गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले, यह कथन भारतीय जिमनास्ट प्रणति नायक पर बखूबी बैठता है। अपनी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया से मनवाया है प्रणति नायक ने। छोटे से करियर में ही तमाम उपलब्धि उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर उठाई है। प्रणति इस बार टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार हैं और वह इस बार जिमनास्ट में अकेली भारतीय होंगी। अपने खेल के प्रति समर्पित होना किसे कहते हैं यह आपको Pranati Nayak ki Kahani के ब्लॉग में आपको बताएंगे। तो चलिए, उनके बारे मे विस्तार से जानते हैं।
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संघर्ष भरी शुरुआत
भारतीय जिमनास्ट प्रणति नायक का जन्म 6 अप्रैल 1995 को पश्चिम बंगाल के झारग्राम के छोटे से शहर पिंगला में हुआ था। उनके पिता का नाम सुमंत नायक है, जो पश्चिम बंगाल राज्य परिवहन में एक बस ड्राइवर थे और उनकी माँ नाम प्रतिमा नायक है, जो हाउसवाइफ हैं। प्रणति की 2 बहनें और हैं। प्रणति ने अपने बचपन से ही संघर्षों का सामना किया था। प्रणति का जिम्नास्टिक्स में बचपन से ही इंटरेस्ट था। Pranati Nayak ki Kahani में उनके जीवन का संघर्ष ही उनको आगे तक लेकर गया।
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ऐसे शुरू हुई ट्रेनिंग
प्रणति जब 8 वर्ष की थीं तब से उन्हें स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) की कोच मिनारा बेगम ट्रेनिंग दे रही थी। प्रणति के मुताबिक उनके माता-पिता के पास इतना धन नहीं था कि उनकी ट्रेनिंग का खर्च उठा सकें। मिनारा बेगम ने प्रणति के ठहरने, खाने और अन्य खर्चों के अलावा जेब खर्च का भी ख्याल रखा था। इस पहले 2004 में प्रणति ने कोलकाता में जिम्नास्टिक ज्वाइन किया था। स्कूल द्वारा मिनारा बेगम को उनके कोच बनाने की सिफारिश की गई थी. इसके बाद प्रणति कोलकाता में शिफ्ट हो गईं थी। वहां से मिनारा ने न सिर्फ इनके करियर को चमकने में मदद दी बल्कि उनके लिए हर समय खड़ी रहीं। जब तक प्रणति को होस्टल में जगह नहीं मिली वह रोज 100 किमी को सफर करके ट्रेनिंग करने आती थीं। Pranati Nayak ki Kahani में उनकी कोच मिनारा बेगम का असीम योगदान था।
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करियर की दमदार शुरुआत
Pranati Nayak ki Kahani सही मायने में उनके करियर से शुरू होती है। प्रणति ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आग़ाज़ दीपा करमाकर और अनुभवी जिमनास्टों के के साथ किया था। आइए, जानते हैं उनके करियर के बारे में –
- 2018 – जकार्ता में आयोजित एशियाई गेम्स में प्रणति ने महिला वॉल्ट में आठवां स्थान हासिल किया था।
- 2018 में महिला वॉल्ट में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत प्रणति को स्पोर्ट्स कोटा से सरकारी नौकरी भी मिली।
- 2019 – मंगोलिया के उलानबाटार में हुए एशियाई जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल अपने नाम किया था. ऐसा करने वाली प्रणति तीसरी भारतीय जिमनास्ट थीं। इससे पहले यह करिश्मा दीपा करमाकार (2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रोंज़) और अरुणा रेड्डी (2018 वर्ल्ड कप गेम्स में ब्रोंज) कर चुकी हैं।
- मई 2021 में ही एशियाई जिमनास्टिक्स चैंपियनशिप होनी थी जो कोरोना महामारी के कारण रद्द कर दी गई थी। हालांकि, प्रणति को इसके रद्द होने से थोड़ा फायदा ज़रूर मिला।
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कोरोना की वजह से एक साल ट्रेनिंग से दूर
टोक्यो 2020 कोटा हासिल करने की खबर प्रणति को लग चुकी थी लेकिन वह कोरोना महामारी की वजह से प्रशिक्षण नहीं ले सकीं। कोलकाता के जिस सेंटर से प्रणति ट्रेनिंग ले रही थी, वह कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से एक साल से बंद था। लेकिन अब कोटा मिलने से प्रणति के मंजिल अब दूर नहीं है। Pranati Nayak ki Kahani में लॉकडाउन ने उन्हें और अधिक प्रैक्टिस करने के लिए मौका दिया।
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कैसे कटाया ओलंपिक का टिकट
मई 2021 में एशियाई चैंपियनशिप होनी थी, जिसे कोरोना महामारी के चलते रद्द कर दिया गया था। ऐसे में अप्रयुक्त (न इस्तेमाल होने वाला) इंटरकॉन्टिनेंटल कोटा (जो एशियाई क्षेत्र के योग्य प्रतिस्पर्धियों को दिया जाता है) प्रणति नायक को मिला है। नियमानुसार, श्रीलंका की एलपिटिया बैजल डोना मिल्का गे एशियाई कोटा के लिए पहला रिजर्व था, जबकि प्रणति का दूसरा रिजर्व था। तो ऐसे जुड़ा Pranati Nayak ki Kahani में ओलंपिक का नया चैप्टर।
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ओलंपिक के लिए ख़ास तैयारी
Pranati Nayak ki Kahani में प्रणति नायक का अब नया लक्ष्य है कि टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड पाना। टोक्यो में ट्रेनिंग शुरू होने से पहले फाइनल टच देने और फाइनल टच देने के अंतिम चरण में प्रणति अपने कोच लखन मनोहर शर्मा के मार्गदर्शन में अपने जंप और स्पिन का अभ्यास कर रही हैं। 2019 में मिनारा बेगम ने कोच पद से इस्तीफ़ा दे दिया था जिससे बाद अब शर्मा उनके कोच हैं।
अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन से पहले, शर्मा और नायक कोलकाता के साल्ट लेक में स्थित SAI परिसर में घंटों अभ्यास कर रहे थे। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए और किसी भी आकस्मिक दुर्घटना को रोकने के लिए, नायक ने अपने लिए सुरक्षा सावधानी बरती और परिसर बायो बबल के अंदर रहा। कोच कुछ हाउसकीपिंग स्टाफ और मालिश करने वालों के अलावा किसी भी बाहरी व्यक्ति को उससे मिलने की अनुमति नहीं है। आइए, बताते हैं Pranati Nayak ki Kahani में उनकी ओलंपिक की ट्रेनिंग के बारे में –
- शर्मा और प्रणति औसतन दिन में 7 घंटे जमकर प्रशिक्षण।
- उनके कार्यक्रम में सुबह और शाम दोनों समय व्यायाम, जिसमें नाश्ता, दोपहर का भोजन, रात का खाना और उसके मनोवैज्ञानिक और फिजियोथेरेपिस्ट के साथ उसके सत्र होते हैं, उसके बाद आराम।
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Pranati Nayak ki Kahani के इस ब्लॉग में आपने जाना कैसे प्रणति नायक ने तमाम कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य को पाया और अब टोक्यो ओलंपिक के लिए वह तैयार हैं। ऐसे और ब्लॉग पढ़ने के लिए आप Leverage Edu वेबसाइट पर जाकर उन्हें पढ़ सकते हैं।