Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi: ‘भारतीय संविधान निर्माता’ भीमराव अंबेडकर पर ऐसे दें भाषण  

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Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi

जब भी हम भारत के संविधान, समानता और सामाजिक न्याय की बात करते हैं, तो एक नाम सबसे पहले हमारे मन में आता है – डॉ. भीमराव अंबेडकर। वे न केवल भारत के संविधान निर्माता थे, बल्कि एक महान समाज सुधारक, शिक्षाविद और दलित वर्ग के सशक्तिकरण के प्रतीक भी थे। स्कूल हो या कॉलेज, प्रतियोगिता हो या मंच, डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) देना हर विद्यार्थी के लिए गर्व की बात होती है।

इस ब्लॉग में आपको भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Speech on Bhimrao Ambedkar in Hindi) के कई प्रेरणादायक और सरल भाषण के सैंपल मिलेंगे, जिन्हें आप अपनी ज़रूरत के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं। चाहे आप 1 मिनट का छोटा भाषण ढूंढ रहे हों या 5 मिनट का विस्तृत स्पीच – यहां हर फॉर्मेट में भाषण उपलब्ध है।

अगर आप भी मंच पर आत्मविश्वास के साथ बोलना चाहते हैं और डॉ. अंबेडकर के विचारों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपकी पूरी मदद करेगा। आइए, इस महान व्यक्तित्व को शब्दों के माध्यम से श्रद्धांजलि देते हैं।

डाॅ. भीमराव अंबेडकर के बारे में

डाॅ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में एक निर्धन परिवार में हुआ था। भीमराव अंबेडकर जी के बचपन का नाम भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर था। भीमराव अंबेडकर जी ने भारत राष्ट्र की उन्नति के लिए भारतीय संविधान का निर्माण किया। भारत राष्ट्र को समर्पित भीमराव अंबेडकर जी 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65) पंचतत्व में विलीन हो गए।डॉ. बी. आर. अंबेडकर को समानता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। बाबासाहब ने जीवनभर छूआछूत का विरोध किया और दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए सरहानीय कार्य भी किए। अंबेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया और कानून मंत्री के लिए चुने गए। वह आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे। बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 100 शब्दों में

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) 100 शब्दों में इस प्रकार है:

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सम्मानित शिक्षकगण, अतिथिगण और मेरे प्रिय साथियों,

आज मैं आप सभी के सामने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता/चाहती हूं। उन्होंने जीवनभर छुआछूत, जातिवाद और सामाजिक असमानता के विरुद्ध संघर्ष किया। वे हमारे संविधान के मुख्य शिल्पकार थे और उन्होंने हमेशा शिक्षा, समानता और अधिकारों की बात की। उनका यह कथन बहुत प्रसिद्ध है – “जो अपने अधिकारों से वंचित है, वह समाज से भी वंचित हो जाता है।” आज भी उनके विचार हमें एक न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

धन्यवाद।

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 150 शब्दों में

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) 150 शब्दों में इस प्रकार है:

नमस्कार सम्मानितजन और अतिथिगण,
आज मैं ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने जा रहा/रही हूं जिन्होंने हमारे देश को संविधान के माध्यम से नई दिशा दी—डॉ. भीमराव अंबेडकर। जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर कहा जाता है, वे एक दूरदर्शी नेता, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के निर्माता थे। 14 अप्रैल 1891 को एक दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर को जीवन भर भेदभाव और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। फिर भी उन्होंने शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की और कानून व अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट सहित कई डिग्रियां हासिल कीं।

उन्होंने अपना जीवन सामाजिक अन्याय से लड़ने और समाज में समानता लाने के लिए समर्पित कर दिया। प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने ऐसा संविधान तैयार किया, जो हर नागरिक को मौलिक अधिकार देता है।

डॉ. अंबेडकर शिक्षा, महिला अधिकारों और आर्थिक सशक्तिकरण के समर्थक थे। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया, जिससे लाखों लोगों को समानता और शांति की प्रेरणा मिली। उनकी विरासत आज भी हमें न्याय और बराबरी का मार्ग दिखाती है।
धन्यवाद।

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 200 शब्दों में

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) 200 शब्दों में इस प्रकार है:

सभी आदरणीय शिक्षकों, सहपाठियों और उपस्थित जनों को मेरा नमस्कार।
आज मैं यहां भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के जीवन और योगदान पर अपने विचार साझा करने जा रहा/रही हूं। डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू नामक स्थान पर एक दलित परिवार में हुआ था। बचपन में ही उन्हें जातिगत भेदभाव और सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। शिक्षा को अपना हथियार बनाते हुए उन्होंने देश-विदेश में पढ़ाई की और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने समाज में व्याप्त अस्पृश्यता, जातिवाद और असमानता के खिलाफ आवाज़ उठाई। डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख रचनाकार थे। उन्होंने ऐसा संविधान तैयार किया जो प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है। वे महिलाओं के अधिकारों, श्रमिकों की सुरक्षा और शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने ‘बहिष्कृत हितकारिणी सभा’ जैसी संस्थाएं बनाईं, जो दलितों के उत्थान के लिए काम करती थीं। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया और करोड़ों लोगों को समानता का मार्ग दिखाया। क्या आप जानते हैं अंबेडकर को भारत में “दलितों के पिता” के रूप में जाना जाता है। बाबासाहेब का जीवन संघर्ष, साहस और सामाजिक न्याय की मिसाल है। उनके विचार आज भी हमें समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की प्रेरणा देते हैं।
धन्यवाद।

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 300 शब्दों में

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) 300 शब्दों में इस प्रकार है:

सभी को नमस्कार।
मुझे आज अंबेडकर जयंती के इस पावन अवसर पर आप सभी के समक्ष भाषण प्रस्तुत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उन्होंने अपने पूरे जीवन में समाज में व्याप्त जातिवाद, उससे उत्पन्न भेदभाव और अस्पृश्यता के खिलाफ निरंतर संघर्ष किया। वे उस युग के फेमिनिस्ट कहे जा सकते हैं, क्योंकि उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज जिस हिंदू कोड बिल की बात होती है, उसका श्रेय डॉ. अंबेडकर को ही जाता है। उन्हें भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है और भारतीय लोकतंत्र में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।

29 अगस्त 1947 को डॉ. बी.आर. अंबेडकर को सात अन्य सदस्यों के साथ स्वतंत्र भारत का संविधान तैयार करने के लिए मसौदा समिति में नियुक्त किया गया, और उन्हें इस समिति का अध्यक्ष चुना गया। डॉ. अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता, समानता, न्याय और भेदभाव रहित समाज की गारंटी देता है। इसमें अस्पृश्यता के उन्मूलन और सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की व्यवस्था की गई है। उनके कई उत्कृष्ट योगदानों के कारण उन्हें भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में सम्मानित किया गया। सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने हेतु उनके प्रयास आज भी प्रेरणादायक हैं, और यही कारण है कि उन्हें दलितों का मसीहा भी कहा जाता है।

संविधान को 26 नवंबर 1949 को संसद द्वारा पारित किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, जिसे हम आज गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। डॉ. अंबेडकर ने भारतीय कानून और शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी नामक एक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे भारत के पहले कानून मंत्री बने और संविधान निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में न्यायपूर्ण, समतामूलक और आधुनिक राष्ट्र की नींव रखी। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का जीवन और उनके विचार आज भी हम सबके लिए प्रेरणा हैं।
धन्यवाद।

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण कैसे दें?

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण देने के लिए टिप्स छात्रों के लिए इस प्रकार है:

  • भाषण की शुरुआत “सभी को नमस्कार” जैसे अभिवादन से करें।
  • डॉ. अंबेडकर का जन्म, शिक्षा और प्रमुख योगदान का संक्षिप्त परिचय दें।
  • मुख्य बिंदुओं को क्रम से और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत करें।
  • जहां ज़रूरी हो, वहां उदाहरण या तथ्य शामिल करें (जैसे संविधान निर्माण में योगदान)।
  • आत्मविश्वास से बोलें और शब्दों का उच्चारण स्पष्ट रखें।
  • भाषण याद करने के बजाय उसे अच्छे से समझें और भाव के साथ बोलें।
  • समय का ध्यान रखें, भाषण बहुत लंबा न हो।
  • अंत में “धन्यवाद” कहकर भाषण समाप्त करें।

FAQs 

भीमराव अंबेडकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था।

भीमराव अंबेडकर के माता-पिता कौन थे?

भीमराव अंबेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल एक सैन्य अधिकारी थे और उनकी माँ भीमाबाई एक गृहिणी थीं।

भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान के निर्माण में क्या भूमिका निभाई?

भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया। इन प्रावधानों में जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ प्रावधान शामिल थे।

डॉ. भीमराव अंबेडकर कौन थे?

डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, एक समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे। उन्होंने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए।

डॉ. अंबेडकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को भारत के मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था।

डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा में कैसे योगदान दिया?

डॉ. अंबेडकर ने सशक्तिकरण के साधन के रूप में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सिद्धार्थ कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच की वकालत की।

डॉ. अंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है?

14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है ताकि उनकी जयंती का सम्मान किया जा सके और सामाजिक न्याय, समानता और भारतीय संविधान में उनके अपार योगदान को पहचाना जा सके।

डॉ. अंबेडकर की विरासत आज कैसे प्रासंगिक है?

डॉ. अंबेडकर के समानता, न्याय और मानवाधिकार के सिद्धांत जातिगत भेदभाव को खत्म करने और समाज में समावेशिता को बढ़ावा देने के प्रयासों का मार्गदर्शन करते हैं।

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