विसर्ग संधि क्या है? जानिए परिभाषा, नियम और उदाहरण

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हिंदी व्याकरण में संधि का अर्थ होता है दो शब्दों या ध्वनियों का आपस में मिलना, जिससे उनका उच्चारण और रूप बदल जाता है। संधि तीन प्रकार की होती है- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। इनमें से विसर्ग संधि वह संधि होती है जिसमें पहले शब्द का अंत विसर्ग (ः) से होता है और दूसरा शब्द किसी स्वर या व्यंजन से शुरू होता है। इन दोनों के मेल से शब्दों का नया रूप बनता है। इस लेख में हम विसर्ग संधि की परिभाषा, उसके नियम और उदाहरणों को विस्तार में समझेंगे, ताकि आप इसका सही प्रयोग कर सकें।

विसर्ग संधि क्या है?

जब किसी शब्द के अंत में विसर्ग (ः) आता है और उसके बाद वाले शब्द की शुरुआत स्वर (अ, आ, इ…) या व्यंजन (क, प, श…) से होती है, तो दोनों शब्द आपस में जुड़ते समय ध्वनि में बदलाव होता है। इस बदलाव को ही विसर्ग संधि कहते हैं।

उदाहरण

  • मन: + अनुकूल = मनोनुकूल
  • नि: + पाप =निष्पाप

विसर्ग संधि के नियम

विसर्ग संधि के 10 नियम होते हैं, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:

1. विसर्ग + च / छ / श → ‘श्’ में बदल जाता है
जब विसर्ग के बाद च, छ या श हो, तो विसर्ग ‘श्’ में बदल जाता है=][

उदाहरण:
यशः + चरित्र = यशश्चरित्र
दुः + शासन = दुश्शासन
यशः + शील = यशश्शील

2. विसर्ग + ट / ठ / ष → ‘ष्’ में बदल जाता है
जब विसर्ग के बाद ट, ठ या ष हो, तो विसर्ग ‘ष्’ बनता है।

उदाहरण:
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
चतुः + षड = चतुष्षड
विष्णुः + ठान = विष्णुष्ठान

3. विसर्ग + त / थ / स → ‘स्’ बनता है
अगर विसर्ग के बाद त, थ या स हो, तो विसर्ग ‘स्’ में बदल जाता है।

उदाहरण:
अन्तः + स्थल = अन्तस्थल
दुः + साहस = दुस्साहस
निः + संदेह = निस्संदेह

4. विसर्ग + क / ख / प / फ → ‘ष्’ बनता है (यदि पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो)
जब विसर्ग से पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो और बाद में क, ख, प, फ आएं, तो विसर्ग ‘ष्’ बनता है।

उदाहरण:
निः + कलंक = निष्कलंक
दुः + प्रबंध = दुष्प्रबंध

5. विसर्ग + र हो, और पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो → विसर्ग लोप + स्वर दीर्घ
यदि विसर्ग से पहले ‘इ’ या ‘उ’ हो और बाद में ‘र’ आए, तो विसर्ग लुप्त हो जाता है और स्वर दीर्घ (ई, ऊ) हो जाता है।

उदाहरण:
निः + रस = नीरस
दुः + रति = दुरति

6. विसर्ग + स्वर → विसर्ग लोप
जब विसर्ग के बाद कोई स्वर (अ, आ, इ, ई…) आता है, तो कई बार विसर्ग का लोप हो जाता है।

उदाहरण:
अतः + एव = अतएव
पयः + अन्न = पयअन्न

7. विसर्ग + य / र / ल / व → ‘ओ’ में बदलता है
अगर विसर्ग के बाद य, र, ल, व हो और पहले ‘अ’ हो, तो विसर्ग ‘ओ’ बन जाता है।

उदाहरण:
मनः + लय = मनोलय
सरः + वाणी = सरोवाणी
अधः + भाग = अधोभाग

8. विसर्ग + मध्य वर्गीय व्यंजन (ज, म, द, न…) → ‘ओ’ बनता है
कुछ मध्यम वर्णों के पहले विसर्ग आने पर भी वह ‘ओ’ में बदलता है।

उदाहरण:
सरः + ज = सरोज
जलः + मय = जलोमय

9. कभी-कभी विसर्ग जस का तस रहता है
जब कोई विशेष संधि नियम लागू नहीं होता, तो विसर्ग बना रहता है।

उदाहरण:
प्रातः + काल = प्रातःकाल
अधः + पतन = अधःपतन

10. विसर्ग के स्थान पर लोप + संधि विशेष
कुछ शब्दों में विसर्ग गायब होकर सिर्फ संयुक्त रूप रह जाता है।

उदाहरण:
धर्मः + आत्मा = धर्मात्मा
देवः + अर्चना = देवर्चना

आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से आपको विसर्ग संधि के बारे में जानकारी प्राप्त हुई होगी। संधि से जुड़े हुए अन्य महत्वपूर्ण और रोचक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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5 comments
    1. मनीषा त्रिवेदी जी आपका बहुत धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहें।

    1. धन्यवाद नारायण जी, आपकी सराहना हमारे लिए बहुत मायने रखती है। यदि आपको और कोई जानकारी चाहिए या हम आपकी सहायता कर सकें, तो कृपया हमें बताएं।

    1. मनीषा त्रिवेदी जी आपका बहुत धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहें।

    1. धन्यवाद नारायण जी, आपकी सराहना हमारे लिए बहुत मायने रखती है। यदि आपको और कोई जानकारी चाहिए या हम आपकी सहायता कर सकें, तो कृपया हमें बताएं।