गवर्मेंट स्कूलों के स्टूडेंट्स द्वारा प्राइवेट कोचिंग क्लासेज लेने पर बिहार के शिक्षा विभाग ने 37,000 से अधिक प्राइमरी और हायर सेकेंड्री विद्यालयों को कंप्यूटरीकृत करने का डिसीजन लिया है। यह सेकेंड्री और हायर सेकेंड्री छात्रों के लिए स्कूल समय के दौरान स्पेशल क्लासेज की भी व्यवस्था करेगा।
राज्य सरकार ने यह स्वीकार किया कि इंग्लिश, मैथ और साइंस में शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को कोचिंग कक्षाएं लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, इसलिए सरकार मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग शुरू करेगी।
1 जुलाई से बिहार शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव केके पाठक ने 9,000 सेकेंड्री और हायर सेकेंड्री विद्यालयों सहित 75,000 से अधिक स्कूलों में नियमित निरीक्षण करके शिक्षा सुधार अभियान शुरू किया है।
24 जुलाई को सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेटों को एक लेटर में लिखा गया कि सरकारी धनराशि होने के बाद भी हेडमास्टर स्कूलों में डेवलपमेंट कराने के लिए इच्छुक नहीं है। इसके अलावा डी-लिंकिंग प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के परामर्श से आवश्यकताओं का आकलन किया जाएगा।
परिवर्तन लाने के लिए बनाई गईं योजनाएं
स्कूलों में आने वाले परिवर्तन को सुचारू और प्रभावी बनाने के लिए विस्तृत योजनाएं बनाई हैं। यदि आवश्यक हुआ तो प्रैक्टिकल क्लासेज कंडक्ट करने के ट्रेनिंग के लिए PU के शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा।
स्कूलों और काॅलेजों में ट्रेनर्स की होगी तैनाती
रेग्युलर क्लासेज और प्रैक्टिकल सुनिश्चित करने के लिए ट्रेनर्स को स्कूलों और काॅलेजों में तैनात किया जाएगा। इससे कॉलेजों को आगे बढ़ने का अवसर भी मिलेगा और स्टूडेंट्स के लिए सब्जेक्ट्स के टाॅपिक्स समझने में आसानी होगी।
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