Sarojini Naidu Poems in Hindi: कविताएं समाज का आईना होती हैं, कविताओं को ही समाज की प्रेरणा माना जाता है। जब-जब मातृभूमि, संस्कृति और माटी पर संकट का समय आता है, या जब-जब सभ्य समाज कहीं नींद गहरी सो जाता है। तब-तब कविताएं समाज की सोई चेतना को जगाती हैं, तब-तब कविताएं मानव को साहस से लड़ना सिखाती हैं। हर दौर में-हर देश में अनेकों महान कवि हुए हैं, जिन्होंने मानव को सदैव सद्मार्ग दिखाया है। उन्हीं में से एक सरोजिनी नायडू भी हैं, जिनकी लिखी कविताएं आज तक भारत के युवाओं को प्रेरित कर रहीं हैं। इस ब्लॉग में आप सरोजिनी नायडू की कविताएं (Sarojini Naidu Poems in Hindi) पढ़ पाएंगे।
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सरोजिनी नायडू कौन हैं?
भारतीय कोकिला सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था, वह एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे। उनके पिता ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज की स्थापना की थी। सरोजिनी नायडू की माता का नाम वरदा सुंदरी था, वह भी एक कवियत्री थी और इसके साथ बांग्ला भाषा में कविता भी लिखती थी। सरोजिनी नायडू अपने आठ भाई बहनों में से सबसे बड़ी थी।
सरोजिनी नायडू जब 12 वर्ष की थी तब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। सरोजिनी नायडू में मद्रास प्रेसिडेंसी में पहला स्थान हासिल किया था। इनके पिता की यह इच्छा थी कि वह बड़ी होकर गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें। परंतु सरोजिनी नायडू की रुचि कविता में ही थी। 16 साल की उम्र में सरोजिनी नायडू हायर एजुकेशन के लिए इंग्लैंड चली गईं। वहाँ उन्होंने ‘किंग कॉलेज लंदन’ और कैंब्रिज के ‘गिर्टन कॉलेज’ में शिक्षा हासिल की थी। सरोजिनी नायडू को एंडमंड ने भारतीय विषय को ध्यान में रखकर लिखने की सलाह दी थी। इंडमंडंं ने सरोजिनी नायडू को भारत देश के पर्वतों, मंदिरों, नदियों और उनके सामाजिक परिवेश के बारे में अपनी कविता में समाहित करने के लिए प्रेरणा दी थी।
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भारत देश है प्यारा
Sarojini Naidu Poems in Hindi के माध्यम से आप सरोजिनी नायडू जी के चरित्र को जान सकते हैं, जिसमें उनकी लिखी पहली कविता “भारत देश है प्यारा” है। यह एक ऐसी कविता है, जो आपके मन में मातृभूमि के प्रति प्रेम और आस्था का भाव प्रकट करती है।
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा,
अलग-अलग हैं यहां सभी के रूप रंग,
पर सुर सब एक ही गाते,
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
हर परदेश की है यहाँ अलग एक जुबान,
पर मिठास कि है सभी में शान,
अनेकता में एकता को पिरोकर,
सबने हाथ से हाथ मिलाकर देश संवारा,
लगा रहा है अब भारत सारा,
“हम सब एक हैं” का नारा,
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा।
-सरोजिनी नायडू
नारी
Sarojini Naidu Poems in Hindi के माध्यम से आप सरोजिनी नायडू द्वारा रचित कविता “नारी” को पढ़ सकते हैं, जिसका उद्देश्य नारी की महानता और नारी की उपस्थिति का वर्णन करना है।
बचपन में मां ने नारी का किरदार निभाया है,
उसने ही तो हमे ठीक से चलना, बोलना और पढ़ना सिखाया है।
उम्र जैसे बढ़ी तो पत्नी ने नारी का रूप दिखाया है,
उसने हर परिस्थिति में हमे डटकर लड़ना सिखाया है।
फिर बेटी ने नारी का रूप अपनाया है,
दुनिया से प्यार करना सिखाया है।
और तो क्या ही लिखूं मैं नारी के सम्मान में,
हम सब तो खुद ही गुम हो गए हैं अपने ही पहचान में।
-सरोजिनी नायडू
बदलता हूं
Sarojini Naidu Poems in Hindi के माध्यम से आप सरोजिनी नायडू द्वारा रचित कविता “बदलता हूं” को पढ़ सकते हैं, जिसका उद्देश्य समाज में एक सकारात्मकता का सर्जन करना है।
मैं सोच भी बदलता हूं,
मैं नजरिया भी बदलता हूं,
मिले ना मंजिल मुझे,
तो मैं उसे पाने का जरिया भी बदलता हूं,
बदलता नहीं अगर कुछ,
तो मैं लक्ष्य नहीं बदलता हूं,
उसे पाने का पक्ष नहीं बदलता हूं।
-सरोजिनी नायडू
परमानंद
Sarojini Naidu Poems in Hindi के माध्यम से आप सरोजिनी नायडू द्वारा रचित कविता “परमानंद” को पढ़ सकते हैं, जिसका उद्देश्य प्रेम के परमानंद को परिभाषित करना है।
मेरी आँखों को ढक दो, हे मेरे प्यार!
मेरी आंखें जो आनंद से थक गई हैं,
जैसे कि प्रकाश जो मार्मिक और मजबूत है,
हे मेरे होंठों को चुंबन से चुप करा दो,
मेरे होंठ जो गीत से थक गए हैं!
मेरी आत्मा को आश्रय दो, हे मेरे प्रिय!
मेरी आत्मा दर्द और प्यार के बोझ से झुकी हुई है ,
बारिश से भीगे हुए फूल की कृपा की तरह :
हे मेरी आत्मा को अपने चेहरे से बचा लो!
-सरोजिनी नायडू
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कवि का प्रेम-गीत
Sarojini Naidu Poems in Hindi के माध्यम से आप सरोजिनी नायडू द्वारा रचित कविता “कवि का प्रेम-गीत” को पढ़ सकते हैं, जिसका उद्देश्य एक कवि के प्रेम को दर्शाना है, जिसे समाज उस सीमा तक जाकर शायद महसूस न करता हो।
दोपहर के समय, हे प्रिय!
सुरक्षित और मजबूत,
मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं है
पागल सपने मेरे हैं
दुनिया को मेरी इच्छा से बांधने के लिए
और हवा को थामने के लिए
मेरे विजयी गीत के लिए एक ध्वनिहीन बंदी।
मुझे तुम्हारी ज़रूरत नहीं है
मैं इनसे संतुष्ट हूं
समुद्र के पार, अपनी आत्मा में मौन रखो!
लेकिन आधी रात के उजाड़ घंटे में,
जब तारों भरी खामोशी का आनंद सोता है
और मेरी आत्मा तुम्हारी आवाज़ की भूखी होती है,
तब प्यार, जंगली धुनों के जादू की तरह
अपनी आत्मा को समुद्र के पार मेरी आवाज़ का जवाब दो
-सरोजिनी नायडू
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