अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इंजीनियरिंग के कुछ विषयों की पढ़ाई के लिए 12वीं कक्षा में फिजिक्स, मैथ और केमिस्ट्री विषयों की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया है। ये फ़ैसला अलग-अलग शैक्षणिक पृष्ठभूमि से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों को राहत देने के लिए लिया गया है। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यह ब्लॉग पढ़ें।
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इंजीनियर बनने के लिए जरूरी नहीं मैथ्स और फिजिक्स का परिचय
एक बड़े बदलाव के अनुसार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education) (AICTE) ने कहा है कि कुछ कोर्सेज में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के इच्छुक छात्रों के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, और मैथेमेटिक्स ज़रूरी नहीं है। तकनीकी शिक्षा अधिकारी ने कहा कि “छात्रों को अब ग्रेजुएशन स्तर पर एडमिशन पाने के लिए हाई स्कूल में ज़रूरी रूप से इन विषय की पढ़ाई जरुरी नहीं है। इस फैसले के आने से ऑनलाइन रेस्पॉन्सेस की बाढ़ आ गई है।
मौजूदा नियम को तोड़ते हुए, बॉडी ने उच्च शिक्षा संस्थान को ऐसे छात्रों को एडमिशन देने की अनुमति दी जिन्होंने स्कूल में फिजिक्स और मैथेमेटिक्स की पढ़ाई नहीं की है, जैसे कि टेक्सटाइल, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी। हालांकि, तकनीकी शिक्षा अधिकारी ने कहा कि पीसीएम कंप्यूटर साइंस जैसे ज्यादातर इंजीनियरिंग विषय के लिए ज़रूरी नहीं है।
एआईसीटीई के संशोधित नियमों के अनुसार ऐसे 14 विषय तय किए गए हैं, जिनमें से कोई तीन 12वीं कक्षा में लिए जा सकते हैं। ये विषय हैं- फिजिक्स, मैथमैटिक्स, केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बायोलॉजी, इनफॉर्मेटिक्स प्रैक्टिस, बायोटेक्नोलॉजी, टेक्निकल वोकेशनल सब्जेक्ट, इंजीनियरिंग ग्राफिक्स, कृषि, व्यावसायिक अध्ययन, उद्यमिता। इन तीनों विषयों में न्यूनतम 45 प्रतिशत (40 प्रतिशत आरक्षित) अंक लाने ज़रूरी हैं
AICTE के प्रेसिडेंट अनिल सहस्रबुद्धे का कहना है कि स्टेट गवर्नमेंट और इंजीनियरिंग स्कूल के लिए बंधन नहीं है। B.Tech और B.E में एडमिशन के लिए योग्यता में फ्लेक्सिबिलिटी होती है। छात्रों को उन विषयों की पढ़ाई करने के लिए कई प्रेस्सुरेस को लागू करने और उन्हें कम करने के लिए कई प्रोग्राम से प्रोत्साहित करने के लिए कोर्सेज शुरू किए गए हैं जो उनके प्रोग्राम्स के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं।
बदलाव की वजह
एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर इस बदलाव की वजहों को लेकर और जानकारी दी। उन्होंने बताया, “हम पिछले एक दशक से काफ़ी चुनौतियों का सामना कर रहे थे। इस बीच कई तरह के नए विषय भी उभरकर आए हैं। इस बात को लेकर आलोचना भी देखने को मिली, ख़ासतौर पर कंप्यूटर साइंस की फैकल्टी से कि हमें अपने करियर के दौरान केमिस्ट्री की कभी ज़रूरत नहीं पड़ी, तो हमें उसकी इतनी ज़्यादा पढ़ाई क्यों करनी पड़ती है।”
“बायोटेक्नोलॉजी, बायोइनफॉर्मेटिक्स की फैकल्टी और स्टूडेंट्स से हमें पता चला कि इसके लिए बायोलॉजी की ज़्यादा ज़रूरत होती है, लेकिन यहाँ आने वाले स्टूडेंट्स पीसीएम पढ़कर आते हैं। इसी तरह कंप्यूटर साइंस में कहा जा सकता है कि इसमें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की पृष्ठभूमि वाले स्टूडेंट की ज़रूरत होती है। यही एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग और कुछ अन्य विषयों में भी होता है। इसके चलते हमारी शैक्षिणक प्रणाली में बहुत दिक़्क़तें आ रही थीं। इसलिए नई शिक्षा नीति से नए विकल्प बनाए गए हैं।”
अनिल सहस्रबुद्धे ने बताया कि साल 2010 में पहले ही केमिस्ट्री को अनिवार्य विषयों से हटा दिया गया था। अब फिजिक्स और मैथ के लिए भी विकल्प मिल गया है। लेकिन, उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि पीसीएम विषय इंजीनियरिंग के लिए अब भी महत्वपूर्ण रहेंगे।
उन्होंने कहा, “नए नियम का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि इंजीनियरिंग के लिए मैथ और फिजिक्स की ज़रूरत ही नहीं है। किसी भी इंजनीनियरिंग प्रोग्राम में मैथमैटिक्स बहुत महत्वपूर्ण विषय होता है। इसके बाद फिजिक्स और केमिस्ट्री महत्वपूर्ण होते हैं। ये तीनों विषय अब भी अहम रहेंगे।” अधिकतर विषयों के लिए मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री की ज़रूरत रहेगी। लेकिन, बायोटेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, सेरेमिक इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल इंजीनियरिंग आदि इसके अपवाद होंगे।”
फैसले के कुछ नुकसान भी हैं
Maths aur Physics के बिना Engineering करें, इसके कुछ नुकसान भी हैं जो इस प्रकार हैं:
- बिना मैथ्स बैकग्राउंड वाले बच्चों की पढ़ाई मुश्किल हो जाएगी।
- एम्प्लॉयमेंट नहीं पाने लायक इंजीनियरों की संख्या बढ़ेगी।
- साइंस में कमजोर छात्रों का इनोवेशन में कमजोर रहने का खतरा रहेगा।
- इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इनोवेशन की कैपेबिलिटी कम होने का खतरा होगा।
- इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कैलकुलेशन और रीजनिंग कमजोर हो सकती है।
- ब्रिज कोर्स से BE, Btech की पढ़ाई बहुत आसान नहीं होने वाली है।
- मैथ्स-फिजिक्स को इंजीनियरिंग की पढ़ाई में कंपल्सरी करना जरूरी है।
- मैथ्स-फिजिक्स के बिना फंडामेंटल साइंस के लिए अंडरस्टैंडिंग कमजोर रह सकती है।
- मैथ्स के बिना छात्रों का नए फील्ड को एक्सप्लोर करना मुश्किल होगा।
नवीनतम अपडेट
13 मार्च 2021 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति आयोग (NEPC) ने एक वक्तव्य दिया कि “मैथ्स और फिजिक्स, इंजीनियरिंग कोर्स के लिए आवश्यक नहीं हैं”। AICTE के इस फैसले से छात्रों को फिजिक्स, मैथ्स, केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, बायोलॉजी, इन्फोर्मेटिक, इन्फोर्मेटिक प्रैक्टिस, बायोटेक्नोलॉजी, टेक्निकल वोकेशनल विषय, एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग ग्राफ़िक्स, बिज़नेस स्टडीज में से कोई तीन विषय पास करना जरूरी है। यह डिसिजन “विविध पृष्ठभूमि” से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों को राहत देने के लिए लिया गया है।
आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको Maths aur Physics के बिना Engineering करें के बारे में जानकारी मिली होगी। यदि आपको विदेश में पढ़ना है तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कॉल करके आज ही 30 मिनट का फ्री सेशन बुक कीजिए।