संधि, हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। इसका शाब्दिक अर्थ है- मेल। यानी दो वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहा जाता है और दो शब्दों के मेल से बने शब्द को पुनः अलग अलग करना संधि विच्छेद कहलाता है।
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रावण में कौनसी संधि है?
इस लेख में हम जानेंगे कि रावण में कौनसी संधि है? तो आईये आपको बताते हैं कि रावण में अयादि संधि है और रावण शब्द का संधि ‘रौ + अन’।
अयादि संधि क्या है?
यदि ए, ऐ, ओ और औ के बाद भिन्न स्वर आये तो ‘ए’ का अय ‘ऐ’ का आय, ‘ओ’ का अव और ‘औ’ का आव हो जाता है। अय, आय, अव और आव के य और व आगे वाले भिन्न स्वर से मिल जाते है |
- जब ए,ऐ,ओ,औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ” ए- अय “, ” ऐ- आय”, “ओ- अव ” , “औ- आव” में हो जाता है।
- य, वह से पहले व्यंजन पर अ,आ की मात्रा हो तो वह अयादि संधि हो सकती है परंतु अगर कोई विच्छेद ना निकलता हो तो के + बाद आने वाले भाग को वैसा ही लिखना होगा अयादि संधि कहलाता है।
उदाहरण
- जे + अ = जय
- विधै + इका = विधायिका
- हो + अन = हवन
रावण से बनने वाले शब्दों का वाक्य में प्रयोग
रावण से बनने वाले शब्दों का वाक्य में प्रयोग निम्नलिखित है:
- दस सिरों के कारण रावण को दशानन के नाम से भी जाना जाता है।
- रावण को अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान माना जाता था।
- रावण द्वारा भगवान राम की पत्नी माता सीता का हरण किया गया था।
- रावण की मृत्यु को आज दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण बहुत अहंकारी राजा था।
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आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको Ravan Mein Kaunsi Sandhi Hai, इसका पता चल गया होगा। संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।