Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi: ‘भारतीय संविधान निर्माता’ भीमराव अंबेडकर पर ऐसे दें भाषण  

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Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi

Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi: हम भारतीयों के लिए अपने इतिहास और संस्कृति की समृद्धि को प्रदर्शित करना हमेशा गर्व की बात होती है। हमारा इतिहास कई नायकों की कहानियां और हमारे देश के लिए उनके योगदान को बताता है। ऐसे ही एक नायक हैं डॉ. भीम राव अंबेडकर। हम सभी उन्हें भारतीय संविधान के जनक के रूप में जानते हैं। डॉ. भीम राव अंबेडकर एक महान व्यक्तित्व थे। वे भारतीय इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनका जन्मदिन पूरे भारत में इतने गर्व और सम्मान के साथ मनाया जाता है। इस ब्लाॅग Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi में छात्रों के लिए अंबेडकर पर भाषण के बारे में बता रहे हैं जिससे छात्र अपने स्कूल के कार्यक्रम या अपनी परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं।

डाॅ. भीमराव अंबेडकर के बारे में

डाॅ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में एक निर्धन परिवार में हुआ था। भीमराव अंबेडकर जी के बचपन का नाम भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर था। भीमराव अंबेडकर जी ने भारत राष्ट्र की उन्नति के लिए भारतीय संविधान का निर्माण किया। भारत राष्ट्र को समर्पित भीमराव अंबेडकर जी 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65) पंचतत्व में विलीन हो गए।डॉ. बी. आर. अंबेडकर को समानता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। बाबासाहब ने जीवनभर छूआछूत का विरोध किया और दलित समाज के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए सरहानीय कार्य भी किए। अंबेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया और कानून मंत्री के लिए चुने गए। वह आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे। बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 100 शब्दों में

100 शब्दों में डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) इस प्रकार है-

नमस्कार साथियों और सम्मानितजन- आज मैं यहां डाॅ. भीमराव अंबेडकर के बारे में बात करने के लिए उत्सुक हूं। भारतीय समाज के महान नेता भीमराव अंबेडकर ने अपने योगदान से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनके अनुसार, “जो व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित है, वह समाज से वंचित है।” उन्होंने जातिवाद और असमानता के खिलाफ सख्त रूप से विरोध किया और समाज को एकमत और समृद्धि की दिशा में बदलने की बात की। उन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसमें समाज को सशक्त बनाने की ओर कार्य किया। उनका योगदान आज भी सामाजिक न्याय, शिक्षा और मुक्ति की ओर एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। 

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 150 शब्दों में

150 शब्दों में डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) इस प्रकार है-

नमस्कार सम्मानितजन और अतिथिगण- आज मैं ऐसे व्यक्तित्व के बारे में बात करने के लिए उत्सुक हूं जिन्होंने हमारे देश को संविधान के माध्यम से नई दिशा दी और उनका नाम है डॉ. भीमराव अंबेडकर। जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से जाना जाता है, एक दूरदर्शी नेता, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे। 14 अप्रैल, 1891 को एक हाशिए पर पड़े दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर को जीवन भर भेदभाव और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद, अंबेडकर ने बेजोड़ दृढ़ संकल्प के साथ शिक्षा प्राप्त की और कानून और अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट सहित कई डिग्री हासिल की।

उन्होंने अपना जीवन सामाजिक अन्याय से लड़ने और सभी के लिए समानता सुनिश्चित करने के लिए समर्पित कर दिया, खासकर भारत की उत्पीड़ित जातियों के लिए। प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने एक ऐसे संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है।

डॉ. अंबेडकर शिक्षा, महिला अधिकारों और आर्थिक सशक्तिकरण के भी कट्टर समर्थक थे। 1956 में उनके बौद्ध धर्म अपनाने से लाखों लोगों को समानता और शांति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली। बाबासाहेब की विरासत न्याय और समानता की खोज में पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है।

डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 200 शब्दों में

200 शब्दों में डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) इस प्रकार है-

सभी साथियों और सम्मानितजनों को नमस्कार, आज यहां मैं संविधान निर्माता डाॅ. भीमराव आंबेडकर के बारे में बात करने जा रहा हूं। भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल एक सैन्य अधिकारी थे और उनकी माँ भीमाबाई एक गृहिणी थीं। अंबेडकर एक महार परिवार से थे, जो हिंदू धर्म में एक निम्न जाति है अंबेडकर का बचपन कठिनाइयों से भरा था। उन्हें जाति व्यवस्था के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें स्कूल जाने से मना कर दिया गया था और उन्हें अक्सर अन्य बच्चों द्वारा परेशान किया जाता था।

हालांकि, अंबेडकर एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने अपने पिता की मदद से पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने 1897 में मऊ के मिशन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1900 में, अंबेडकर ने मुंबई के गवर्नर प्राइमरी स्कूल में प्रवेश लिया। उन्होंने 1907 में एलफिंस्टन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1912 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

भारत लौटने के बाद, अंबेडकर ने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंबेडकर को भारत में “दलितों के पिता” के रूप में जाना जाता है। अंबेडकर ने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने भारत को एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा हैं। 

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डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण 500 शब्दों में

500 शब्दों में डाॅ. भीमराव अंबेडकर पर भाषण (Bhimrao Ambedkar Speech in Hindi) इस प्रकार है-

सभी को नमस्कार। मुझे आप सभी के समक्ष अंबेडकर जयंती पर भाषण प्रस्तुत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 हुआ था। उन्होंने अपने पूरे जीवन समाज में जातिवाद, उससे उपजा भेदभाव और अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष किया। वे उस समय के फेमिनिस्ट कहे जा सकते हैं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए बहुत योगदान किये। आज हिन्दू कोड बिल का श्रेय अंबेडकर जी को ही जाता है। उन्हें भारत के संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा। 

29 अगस्त, 1947 के दिन, डॉ. बी.आर. अंबेडकर को, सात अन्य सदस्यों के साथ, एक स्वतंत्र भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए नियुक्त किया गया था। डॉ. अंबेडकर को मसौदा समिति का अध्यक्ष चुना गया था। अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान व्यक्तिगत नागरिकों के लिए कई नागरिक स्वतंत्रताओं की गारंटी और सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता, अछूतों का उन्मूलन और सभी प्रकार के भेदभाव का निषेध शामिल है।

अंबेडकर को निश्चित रूप से उनके कई उत्कृष्ट योगदानों के कारण “भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार” के रूप में माना जा सकता है। सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं, यही कारण है कि उन्हें भारतीय दलितों का “मसीहा” कहा जाता है।

संविधान को 26 नवंबर, 1949 को पारित किया गया और संसद द्वारा अनुमोदित किया गया। संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, जिसे राष्ट्रीय रूप से गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. अंबेडकर ने भारतीय कानून और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया। डॉ. अंबेडकर ने एक राजनीतिक पार्टी बनाई जिसे “इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी” कहा गया। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, वे पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान बनाने वाली समिति के अध्यक्ष थे। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने भारत की कानून, व्यवस्था और संविधान बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। वे हमेशा दलितों के खिलाफ हो रहे भेदभाव के खिलाफ थे। उन्होंने दलितों के समर्थन में नए कानून बनाए और उन्हें अन्य जातियों के समान शिक्षा और समान अधिकार दिए।

डॉ. अंबेडकर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक भारत रत्न था। उन्हें 1990 में भारत रत्न पुरस्कार मिला। वे एक वैज्ञानिक, समाजशास्त्री, स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, दार्शनिक और बहुत कुछ थे। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। अंबेडकर दुनिया भर के युवा वकीलों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

भारतीय समाज के महान नेता भीमराव अंबेडकर ने अपने योगदान से तत्कालीन समाज के सुधार में काम किया। उनके अनुसार, “जो व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित है, वह समाज से वंचित है।” उन्होंने जातिवाद, असमानता और भूमि-जनग्रहण के खिलाफ सख्त रूप से विरोध किया और समाज को एकमत और समृद्धि की दिशा में बदलने की बात की। भीमराव अंबेडकर एक महान नेता और समाज सुधारक थे। उन्होंने भारत को एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा हैं।

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Speech on Bhimrao Ambedkar in Hindi कैसे तैयार करें?

Speech on Bhimrao Ambedkar in Hindi तैयार करने से पहले यहां दिए गए टिप्स को एक बार जरूर देखें। इन टिप्स की मदद से आप एक बेहतर स्पीच दे सकते हैं-

  • सबसे पहले डॉक्टर भीमराव के बारे में रिसर्च कर सभी जानकारी इक्कठा कर लें।
  • उन जानकारियों को अच्छी तरह से फ्रेम कर, स्पीच को लिखित रूप में तैयार करें।
  • स्पीच लिखते समय शब्दों का सही चयन करें।
  • स्पीच की शुरुआत आप कविताओं और कोट्स से भी कर सकते हैं।
  • अपने भाषण के माध्यम से ऑडियंस से जुड़े। 
  • स्पीच देने से पहले लेखन को अच्छी तरह पढ़ लें। 
  • अपनी स्पीच के अंत में श्रोताओं का शुक्रिया अदा करना न भूलें।

डॉ. भीमराव अंबेडकर पर 10 लाइन (10 Lines on Bhimrao Ambedkar in Hindi)

Speech on Bhimrao Ambedkar in Hindi समझने के साथ ही डॉ. भीमराव अंबेडकर पर 10 लाइन (10 Lines on Bhimrao Ambedkar in Hindi) यहां दी जा रही हैं जिनसे आपको इस बाबा साहेब के बारे में पता चलेगा-

  1. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में अशोक चक्र लगवाने वाले डाॅ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ही थे।
  2. डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को लगभग 9 भाषाओं का ज्ञान था।
  3. डॉ. भीमराव अंबेडकर के पास लगभग 32 डिग्रियां थी और वह पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने विदेश जाकर अर्थशास्त्र में P.H.D की थी। 
  4. बाबा साहब की पहली प्रतिमा उनके जीवित रहने के दौरान वर्ष 1950 में कोल्हापुर शहर में बनाई गई थी।
  5. बाबासाहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे।
  6. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का जीवन और कार्य शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति, दृढ़ता और सामाजिक न्याय के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है।
  7. पिछड़े वर्ग के पहले वकील भी बाबासाहेब ही थे। 
  8. दुनिया भर में सबसे ज्यादा किताबें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम पर लिखे गए हैं।
  9. 1956 में डॉ. अम्बेडकर ने अपना धर्म बदलकर बौद्ध धर्म को अपना लिया था। 
  10. बाबा साहब की मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है।

FAQs 

भीमराव अंबेडकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था।

भीमराव अंबेडकर के माता-पिता कौन थे?

भीमराव अंबेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल एक सैन्य अधिकारी थे और उनकी माँ भीमाबाई एक गृहिणी थीं।

भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान के निर्माण में क्या भूमिका निभाई?

भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे। उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया। इन प्रावधानों में जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के खिलाफ प्रावधान शामिल थे।

डॉ. भीमराव अंबेडकर कौन थे?

डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, एक समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता थे। उन्होंने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए।

डॉ. अंबेडकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को भारत के मध्य प्रदेश के महू (अब डॉ. अंबेडकर नगर) में हुआ था।

डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा में कैसे योगदान दिया?

डॉ. अंबेडकर ने सशक्तिकरण के साधन के रूप में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सिद्धार्थ कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच की वकालत की।

डॉ. अंबेडकर का जन्मदिन 14 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है?

14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है ताकि उनकी जयंती का सम्मान किया जा सके और सामाजिक न्याय, समानता और भारतीय संविधान में उनके अपार योगदान को पहचाना जा सके।

डॉ. अंबेडकर की विरासत आज कैसे प्रासंगिक है?

डॉ. अंबेडकर के समानता, न्याय और मानवाधिकार के सिद्धांत जातिगत भेदभाव को खत्म करने और समाज में समावेशिता को बढ़ावा देने के प्रयासों का मार्गदर्शन करते हैं।

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