What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution in Hindi: भारतीय संविधान, विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जो 25 भागों, 448 अनुच्छेदों और 12 अनुसूचियों में विभाजित है। यह न केवल देश की शासन प्रणाली को परिभाषित करता है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को भी निर्धारित करता है। इस विस्तृत दस्तावेज में, भाग 23, 24 और 25 विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये संविधान के अंतिम चरण को दर्शाते हैं और कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल करते हैं। इस ब्लॉग में संविधान के भाग 23, 24, 25 में क्या है? (What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution) के बारे में बताया गया है।
This Blog Includes:
- भारतीय संविधान के भाग 23: संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन
- What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution: भाग 23 का महत्व
- What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution: भाग 25 का संशोधन
- संशोधन प्रक्रिया का महत्व
- भाग 23, 24 और 25 का समग्र महत्व
- भारतीय संविधान: एक गतिशील दस्तावेज
- FAQs
भारतीय संविधान के भाग 23: संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन
भाग 23, अनुच्छेदों 393 से 395 तक फैला हुआ है, और इसमें संविधान के शीर्षक, प्रारंभ तिथि, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और कुछ कानूनों के निरसन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
अनुच्छेद 393: संक्षिप्त नाम
- यह अनुच्छेद संविधान के शीर्षक को “भारत का संविधान” के रूप में परिभाषित करता है।
अनुच्छेद 394: प्रारंभ
- यह अनुच्छेद संविधान के कुछ प्रावधानों के प्रारंभ की तारीख को निर्दिष्ट करता है, जो 26 नवंबर, 1949 थी।
- यह अनुच्छेद यह भी बताता है कि शेष प्रावधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए, जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
अनुच्छेद 394क: हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ
- यह अनुच्छेद संविधान के हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ को मान्यता देता है।
- यह सुनिश्चित करता है कि हिंदी संस्करण भी कानूनी रूप से मान्य है।
अनुच्छेद 395: निरसन
- यह अनुच्छेद भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत सरकार अधिनियम, 1935 जैसे कुछ कानूनों को निरस्त करता है।
- यह स्पष्ट करता है कि इन कानूनों के प्रावधान अब भारतीय संविधान के अनुरूप नहीं हैं।
यह भी पढ़ें – भारत का संविधान कितने देशों से लिया गया है?
What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution: भाग 23 का महत्व
भाग 23 संविधान के निर्माण की प्रक्रिया को पूरा करता है और इसे देश के लिए एक कानूनी दस्तावेज के रूप में स्थापित करता है। यह स्पष्ट करता है कि संविधान कब लागू हुआ और किन पूर्व कानूनों को निरस्त किया गया। हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ को मान्यता देना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि देश के सभी नागरिक संविधान को समझ सकें।
- भारतीय संविधान के भाग 24: (संविधान का भाग 24 उपलब्ध नहीं है)
- भारतीय संविधान में कुल 25 भाग है। मूल सविंधान में 22 भाग थे, बाद में संशोधन करके 3 भाग और जोड़े गए। इस कारण भाग 24 का कोई अस्तित्व नहीं है।
What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution: भाग 25 का संशोधन
भाग 25, अनुच्छेद 368 से संबंधित है, और इसमें संविधान में संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
- अनुच्छेद 368: संविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसके लिए प्रक्रिया
- यह अनुच्छेद संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है।
- यह संशोधन की प्रक्रिया को भी निर्धारित करता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों में
- विशेष बहुमत और कुछ मामलों में राज्यों के विधानमंडलों का अनुसमर्थन शामिल है।
- संशोधन की प्रक्रिया को तीन भागों में विभाजित किया गया है:
- साधारण बहुमत द्वारा संशोधन
- विशेष बहुमत द्वारा संशोधन
- विशेष बहुमत और राज्यों के विधानमंडलों के अनुसमर्थन द्वारा संशोधन
यह भी पढ़ें – हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है?
संशोधन प्रक्रिया का महत्व
अनुच्छेद 368 संविधान को एक जीवित दस्तावेज बनाता है, जो समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुकूल हो सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि संविधान कठोर न हो और आवश्यक परिवर्तनों को समायोजित कर सके। हालांकि, यह यह भी सुनिश्चित करता है कि संविधान में कोई भी संशोधन सावधानीपूर्वक और लोकतांत्रिक तरीके से किया जाए।
भाग, अनुच्छेद और अनुसूचियाँ (तालिका)
भाग | विषय | अनुच्छेद |
23 | संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिंदी में प्राधिकृत पाठ और निरसन | 393-395 |
24 | (उपलब्ध नहीं) | (उपलब्ध नहीं) |
25 | संशोधन | 368 |
भाग 23, 24 और 25 का समग्र महत्व
भाग 23, 24 और 25 भारतीय संविधान के अंतिम चरण को दर्शाते हैं। भाग 23 संविधान को एक कानूनी दस्तावेज के रूप में स्थापित करता है, भाग 24 उपलब्ध नहीं है, और भाग 25 संविधान को एक जीवित दस्तावेज बनाता है। ये भाग सुनिश्चित करते हैं कि संविधान न केवल देश की शासन प्रणाली को परिभाषित करे, बल्कि समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुकूल भी हो सके।
यह भी पढ़ें – संघ सूची क्या है?
भारतीय संविधान: एक गतिशील दस्तावेज
भारतीय संविधान एक गतिशील दस्तावेज है, जो समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुकूल हो सकता है। अनुच्छेद 368 के माध्यम से, संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान की गई है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि संविधान कठोर न हो और आवश्यक परिवर्तनों को समायोजित कर सके।
भारतीय संविधान के भाग 23, 24 और 25 महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल करते हैं जो संविधान के अंतिम चरण को दर्शाते हैं। ये भाग संविधान को एक कानूनी दस्तावेज के रूप में स्थापित करते हैं और इसे एक जीवित दस्तावेज बनाते हैं, जो समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुकूल हो सकता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।
- भारतीय संविधान में अब तक 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं।
- भारतीय संविधान को “उधार का थैला” भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें विभिन्न देशों के संविधानों से प्रावधान लिए गए हैं।
FAQs
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है।
अनुच्छेद 23 मानव तस्करी पर प्रतिबंध लगाता है, जिसमें जबरन श्रम, गुलामी या शोषण के उद्देश्य से तस्करी भी शामिल है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं।
स्वतंत्रता तथा धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)।
आशा करते हैं कि आपको संविधान के भाग 23, 24, 25 में क्या है? (What is in Part 23, 24, 25 of the Constitution) की संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। UPSC और सामान्य ज्ञान से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।