Rowlatt Act in Hindi : रौलट एक्ट (1919 का अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम) ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद की नींव हिला दी और क्षेत्र, धर्म, जाति और वर्ग के विभाजन से परे लाखों भारतीयों को एकजुट किया। 1919 का रौलट सत्याग्रह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ था। रौलट एक्ट यूपीएससी आईएएस परीक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। यह मेन्स जनरल स्टडीज पेपर-1 के पाठ्यक्रम में आधुनिक इतिहास विषय के एक महत्वपूर्ण हिस्से को कवर करता है। इस लेख में आप रौलट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) के प्रमुख पहलुओं, इसकी पृष्ठभूमि, विशेषताओं और प्रभावों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
This Blog Includes:
- रौलट एक्ट क्या था?
- रौलट एक्ट कब लागू हुआ था?
- रौलट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) का इतिहास क्या है?
- काला कानून लाने का उद्देश्य क्या था?
- रौलेट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) की विशेषताएं क्या हैं?
- काला कानून सत्याग्रह क्या था?
- रौलट एक्ट को लागू करने का कारण क्या था?
- रौलट-एक्ट का विरोध क्यों हुआ था?
- रौलट एक्ट को काला कानून क्यों कहा गया है?
- गांधी जी ने रौलट-एक्ट का विरोध क्यों किया था?
- रौलट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) में क्या हुआ था?
- रॉलेट एक्ट के तहत सरकार के अधिकार क्या थे?
- रॉलेट एक्ट UPSC – यूपीएससी के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
- रौलट एक्ट और रौलट सत्याग्रह का क्या संबंध है?
- FAQs
रौलट एक्ट क्या था?
Rowlatt Act in Hindi : ब्रिटिश सरकार के अध्यक्ष सर सिडनी रौलेट की सेडिशन समिति ने रौलट-एक्ट का कानून बनाया था। रौलट-एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। इसको ब्रिटिश सरकार ने भारत के लोगों को कुचलने के लिए बनाया था। यह एक ऐसा कानून बनाया था कि इसके अंदर ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार दिया गया था कि वह किसी भी भारतीय लोग को बिना मुकदमा चलाए अदालत में और जेल में बंद कर सकते थे।
रौलट एक्ट कब लागू हुआ था?
1915 में रौलट एक्ट के बीज बोए गए थे, जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उपनिवेशवाद विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए दमनकारी डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट लागू किया गया था। जबकि भारत रक्षा अधिनियम को एक अस्थायी युद्धकालीन उपाय माना गया था, ब्रिटिश न्यायाधीश सिडनी रौलट की अध्यक्षता वाली एक समिति (जिसे राजद्रोह समिति कहा जाता है) ने ऐसी दमनकारी शक्तियों को जारी रखने की सिफारिश की थी। इसे ब्रिटिश गाजर (जीओआई एक्ट, 1919) और छड़ी (रौलट एक्ट) नीति के एक साधन के रूप में माना जा सकता है।
रौलट समिति की रिपोर्ट के आधार पर, इंपीरियल विधान परिषद के भारतीय सदस्यों के उग्र विरोध के बीच मार्च 1919 में रौलेट अधिनियम को जल्दबाजी में पारित किया गया था। नागरिक स्वतंत्रता में इस कटौती को अंग्रेजों द्वारा विश्वासघात के रूप में देखा गया, जिन्होंने भारत के समर्थन और संसाधनों के बदले युद्ध के बाद राजनीतिक सुधारों का वादा किया था।
रौलट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) का इतिहास क्या है?
Rowlatt Act in Hindi : रौलट-एक्ट की स्थापना 10 दिसंबर 1917 को हुई थी। 4 महीनों तक इस समिति की खोज की गई थी। 15 अप्रैल 1918 को रौलट-एक्ट के सभापति ने अपनी रिपोर्ट को भारत मंत्री की सेवा में उपस्थित किया था, रौलट-एक्ट की रिपोर्ट कहलाई गई थी। रौलट-एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा मार्च 1919 को भारत में चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए यह कानून बनाया गया था।
काला कानून लाने का उद्देश्य क्या था?
सन 1910 के दशक में यूरोप के अधिकतर देशों में प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, इस युद्ध में ब्रिटेन की जीत हुई थी. और इस युद्ध में ब्रिटेन के जीत हासिल कर लेने के बाद उन्होंने भारत पर अधिकार जमाना शुरू कर दिया। उन्होंने सन 1918 में युद्ध समाप्त होने के बाद देश में उनके खिलाफ क्रांतिकारियों द्वारा की जा रही गतिविधियों एवं आंदोलनों को दबाने के लिए रौलट एक्ट कानून लाने का फैसला किया था, ताकि कोई भी भारतीय ब्रिटिशों के खिलाफ आवाज न उठा सके।
रौलेट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) की विशेषताएं क्या हैं?
रौलट एक्ट-1919 की विशेषताएं यहां बताई जा रही हैं-
- इस एक्ट ने सरकार को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार दिए बिना व्यक्तियों को गिरफ़्तार करने का अधिकार दिया।
- इसने बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को निलंबित कर दिया। इसने अधिकारियों को औपचारिक आरोपों के बिना अनिश्चित काल तक संदिग्धों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
- इस एक्ट ने जूरी की अनुपस्थिति में राजद्रोह के मामलों की सुनवाई की अनुमति दी। इसने न्यायिक पारदर्शिता और निष्पक्षता से समझौता किया।
- इस एक्ट ने प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी। इसने सरकार द्वारा राजद्रोही समझी जाने वाली सामग्री के प्रकाशन को प्रतिबंधित कर दिया।
- मुकदमे के फैसले के बाद किसी उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार नहीं।
- अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार नहीं।
- जजों को बिना जूरी की सहायता से सुनवाई करने का अधिकार।
- प्रेस की स्वतंत्रता का दमन।
- बिना वारंट के तलाशी, गिरफ़्तारी तथा बंदी प्रत्यक्षीकरण (रेवेलशन) के अधिकार को रद्द करने की शक्ति ।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया गया ।
- 2 साल तक बिना किसी ट्रायल के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति।
- अदालत में बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद करने का अधिकार।
- राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई के लिए एक अलग न्यायालय की स्थापना।
- अपनी इच्छा अनुसार किसी व्यक्ति को कारावास देने अधिकार।
- देश से निष्कासित कर देने अधिकार।
काला कानून सत्याग्रह क्या था?
यह सत्याग्रह 1919 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। रौलट सत्याग्रह 1919 के अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम को लागू करने वाली ब्रिटिश सरकार के जवाब में किया गया था, जिसे रौलट एक्ट के नाम से जाना जाता है-
- यह अधिनियम सर सिडनी रौलट एक्ट की अध्यक्षता में सेडिशन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर पारित किया गया था।
- यह अधिनियम भारतीय सदस्यों के एकजुट होकर किये गए विरोध के बावजूद इंपीरियल विधानपरिषद में जल्दबाजी में पारित किया गया था।
- इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
रौलट एक्ट को लागू करने का कारण क्या था?
Rowlatt Act in Hindi : ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय नेताओं का विरोध करने के लिए अंग्रेजी सरकार ने रौलट-एक्ट लागू किया था। मजिस्ट्रेट के पास ऐसा अधिकार था कि रौलट-एक्ट के अंदर इसी व्यवस्था की गई थी कि किसी भी संदेहास्पद स्थिति वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते थे साथ में उसके ऊपर मुकदमा भी चला सकते थे। रौलट-एक्ट के अनुसार अंग्रेजी सरकार के लोग भारतीय के निर्दोष व्यक्ति को दंडित कर सकते थे। कैदी को अदालत में साबित करके अंग्रेजी सरकार ने रौलट-एक्ट को हासिल कर लिया था-
- बिना अपील
- बिना वकील
- बिना दलील
- काला अधिनियम
- आतंकवादी अपराध अधिनियम।
रौलट-एक्ट का विरोध क्यों हुआ था?
रौलट-एक्ट यह एक ऐसा कानून था जो अपराधी को बिना किसी वजह से जेल में बंद कर सकते थे। अपराधी को मुकदमा दर्ज करने वालों का नाम जानने का अधिकार भी नहीं दिया गया था। रौलट-एक्ट सब पूरे देश में जमकर विरोध हुआ था। पूरे देश के अंदर हड़ताल ,जुलूस और प्रदर्शन होने लगे थे।
रौलट-एक्ट के अंदर अमृतसर के दो बड़े सामाजिक नेता डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल भी गिरफ्तार हो गए थे। इसके कारण अमृतसर के साथ पंजाब के लोगों में भी रोष फैल गया था। 13 अप्रैल 1919 के दिन बैसाखी का त्यौहार था पंजाब के किसान अमृतसर में स्थित मंदिर के अंदर एकत्रित हुए थे। जिसके अंदर जनरल डायर में लोगों के ऊपर गोलियों की बारिश कर दी थी। यह घटना को ब्रिटिश भारतीय इतिहास के अंदर सबसे बड़ा काला दिन माना जाता है।
रौलट एक्ट को काला कानून क्यों कहा गया है?
Rowlatt Act in Hindi के जानने के साथ ही बता दें कि रौलट एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। यह कानून तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार को ये अधिकार प्राप्त हो गया था, कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए, उसे जेल में बंद कर सकती थी।
गांधी जी ने रौलट-एक्ट का विरोध क्यों किया था?
इस कानून के पास होने के बाद विशेष रूप से गांधी जी ने इस कानून की आलोचना की थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि केवल एक या कुछ लोगों द्वारा किये गये अपराध के लिए लोगों के एक समूह को दोषी ठहरा कर उन्हें सजा देना नैतिक रूप से गलत है। गांधी जी ने इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए इसे समाप्त करने के प्रयास में अन्य नेताओं के साथ मिलकर 6 अप्रैल को ‘हड़ताल’ का आयोजन किया। हड़ताल वह विरोध है, जहाँ भारतीयों ने सभी व्यवसाय स्थगित कर दिए और ब्रिटिश कानून के प्रति अपनी नफरत दिखाने के लिए उपवास किया। गांधी जी द्वारा शुरू किये गए इस ‘हड़ताल’ आंदोलन को रॉलेट सत्याग्रह भी कहा जाता था।
इस आंदोलन ने अहिंसा के रूप में शुरूआत की थी, किन्तु इसके बाद में इसने हिंसा एवं दंगे का रूप ले लिया। जिसके कारण गांधी जी ने इसे ख़त्म करने का फैसला किया। दरअसल एक तरफ लोग दिल्ली में हड़ताल को सफल बनाने में लगे हुए थे, तो दूसरी तरफ पंजाब एवं अन्य राज्यों में तनाव का स्तर बढ़ने के कारण दंगे भड़क उठे और कोई भी उस समय अहिंसा का मार्ग नहीं अपना रहा था। जिसके चलते गांधी और कांग्रेस पार्टी के अन्य सदस्य द्वारा इसे बंद करना पड़ा।
पंजाब में विरोध-प्रदर्शन
यह आंदोलन पंजाब के अमृतसर में जोर पकड़ रहा था। लोग बहुत गुस्से में थे, जब 10 अप्रैल को कांग्रेस के दो प्रसिद्ध नेताओं डॉ सत्यापाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू को इस विरोध को भड़काने के आरोप के कारण पुलिस द्वारा अज्ञात स्थान से गिरफ्तार कर लिया गया था। तब अमृतसर के लोगों द्वारा सरकार से उनकी रिहाई की मांग के लिए प्रदर्शन किया गया। किन्तु उनकी मांग को नकार दिया गया, जिसके कारण गुस्साये लोगों ने रेलवे स्टेशन, टाउन हॉल सहित कई बैंकों और अन्य सरकारी इमारतों पर हमले किये और आग लगा दी।
इससे ब्रिटिश अधिकारियों का संचार माध्यम बंद हो गया और रेलवे लाइन्स भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। यहाँ तक कि 5 ब्रिटिश अधिकारीयों की मृत्यु हो गई। हालाँकि इसके साथ ही कुछ भारतीयों को भी अपनी जान गवानी पड़ी थी। इसके बाद अमृतसर में ‘हड़ताल’ में शामिल होने वाले कुछ नेताओं ने 12 अप्रैल 1919 को रॉलेट एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने और गिरफ्तार किये गये दोनों नेताओं को जेल से रिहा करवाने के लिए मुलाकात की। इसमें उन्होंने यह निर्णय लिया कि अगले दिन जलियांवाला बाग में एक सार्वजनिक विरोध सभा आयोजित की जाएगी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
13 अप्रैल सन 1919 का दिन बैसाखी का पारंपरिक त्यौहार का दिन था। अमृतसर में इस दिन सुबह के समय सभी लोग गुरूद्वारे में बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए इकठ्ठा हुए थे। इस गुरूद्वारे के पास में ही एक बगीचा था जिसका नाम था जलियांवाला बाग़।गाँव के लोग अपने परिवार वालों के साथ तो कुछ अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए गए थे। दूसरी तरफ पंजाब में बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए सैन्य कमांडर कर्नल रेजिनाल्ड डायर ने बागडोर संभाली थी। उन्होंने भड़की हिंसा को दबाने के लिए अमृतसर में कर्फ्यू लगा दिया था।
फिर उन्हें यह खबर मिली कि जलियांवाला बाग़ में कुछ लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकठ्ठा हो रहे हैं। तब कर्नल डायर ने करीब शाम 5:30 बजे अपने सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग में प्रस्थान किया। वहां से बाहर जाने वाले रास्ते को उन्होंने बंद कर दिया था, और वहाँ उपस्थित लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। उन्हें किसी प्रकार की चेतावनी भी नहीं दी गई।
डायर के सैनिकों ने लगभग 10 मिनिट तक भीड़ पर गोलियां दागी, जिससे वहां भगदड़ मच गई। वहां न सिर्फ युवा एवं बुजुर्ग उपस्थित थे बल्कि वहां बच्चे एवं महिलाएं भी त्यौहार मनाने के लिए गये हुये थे। इस बाग़ में एक कुआं भी मौजूद था। कुछ लोगों ने कुएं में कूद कर अपने प्राण बचाने का सोचा। किन्तु कुएं में कूदने के बाद भी उनकी मृत्यु हो गई. इसके चलते लगभग 1,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और इतने ही लोग घायल भी हुए। किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अधिकारिक रूप से मरने वालों का आंकड़ा 379 का बताया था।
जलियांवाला बाग़ कांड में जनरल डायर के खिलाफ कार्रवाई
ब्रिटिश प्रशासन ने इस हत्याकांड की खबरों को दबाने की पूरी कोशिश की। किन्तु यह खबर पूरे देश में फ़ैल गई।और इससे पूरे देश में व्यापक रूप से आक्रोश फ़ैल गया। हालाँकि इस घटना के बारे में जानकारी दिसंबर 1919 में ब्रिटेन तक पहुँच गई। कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने यह माना कि जलियांवाला बाग में जो हुआ, वह बिलकुल सही हुआ। किन्तु कुछ लोगों द्वारा इसकी निंदा की। डायर पर केस चला और वे दोषी ठहराये गये, उन्हें उनके पद से सस्पेंड कर दिया गया। साथ ही उन्हें भारत में सभी कर्तव्यों से छुटकारा दे दिया गया।
रौलट एक्ट (Rowlatt Act in Hindi) में क्या हुआ था?
रौलट एक्ट में ज़िक्र के बारे में यहां बताया गया है-
- क्रांतिकारियों के मुकदमे को हाईकोर्ट के तीन जजों की अदालत में पेश किया गया था।
- जिस भी व्यक्ति को राज्य के विरुद्ध अपराध करने में संदेह हो रहा हो तो उसे जमानत ली जा सकती है और किसी विशेष स्थान पर ले जा सकता है साथ ही विशेष कार्य करने से भी रोका जा सकता है
- इसके अंदर यहां भी दर्शाया गया था कि ब्रिटिश सरकार के पास यह अधिकार था कि जिस भी व्यक्ति पर उन्हें संदेह हो तो उसे गिरफ्तार करके जेल में भी डाल सकती है।
- किसी भी व्यक्ति के पास गैरकानूनी सामग्री होना या उसको आगे सप्लाई करना अपराध माना जाएगा।
- राजद्रोह (sedition) के मुकद्दमे की सुनवाई के लिए एक अलग न्यायालय स्थापित किया गया।
यह भी पढ़ें : 1857 की क्रांति
रॉलेट एक्ट के तहत सरकार के अधिकार क्या थे?
रॉलेट एक्ट के तहत सरकार के अधिकारों के बारे में यहां बताया गया है-
- रौलट-एक्ट के अंदर सरकार के पास दिया अधिकार था कि वह उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जो आतंकवाद के लोगों के साथ शामिल थे।
- भारतीय लोगों द्वारा प्लीज रौलट-एक्ट को ब्लैक एक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
- रौलट-एक्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना किसी संदेह या परीक्षण के 2 साल तक जेल में कैद कर सकती थी।
- यह एक ऐसा पैनल था जो किसी भी प्रकार के साक्ष्य को स्वीकार कर सकती थी जो भारतीय साक्ष्य स्वीकार नहीं करते थे।
- रौलट-एक्ट ने एक अलग ही नई दिशा दी थी।
रॉलेट एक्ट UPSC – यूपीएससी के लिए महत्वपूर्ण तथ्य
रॉलेट एक्ट UPSC – यूपीएससी के लिए महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं-
- भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा 1919 में पारित किया गया।
- क्रांतिकारी गतिविधियों और राजनीतिक असंतोष को दबाने के उद्देश्य से।
- व्यापक विरोध और सविनय अवज्ञा को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप रौलेट सत्याग्रह हुआ।
- ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनमत जुटाने और भारतीय स्वतंत्रता के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रौलट एक्ट और रौलट सत्याग्रह का क्या संबंध है?
रौलेट सत्याग्रह एक महत्वपूर्ण आंदोलन था जो दमनकारी रौलेट एक्ट के जवाब में उभरा था। इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित किया। यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा का पहला बड़े पैमाने पर संगठित अनुप्रयोग था।
गांधी ने हड़ताल, आर्थिक बहिष्कार और असहयोग सहित अनुशासित विरोध का आह्वान किया। रौलेट सत्याग्रह को भारतीय आबादी से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली। रौलेट सत्याग्रह में भारतीय समाज के सभी वर्गों की व्यापक भागीदारी देखी गई। इसने औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष में उद्देश्य की एकता को प्रदर्शित किया।
FAQs
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर जब भारतीय जनता संवैधानिक सुधारों का इंतजार कर रही थी, तब ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी रॉलेट एक्ट को जानता के सम्मुख पेश कर दिया। रॉलेट एक्ट 26 जनवरी, 1919 को पास हुआ।
रौलट-एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। यह कानून तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। ये कानून सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था
8 अप्रैल 1919
ब्रिटिश विरोधी भावनाओं को रोकने के क्रम में, इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक क़ैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। इसलिए भारत के लोग रौलट-एक्ट के खिलाफ़ थे।
लॉर्ड चेम्स्फोर्ड भारत के गवर्नर जनरल रहे थे।
महात्मा गांधी रौलट एक्ट को काला कानून कहा था।
महात्मा गाँधी, मोहम्मद अली जिन्ना, मदन मोहन मालवीय और मजहर उल हक आदि जैसे कद्दावर लीडर्स शामिल थे।
आशा है कि आपको Rowlatt Act in Hindi : रौलट एक्ट क्या है और क्या हैं इसकी विशेषताओं के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही भारतीय इतिहास और UPSC से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहे।
-
बहुत बढ़ीया समझाया बहुत अच्छा लगा सब साफ साफ समझ मे आया धन्यवाद गुरू
-
बहुत बहुत आभार आपका
-
-
mujhe ye vlog bahut achchha laga and sab kush satik he
-
बहुत धन्यवाद आपका
-
6 comments
यहाँ एक बात और स्पष्ट करनी चाहिए था कि जालिया वाला बाग मे जो सभा बुलाई गई थी उसका कारण क्या था सिर्फ़ उत्सव ही नही ओर भी कोई और कारण था जैसे सैफ़ुडीन किचलु भी उस समय जेल मे बन्द था?
कुंदन जी आपका आभार, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहें।
बहुत बढ़ीया समझाया बहुत अच्छा लगा सब साफ साफ समझ मे आया धन्यवाद गुरू
बहुत बहुत आभार आपका
mujhe ye vlog bahut achchha laga and sab kush satik he
बहुत धन्यवाद आपका