में समाज सुधार, नारी सशक्तिकरण और राष्ट्रभक्ति का विवरण दें।
  7. साहित्यिक शैली पर प्रकाश डालें – उनकी भाषा, शैली, विषयों की गहराई और प्रभावशाली अभिव्यक्ति का वर्णन करें।
  8. संघर्षों का उल्लेख करें – उनके आर्थिक और सामाजिक संघर्षों को शामिल करें, जिससे पाठक उनके व्यक्तित्व को और बेहतर समझ सकें।
  9. निष्कर्ष दें – निबंध के अंत में उनके साहित्यिक योगदान की महत्ता और वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता का उल्लेख करें।
  10. सरल और प्रभावी भाषा का प्रयोग करें – निबंध को स्पष्ट, रोचक और सुव्यवस्थित ढंग से लिखें ताकि पाठक आसानी से समझ सकें।

FAQs 

सूर्यकांत त्रिपाठी का विशेष नाम क्या है?

सूर्यकांत त्रिपाठी का विशेष नाम निराला है।  

निराला जी का प्रिय विषय क्या है?

निराला जी का प्रिय विषय छायावाद है। 

निराला शब्द का अर्थ क्या होता है?

निराला शब्द का अर्थ अनोखा होता है। 

निराला जी का प्रिय विषय क्या है?

निराला जी के प्रिय विषय समाज सुधार, नारी सशक्तिकरण, स्वतंत्रता संग्राम, मानवता, प्रकृति, ईश्वर भक्ति और शोषित वर्ग के प्रति सहानुभूति थे।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की भाषा शैली क्या थी?

निराला जी की भाषा शैली ओजपूर्ण, सरल, प्रवाहमयी और प्रभावशाली थी। उन्होंने हिंदी में संस्कृतनिष्ठ शब्दों का प्रयोग किया और मुक्त छंद को अपनाया, जिससे उनकी रचनाएं भावनाओं को प्रभावी रूप से व्यक्त कर सकीं।

निराला जी को महाप्राण क्यों कहा जाता है?

निराला जी को उनकी विद्रोही सोच, क्रांतिकारी विचारधारा, सामाजिक बंधनों को तोड़ने की हिम्मत और हिंदी साहित्य में स्वतंत्र रूप से अपनी पहचान बनाने के कारण “महाप्राण” कहा जाता है।

छायावाद में निराला का क्या महत्व है?

छायावादी युग के चार स्तंभों (जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और निराला) में से एक होने के नाते, उन्होंने इस आंदोलन को नई दिशा दी। उन्होंने मुक्त छंद को अपनाकर हिंदी कविता को आधुनिकता प्रदान की और समाज सुधार व राष्ट्रवाद को काव्य में शामिल किया।

निराला को दीनबंधु क्यों कहा जाता है?

निराला जी गरीबों, दलितों और शोषितों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति रखते थे। वे हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते थे और उनके दुखों को अपनी रचनाओं में अभिव्यक्ति देते थे, इसलिए उन्हें “दीनबंधु” कहा जाता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कैसे कवि थे?

निराला जी एक क्रांतिकारी, स्वतंत्र विचारक, समाज सुधारक और विद्रोही कवि थे। उनकी कविताओं में सामाजिक न्याय, राष्ट्रभक्ति और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है।

हिंदी साहित्य में निराला का क्या योगदान है?

हिंदी साहित्य में निराला जी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने मुक्त छंद कविता की शुरुआत की, छायावादी काव्य को समृद्ध किया, समाज सुधार और नारी स्वतंत्रता पर बल दिया, और साहित्य को नई दिशा दी। उनके लेखन ने हिंदी साहित्य को आधुनिकता की ओर बढ़ाया।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को विद्रोही कवि क्यों कहा जाता है?

निराला जी ने समाज की कुरीतियों, धार्मिक पाखंड, शोषण और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई। उन्होंने साहित्य में स्थापित परंपराओं को तोड़ते हुए नवीन प्रयोग किए और अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक जागरूकता फैलाई, इसलिए उन्हें “विद्रोही कवि” कहा जाता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की मृत्यु कहाँ हुई थी?

निराला जी की मृत्यु 15 अक्टूबर 1961 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुई थी।

निराला जी के काव्य की मुख्य विशेषता क्या थी?

उनके काव्य की प्रमुख विशेषताएं मुक्त छंद का प्रयोग, भावनाओं की गहराई, समाज सुधार, ओजपूर्ण भाषा, राष्ट्रप्रेम, प्रकृति चित्रण, नारी जागरण और शोषित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता थीं।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब दिया गया था?

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार 1972 में दिया गया था।

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