पंचतंत्र नीति, कथा और कहानियों का संग्रह है जिसके मशहूर भारतीय रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा है। पंचतंत्र की कहानी में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी रुचि लेते हैं। पंचतंत्र की कहानी के पीछे कोई ना कोई शिक्षा या मूल छिपा होता है जो हमें सीख देती है। पंचतंत्र की कहानी बच्चे बड़ी चाव से पढ़ते हैं तथा सीख लेते हैं। पंचतंत्र की कुछ कहानियां ऐसी भी है जो हिंदी में कहानी लेखन में दी जाती हैं तथा इसके साथ-साथ कई परीक्षाओं में भी panchtantra ki kahani कुछ पाठ्यपुस्तक में दी होती है जो लिखने को आती हैं। महत्वपूर्ण और आकर्षक 10 कहानियां इस ब्लॉग में दी गई हैं। आइए जानते हैं पंचतंत्र की कहानियां कौनसी हैं।
This Blog Includes:
- आचार्य विष्णु शर्मा
- पंचतंत्र के भाग
- पंचतंत्र की कहानियां: चालाक खटमल
- एक प्यासा कौआ
- संगठन में शक्ति है
- एक लालची कुत्ता
- एक चतुर टोपी-विक्रेता
- एक ईमानदार लकड़हारा
- भूखी लोमड़ी/लोमड़ी और अंगूर
- पंचतंत्र की कहानियां: एक गड़रिया जो झूठ बोला
- खरगोश और शेर
- रंगा सियार
- पंचतत्र की नई-नई कहानियां
- टपका का डर
- चतुर चूहा
- लालची मित्र
- शरारती बंदर
- सुंदरवन की कहानी
- चिड़ियाघर की सैर
- पंचतंत्र की कहानियां
- FAQs
आचार्य विष्णु शर्मा
संस्कृत के लेखक विष्णु शर्मा पंचतंत्र संस्कृत की नीति पुस्तक के लेखक माने जाते हैं। जब यह ग्रंथ बनकर तैयार हुआ तब विष्णु शर्मा की उम्र 40 साल थी। विष्णु शर्मा दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे। एक राजा के 3 मूर्ख पुत्र थे जिनकी जिम्मेदारी विष्णु शर्मा को दे दी गई विष्णु शर्मा को यह पता था कि यह इतने मूर्ख हैं कि इनको पुराने तरीकों से नहीं पढ़ाया जा सकता तब उन्होंने जंतु कथाओं के द्वारा पढ़ाने का निश्चय किया। पंचतंत्र को पांच समूह में बनाया गया जो 2000 साल पहले बना। महामहोपाध्याय पं॰ सदाशिव शास्त्री के अनुसार पंचतन्त्र के रचयिता विष्णुशर्मा चाणक्य का ही दूसरा नाम था। इसके आधार पर उनके अनुसार पंचतन्त्र की रचना चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में ही हुई है और इसका रचना काल 300 ई.पू. माना जा सकता है।
पंचतंत्र के भाग
पंचतंत्र को पांच भागों में बांटा गया हैं।
- मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव)
- मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति (मित्र प्राप्ति या उसके लाभ)
- संधि-विग्रह/काकोलूकियम (कौवे या उल्लुओं की कथा)
- लब्ध प्रणाश (मृत्यु या विनाश के आने पर; यदि जान पर आ बने तो क्या?)
- अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें; हड़बड़ी में क़दम न उठाएं)
पंचतंत्र की कहानियां: चालाक खटमल
एक राजा के शयनकक्ष में मंदविसर्पिणी नाम की जूँ ने डेरा डाल रखा था। रात को जब राजा जाता तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूसकर, फिर अपने स्थान पर जा छिपती। संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में आ पहुँचा। जूँ ने जब उसे देखा तो वहाँ से चले जाने को कहा। उसे अपने अधिकार क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नहीं था। लेकिन खटमल भी कम चतुर नहीं था, बोला, “देखो, मेहमान से इस तरह बरताव नहीं किया जाता, आज रात मैं तुम्हारा मेहमान हूँ।”
जूँ अंतत: खटमल की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई और उसे शरण देते हुए बोली, “ठीक है, तुम यहाँ रातभर रुक सकते हो, लेकिन राजा को काटोगे तो नहीं, उसका खून चूसने के लिए?” खटमल बोला, “लेकिन मैं तुम्हारा मेहमान है, मुझे कुछ तो दोगी खाने लिए। और राजा के खून से बढ़िया भोजन और क्या हो सकता है।” “ठीक है।” जूँ बोली, “तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना, उसे पीड़ा का एहसास नहीं होना चाहिए।” ‘जैसा तुम कहोगी, बिल्कुल वैसा ही होगा।” कहकर खटमल शयनकक्ष में राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा ।रात ढलने पर राजा आया और बिस्तर पर पड़कर सो गया। खटमल सबकुछ भूलकर राजा को काटने दौड़ा और खून चूसने लगा। ऐसा स्वादिष्ट खून उसने पहली बार चखा था, इसलिए वह जोर-जोर से काटकर खून चूसने लगा। इससे राजा के शरीर में तेज खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई।
उसने क्रोध में भरकर अपने सेवकों से काटनेवाले जीव को ढूँढ़कर मारने को कहा।यह सुनकर चतुर खटमल तो पलंग के पाए के नीचे छिप गया, लेकिन चादर के कोने पर बैठी जूँ राजा के सेवकों की नजर में आ गई। उन्होंने उसे पकड़ा और मार डाला।
शिक्षा : जाँच-परखकर के बाद ही अनजानों पर भरोसा करें।
एक प्यासा कौआ
Image Source: mom junction
एक बार एक कौआ था। एक दिन वह बहुत प्यासा था। वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ा। उसने एक जग देखा। इसमें पानी थोड़ा था। उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच सकी। कौआ बहुत चतुर था। उसने एक योजना सोची। वह पत्थरों के कुछ टुकड़े लाया उसने उन्हें जग में डाले। पानी ऊपर आ गया। उसने पानी पिया। वह बहुत खुश हुआ। वह उड़ गया।
शिक्षा : बुद्धिमानी का फल मिलता है।
संगठन में शक्ति है
एक बार एक बूढ़ा किसान था। उसके चार पुत्र थे। ॐ एक-दूसरे से सदैव झगड़ते थे। उसने उन्हें नहीं झगडने की सलाह दी, किन्तु सब व्यर्थ । एक दिन वह किसान बहुत बीमार हो गया। उसने अपने पुत्रों को बुलाया। उसने उन्हें लकड़ियों का एक बंडल दिया। उसने उनसे इसे तोड़ने को कहा । कोई भी इसे नहीं तोड़ सका। उसने इस बंडल को खोलने को कहा। फिर किसान ने अपने लड़कों को लकड़ियाँ तोड़ने को कहा। उन्होंने एक-एक करके सरलता से लकड़ियाँ तोड़ दीं। अब किसान ने अपने लड़कों से कहा-“यदि तुम लकड़ियों के बंडल की तरह इकट्ठे (संगठित) रहोगे,कोई तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचा सकता है । यदि तुम झगड़ोगे, कोई भी तुम्हें नुकसान पहुंचा सकता है।” उसके लड़कों ने एक शिक्षा ली। वे फिर कभी भी नहीं झगड़े। किसान प्रसन्न हुआ।
शिक्षा : संगठन में शक्ति है।
एक लालची कुत्ता
एक बार एक कुत्ता बहुत भूख था ! वह भोजन की तलाश में इधर- उधर गया । उसे कसाई की दुकान के पास हड्डी का एक टुकड़ा मिला। वहाँ पानी का एक नाला था। नाले के ऊपर एक पुल था। वह पुल को पार कर रहा था। कुत्ते ने अपनी परछाईं पानी में देखी। कुत्ते ने सोचा कि हड्डी का टुकड़ा लिये हुए यह दूसरा कुत्ता था। कुत्ता लालची था। वह इसे भी लेनाचाहता था। वह उसकी तरफ भौंका । इसका टुकड़ा पानी में गिर गया। वह बहुत दुःखी हुआ।
शिक्षा : लालच बुरी बला है।
एक चतुर टोपी-विक्रेता
एक बार एक टोपी विक्रेता था। वह गाँव-गाँव अपनी टोपिया बेचने जाता था। एक बार जब वह एक गाँव पहुंचा तो बहुत थक गया। उसने अपनी टोकरी नीचे रखी और पेड़ के नीचे सो गया। वृक्ष पर कुछ बंदर थे। बंदर नीचे आये और उसकी टोपिर्चा ले गये । थोड़ी देर के पश्चात् टोपी विक्रेता जाग गया। उसे अपनी टोपियाँ नहीं मिलीं। उसने ऊपर देखा । उसने बंदरों को अपनी टोपियों के साथ देखा। उसने एक योजना सोची। उसने अपनी टोपी पहनी। बंदरों ने भी ऐसा ही किया। उसने अपनी टोपी जमीन पर फेंकी। बंदरों ने भी ऐसा ही किया । उसने टोपियाँ एकत्र की। वह चला गया। वह बहुत प्रसन्न था।
शिक्षा : कभी हिम्मत मत हारो।
एक ईमानदार लकड़हारा
एक बार एक गरीब लकड़हारा था। वह प्रतिदिन लकड़ी काटने जाता था। एक दिन वह नदी के निकट लकड़ी काट रहा था। उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। वह रोया और सहायता के लिए चिल्लाया। जल-देवता प्रकट हुआ। वह सोने की एक कुल्हाड़ी लाया। लकड़हारे ने इसे लेने से मनाकर दिया। फिर देवता चाँदी की एक कुल्हाड़ी लाया । उसने लकड़हारे से उस कुल्हाड़ी को लेने को कहा। उसने उसे भी लेने से मना कर दिया क्योंकि वह उसकी कुल्हाड़ी नहीं थी। फिर जल-देवता उसकी असली कुल्हाड़ी लाया। उसने लकडहारे से इसे लेने के लिये कहा। उसने इसे ले ली। जल-देवता उसकी इमानदारी पर बहुत खुश हुए । उसने तीनों कुल्हाड़ियाँ उसे दे दी। वह बहुत प्रसन्न हुआ और देवता को धन्यवाद दिया।
शिक्षा : ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।
भूखी लोमड़ी/लोमड़ी और अंगूर
एक बार एक लोमड़ी थी। एक दिन वह बहुत भूखी था । वह भोजन की तलाश में इधर-उधर गई। वह अंगूरों के एक बगीचे में गई। उसने पके हुए और मीठे अंगूरों का एक गुच्छा देखा। वह प्रसन्न हुई। वह उन्हें खाना चाहती थी। किन्तु गुच्छा ऊँचा था। लोमड़ी उन तक नहीं पहुँच सकी। वह इसकी ओर बार-बार कूदी। वह थक गई । वह उनको नहीं पकड़ सकी। वह चली गई। उसने कहा, “अंगूर खट्टे हैं।” वह बहुत दुःखी हुई।
शिक्षा : हाथ नहीं आने वाले अंगूरों को खट्टा बताया जाता है।
पंचतंत्र की कहानियां: एक गड़रिया जो झूठ बोला
एक बार एक गड़रिया लड़का था। वह प्रत्येक दिन भेड़ों को मैदान में ले जाता था । एक दिन वह चिल्लाया-” भेड़िया, भेड़िया, सहायता करो। ” गाँव वाले दौड़े और वहाँ आये। उन्होंने वहाँ भेड़िया नहीं देखा। लड़का उन पर हँसा। वे नाराज हुए और वापस लौट गये। कुछ दिनों के बाद एक भेड़िया वहाँ आया। लड़का सहायता के लिए बार-बार चिल्लाया। कोई नहीं आया। भेड़िये ने लड़के को मार डाला।
शिक्षा : एक बार का झूठा सदैव का झूठा।
खरगोश और शेर
एक बार एक जंगल में एक शेर था। वह बहुत से जानवरों को मारा करता था। सभी जानवर शेर के पास दया के प्रार्थना करने गये। शेर प्रतिदिन सुबह एक जानवर चाहनः था। वे इसके लिए सहमत हो गये। एक दिन एक खरगोश की बारी थी। उसने शेर को सजा देने की सोची। वह शेर की गुफा में बहुत देरी से पहुँचा। शेर क्रोधित हुआ। खरगोश ने कहा कि उसे एक अन्य शेर ने रो लिया था। वह शेर उस दूसरे शेर को मार डालना चाहत था। खरगोश उसे एक कुएँ पर ले गया। कुएँ में शेर ने अपनी परछाई देखी। वह कुएं में कूद गया। वह डूबकर मर गया। जंगल के सभी जानवर खुश हुए।
शिक्षा : बुद्धि ही बल है ।
रंगा सियार
किसी जंगल में एक सियार रहता था। वह अपनी चालाकी के कारण अकेला रहता था। एक रात खाने की तलाश में घूमता-घूमता जंगल से बाहर निकल गया। रात के उजाले में उसे नील से भरी एक बड़ी टंकी दिखाई दी। उसने सोचा कि उसमें जरूर खाने की कोई चीज होगी। वह टंकी पर उछल कर चढ़ गया। उसने नील की टंकी में मुँह डालकर देखा कि उसमें क्या है? टंकी थोड़ी खाली थी। इसलिए उसने जैसे ही मुँह नीचे बढ़ाने की कोशिश की वैसे ही वह टंकी में गिर पड़ा। उसने टंकी से निकलने की बहुत कोशिश की पर वह निकल नहीं सका । अन्त में वह किसी प्रकार बाहर निकला। उसने पानी में अपना शरीर देखा, वह पूरा नीला था।
सोचते-सोचते सियार जंगल में पहुँचा। उसने अपने अन्य सियारों से कहा कि उसे कल रात वनदेवी मिली थी। उन्होंने मुझे यह रूप दिया और जंगल का राजा बना दिया। सभी उसकी बातों में आ गये। सियार जंगल का राजा बन गया । एक बूढ़े सियार को उसकी बातों पर शक हुआ। उसने कुछ सियारों के कान में कहा और उन सभी ने मिलकर ‘हुआ- हुआ’ करना शुरू कर दिया। रंगे सियार से भी नहीं रहा गया। वह भी ‘हुआ-हुआ’ करने लगा । इस प्रकार उसका भेद खुल गया और जंगल के असली राजा सिंह द्वारा रंगा सियार मार डाला गया।
शिक्षा -न कभी असलियत को छुपाना चाहिए न छल करना चाहिए।
पंचतत्र की नई-नई कहानियां
टपका का डर
बरसात का दिन था। चारों ओर पानी बरस रहा था । जंगल में बुढ़िया का घर भीग रहा था । जल्दी ही बुढ़िया का घर टपकने लगा । बुढ़िया परेशान हो उठी । परन्तु करती भी क्या ? छप्पर को छाए कौन ?
थोड़ी देर में ओले भी पड़ने लगे । बेर बराबर ओले ! उधर एक बाघ ओलों की मार से परेशान हो उठा । कूदते-फाँदते वह बुढ़िया के घर के पास पहुँचा । बुढ़िया अन्दर चावल पका रही थी । चूल्हे पर पानी टपक रहा था, टप-टप। वह झुंझला उठी और बोली – “मुझे टपका से इतना डर लगता है जितना बाघ से भी नहीं।”
बाघ ने सोचा बुढ़िया मुझसे तो नहीं डरती मगर टपका से डरती है। जरूर टपका मुझसे भी बड़ा जानवर होगा। बस इतना सोचते ही बाघ घबराया और सिर पर पैर रखकर भाग गया ।
शिक्षा – मुसीबत के समय हमेशा चतुराई से काम करना चाहिए।
चतुर चूहा
एक चूहा था। वह रास्ते पर जा रहा था। उसे कपड़े का एक टुकड़ा मिला। वह उसे लेकर आगे बढ़ा । उसने एक दरजी की दुकान देखी । दरजी के पास जाकर उसने कहा
चूहा : दरजी रे दरजी ! इस कपड़े की टोपी सी दे ।
दरजी :यह कौन बोल रहा है ?
चूहा : मैं चूहा;, चूहा बोल रहा हूँ । इसकी एक टोपी सी दे चल….. रास्ता नाप । वरना कैंची उठाकर मारूँगा ।
दरजी : चल… रास्ता नाप। वरना कैची उठा कर मारूंगा ।
चूहा: अरे ! तू मुझे डरा रहा है।
कचहरी में जाऊँगा, सिपाही को बुलाऊँगा, तुझे खूब पिटवाऊँगा, और तमाशा देखूँगा ।
यह सुन दरजी डर गया। उसने झटपट टोपी सी दी ।
टोपी पहनकर चूहा आगे बढ़ा। रास्ते में कशीदाकार की दुकान देखी। चूहे को टोपी पर कशीदा कढ़ाने की इच्छा हुई ।।
चूहा : भाई ! मेरी टोपी पर थोड़ा कशीदा काढ़ दे। कशीदाकार ने चूहे की ओर देखा । फिर उसे धमकाया और कहा ‘चल… चल… यहाँ किसे फुरसत है !”
चूहा : अच्छा, तो तू भी मुझे भगा रहा है, लेकिन सुन,
कचहरी में जाऊँगा, सिपाही को बुलाऊँगा, तुझे खूब पिटवाऊँगा, और तमाशा देखूगा।
यह सुन कशीदाकार घबराया। उसने चूहे को कचहरी में जाने से रोका। उससे टोपी लेकर उस पर अच्छा कशीदा काढ़ दिया। चूहा तो खुश हो गया ।
शिक्षा: जीवन में किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए
लालची मित्र
किसी गाँव में दो मित्र रहते थे। एक बार उन्होंने किसी दूसरी जगह जाकर धन कमाने की सोची। दोनों यात्रा पर निकल पड़े। रास्ते में जंगल पड़ता था। जब वे जंगल से गुजर रहे थे, तो उन्हें एक भालू अपनी ओर आता दिखाई दिया। दोनों मित्र डर गए। उनमें से एक को पेड़ पर चढ़ना आता था. वह भालू से बचने के लिए पेड़ पर चढ़ गया, पर दूसरा नीचे रह गया। जब उसे भालू से बचने का कोई रास्ता न सूझा तो साँस बंद करके जमीन पर लेट गया। उसने अपनी साँस को इस तरह रोक लिया मानो वह मर गया हो।
भालू उसके नजदीक आया। उसने जमीन पर लेटे हुए मित्र को सूँघा और उसे मरा हुआ जानकर चल दिया। क्योंकि भालू मृत जीव को नहीं खाता जब भालू उसकी आँखों से ओझल हो गया तो वह उठ गया और तब पेड़ पर बैठा मित्र भी नीचे उतर आया। उसने पूछा, “मित्र! मुझे बेहद खुशी है कि तुम्हारी जान गई। पर एक बात बता, भालू ने तेरे कान में क्या कहा?”
दूसरा मित्र अपने मित्र से पहले ही नाराज था। वह उसे उसकी गलती का अहसास कराना चाहता था इसलिए बोला, “मित्र भालू ने मुझे एक बहुत ही काम की बात कही है। उसने कहा है कि ऐसे मित्र का साथ छोड़ दो, जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ न दे और तुम्हें अकेला छोड़ जाए।” अपने मित्र की बात सुनकर पहला मित्र बहुत लज्जित हुआ।
शिक्षा-सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति में ही होती है।
शरारती बंदर
एक समय की बात है , एक जंगल में एक शरारती बंदर रहा करता था। वह बन्दर सभी को पेड़ों से फल फेक – फेक करके मारा करता था। गर्मी का मौसम था पेड़ों पर खूब ढ़ेर सारे आम लगे हुए थे।
बंदर सभी पेड़ों पर घूम-घूमकर आमो का रस चूसता और खूब मजे करता।
नीचे आने – जाने वाले जानवरों पर वह ऊपर से बैठे-बैठे आम फेंक कर मारता और खूब हंसता।
एक समय हाथी उधर से गुजर रहा था।
बंदर जो पेड़ पर बैठकर आम खा रहा था , वह अपने शरारती दिमाग से लाचार था।
बन्दर ने हाथी पर आम तोड़कर मारा।एक आम हाथी के कान पर लगी और एक आम उसके आंख पर लगी। इससे हाथी को गुस्सा आया। उसने अपना सूंढ़ ऊपर उठाकर बंदर को गुस्से में लपेट लिया और कहा कि मैं आज तुझे मार डालूंगा तू सब को परेशान करता है। इस पर बंदर ने अपने कान पकड़ लिए और माफी मांगी।
अब से मैं किसी को परेशान नहीं करूंगा और किसी को शिकायत का मौका नहीं दूंगा।
बंदर के बार बार माफी मांगने और रोने पर हाथी को दया आ गई उसने बंदर को छोड़ दिया।
कुछ समय बाद दोनों घनिष्ट मित्र हो गए।
बंदर अब अपने मित्र को फल तोड़ – तोड़ कर खिलाता और दोनों मित्र पूरे जंगल में घूमते थे।
शिक्षा: किसी को परेशान नहीं करना चाहिए उसका परिणाम बुरा ही होता है।
सुंदरवन की कहानी
सुंदरवन नामक एक खूबसूरत जंगल था। वहां खूब ढ़ेर सारे जानवर , पशु – पक्षी रहा करते थे। धीरे – धीरे सुंदरवन की सुंदरता कम होती जा रही थी।
पशु-पक्षी भी वहां से कहीं दूसरे जंगल जा रहे थे।
कारण यह था कि वहां पर कुछ वर्षों से बरसात नहीं हो रही थी।
जिसके कारण जंगल में पानी की कमी निरंतर होती जा रही थी। पेड़ – पौधों की हरियाली खत्म हो रही थी , और पशु पक्षियों का मन भी वहां नहीं लग रहा था।
सभी वन को छोड़कर दूसरे वन में जा रहे थे कि गिद्धों ने ऊपर उड़ कर देखा तो उन्हें काले घने बादल जंगल की ओर आते नजर आए।
उन्होंने सभी को बताया कि जंगल की तरफ काले घने बादल आ रहे हैं , अब बारिश होगी।
इस पर सभी पशु-पक्षी वापस सुंदरबन आ गए।
देखते ही देखते कुछ देर में खूब बरसात हुई।
बरसात ईतनी हुई कि वह दो-तीन दिन तक होती रही।
सभी पशु पक्षी जब बरसात रुकने पर बाहर निकले तब उन्होंने देखा उनके तालाब और झील में खूब सारा पानी था। सारे पेड़ पौधों पर नए-नए पत्ते निकल आए थे।
इस पर सभी खुशी हुए और सभी ने उत्सव मनाया।
सभी का मन प्रसन्नता बत्तख अब झील मैं तैर रहे थे हिरण दौड़-दौड़कर खुशियां मना रहे थे और ढेर सारे पप्पीहे – दादुर मिलकर एक नए राग का अविष्कार कर रहे थे।
इस प्रकार सभी जानवर , पशु – पक्षी खुश थे अब उन्होंने दूसरे वन जाने का इरादा छोड़ दिया था और अपने घर में खुशी खुशी रहने लगे।
शिक्षा: धैर्य का फल मीठा होता है।
चिड़ियाघर की सैर
अमन अपने माता-पिता के साथ चिड़ियाघर की सैर करने जाता है। अमन क्योंकि बच्चा है और वह अपनी मम्मी के गोदी में चलता है , इसलिए चिड़ियाघर में उसके लिए टिकट नहीं लगता। मम्मी – पापा ने अपना टिकट लिया और वह तीनों मिलकर चिड़ियाघर के अंदर चले। अमन ने चिड़ियाघर के अंदर देखा एक तालाब है उसमें ढेर सारे बत्तख और बगुला तैर रहे हैं। उसे बहुत ही अच्छा लगा फिर उसने देखा एक बंदर है। वह छोटे-छोटे बंदरों को खिला रहा है , और उसके पीछे छोटे – छोटे बंदर भाग रहे हैं। वह उसके पापा होंगे। अमन ने फिर आगे एक भालू को देखा एक जिराफ को देखा और ढेर सारे शेर को भी देखा वह तेज-तेज चिल्ला रहा था , छोटे-छोटे बच्चे डर कर भाग रहे थे।
फिर चिंटू ने देखा एक हाथी का झुंड वहां पर खड़ा था और उसके छोटे – छोटे बच्चे भी वहां पर थे। वह आपस में खेल रहे थे और इस तमाशे को वहां खड़े ढेर सारे बच्चे देख रहे थे। अमन भी खड़ा हुआ और और हाथी के झुंड को दिखने लगाओ जब वहां से चले तो अमन अपनी मम्मी के गोदी में नहीं चल रहा था।
अमन ने देखा वहां छोटे-छोटे बच्चे आए हैं।
वह अपने पैर पर चल रहे थे कोई भी अपने मम्मी – पापा के गोदी में नहीं चल रहा था।
इस पर अमन भी अपने छोटे-छोटे पैरों से चलने लगा इस पर अमन के मम्मी – पापा को बहुत खुशी हुई क्योंकि अब उसका बेटा चलना सीख रहा था।
अमन चिड़ियाघर में रेलगाड़ी से भी शैर की और ऊंट की सवारी भी की।
शिक्षा: बच्चे अनुकरण से सीखते है , बच्चों के मन के विकास के लिए उन्हें दुनिया का रूप दिखाना चाहिए।
पंचतंत्र की कहानियां
FAQs
पंचतंत्र के लेखक का नाम आचार्य विष्णु शर्मा है।
पंचतंत्र की कहानियां इस प्रकार हैं: अक्लमंद हंस, आपस की फूट, एक और एक ग्यारह, एकता का बल, कौए और उल्लू।
पंचतंत्र की कहानियां रचना मूलतः संस्कृत भाषा में की गई थी।
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