लक्ष्मी अग्रवाल स्टॉप सेल एसिड, भारतीय प्रचारक और एक टीवी होस्ट हैं। वह एक एसिड अटैक सर्वाइवर है और एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों के लिए बोलती है। जब वे 15 साल की थी तब उन पर एसिड अटैक हुआ था। उन्होने एसिड की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक याचिका के लिए 27,000 हस्ताक्षर एकत्र करने और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में इसका कारण लेने के लिए एसिड हमलों के खिलाफ भी वकालत की है। महिला और बाल विकास मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय और उनके अभियान स्टॉप सेल एसिड के लिए यूनिसेफ से अंतर्राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण पुरस्कार 2019 मिला। वह छन्न फाउंडेशन की पूर्व निदेशक भी हैं, जो भारत में एसिड हमलों से बचे लोगों की मदद के लिए समर्पित एक गैर सरकारी संगठन है। चलिए जानते हैं Laxmi Agarwal के बारे में विस्तार के साथ।
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लक्ष्मी अग्रवाल का प्रारंभिक जीवन
लक्ष्मी अग्रवाल दिल्ली की रहने वाली थी, माध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी बहुत ही सुन्दर भी और खुशमिजाज भी । इनका जन 1990 में 1 जून को हुआ । महज 15 वर्ष की थी जब उन पर एसिड अटैक हुआ । उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि उनको इस विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ेगा। कुछ मनचलों ने दिनदहाड़े उनके ऊपर एसिड अटैक किया। जिस से उनको बहुत ही बुरी तरीके से नुकसान पहुंचा।
इसके बाद उनको बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। परंतु इस सशक्त महिला ने अपने जीवन में हार नहीं मानी और आगे बढ़ने का निश्चय किया। अपनी परिस्थिति से उभरने के लिए उन्होंने खुद को सरवाइव करना सिखाया। आज यह महिला स्टॉप एसिड सेल और एक टीवी होस्ट के साथ-साथ एक भारतीय प्रचारक के रूप में दुनिया के सामने कार्य कर रही हैं।
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लक्ष्मी अग्रवाल पर जब हुआ एसिड अटैक
लक्ष्मी अग्रवाल जी के साथ 2005 में एसिड अटैक की घटना घटित हुई थी। वे कक्षा सातवीं में पढ़ती थी। इस छोटी सी उम्र में ही एक 32 वर्षीय व्यक्ति नईम खान उर्फ़ गुड्डा ने उनको शादी के लिए प्रपोज किया, परंतु लक्ष्मी ने उस व्यक्ति द्वारा दिए गए प्रपोजल को अस्वीकार कर दिया।
22 फरवरी 2005 को जब लक्ष्मी करीब 11:00 बजे दिल्ली के एक खान बाजार मार्केट से वापस लौट रही थी, तो उस युवक ने अपने छोटे भाई की गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम देने का सोचा।
- उसी दौरान उसके छोटे भाई की गर्लफ्रेंड ने लक्ष्मी को धक्का दिया, यह बयान खुद लक्ष्मी द्वारा दिया हुआ है।
- धक्का खाते ही लक्ष्मी अचानक से सड़क पर गिर गई और उस समय गुड्डा ने मौका पाते ही इनके शरीर पर एसिड अटैक कर दिया।।
- लक्ष्मी ने अपने एक बयान में बताया कि उस दौरान लक्ष्मी ने अपनी आंखों को ढक लिया था, इसलिए उनकी आंखों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच सका।
- लक्ष्मी ने बताया कि जिस दौरान उनके शरीर पर तेजाब पड़ा उस समय उनको थोड़ा सा ठंडक महसूस हुई, परंतु कुछ सेकंड बाद ही उनको महसूस हुआ कि उनके शरीर में बहुत तेज जलन हो रही है।
उन्होंने बताया कि , कुछ क्षणों में ही उनके चेहरे और कान के हिस्सों के मांस पिघल कर जमीन पर गिरने लगे और उनकी हड्डियों में भी जलन होने लगी। उन्होंने बताया कि 2 माह से अधिक उन्होंने इस दुखदायक परिस्थिति के साथ जूझते हुए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बिताया।
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लक्ष्मी अग्रवाल का करियर (Laxmi Agarwal Career in Hindi)
लक्ष्मी ने अपने करियर की शुरुआत स्टॉप एसिड अटैक्स कैंपेन के साथ प्रचारक के रूप में की थी। वह टीवी होस्ट के साथ एक भारतीय प्रचारक हैं। उसने अपने शुरुआती दिनों में एक अभियान समन्वयक के रूप में काम किया।
जल्द ही, लक्ष्मी दुनिया भर में एसिड हमलों से बचे लोगों के लिए एक आवाज बन गई। एसिड की बिक्री पर अंकुश लगाने और अपनी नींव के माध्यम से एसिड हमलों से बचे लोगों के पुनर्वास के लिए उन्हें भारत में कई पुरस्कार मिले। लक्ष्मी ने खुद का अभियान #StopSaleAcid नाम से शुरू किया।
जून 2014 तक, लक्ष्मी न्यू एक्सप्रेस पर एक टेलीविजन शो, उडान की मेजबानी करती थी। 2015 में, लक्ष्मी महिला फैशन कंपनी ‘विवा एन दिवा की ब्रांड एंबेसडर बनीं।‘
एसिड अटैक घटना के बाद जुड़ी हुई कुछ बातें
लक्ष्मी अग्रवाल बताती हैं, कि जब उनकी आंखों को डॉक्टर सिल रहे थे तब वह होश में थी। परंतु उनको यह नहीं समझ में आ रहा था , कि आखिर में उनके साथ यह क्या हो रहा है ? वह बताती हैं कि करीब 2 महीने से भी अधिक बाद जब वह घर लौटी तो घर के सभी आईने हटा दिए गए थे। लक्ष्मी जी ने कहा, कि कैसे भी करके उन्होंने अपने चेहरे को आईने में देख लिया।
- अपने चेहरे को आईने में देखते ही वह खुद बहुत डर गई और इतना ही नहीं उनको बहुत ही दुख हुआ।
- वह बताती हैं, कि उन्होंने उसी वक्त ठान लिया कि उनके जिंदगी का अब कोई मकसद नहीं रह गया है।
- अपने आपको अब खत्म कर लेना चाहिए, ऐसा उन्होंने अपने मन में निश्चय कर लिया था।
- वे बताती हैं, कि अपने माता-पिता के बारे में सोच कर उन्होंने आत्महत्या का विचार नहीं किया परंतु उन्होंने कहा, कि जीवन जीना इस परिस्थिति में इतना आसान उस वक्त नहीं था।
- वे बताती हैं, कि जब मैं कहीं बाहर या फिर घर के छत पर ही टहलने निकलती थी, तो लोग उनके चेहरे को देखकर अपने मुंह को फिर लेते थे, दयनी नजर से देख आगे बढ़ जाते थे।
- यहां तक , कि कई लोगों ने उनको यह तक सलाह दे दी कि, अपने चेहरे को ढक कर रखा करो नहीं तो आजू- बाजू के बच्चे तुम्हारे चेहरे को देखकर डर जाएंगे।
- उन्होंने कहा, कि इस दुनिया में उन्हें एक बार नहीं अनेकों बार अपमान का सामना करना पड़ा था।
- “और वे आज बताती हैं , कि मैं उन सभी लोगों का अत्यधिक शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने मुझे अपमानित किया”।
- वह बताती हैं, कि लोगों द्वारा अपमानित होने एवं उनको घृणा से देखे जाने से ही उनके अंदर एक ऐसी ज़िद जागृत हुई, कि अब तो कुछ इस दुनिया को उनको करके ही दिखाना है।
अपना नाम खुद के दम पर लोगों को याद दिलाना है। इस निर्दई दुनिया में सम्मान से जीने का अधिकार हर किसी को है और इसी को सोचकर उन्होंने खुद को खत्म करने का इरादा छोड़ दिया और आगे अपने जीवन में प्रगति पाने के लिए बढ़ चली गई ।
वह कहती हैं, कि मैं उस सबसे एक बार जरूर मिलना पसंद करूंगी । जिसने मेरे शरीर को तो झुलसा पसंद दिया , परंतु मेरे सपने एवं जीवन में उजाले का दीप जला दिया।
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लक्ष्मी अग्रवाल की प्रेम कहानी (Laxmi Agarwal Love Story in Hindi)
जब लक्ष्मी अपनी परिस्थिति और बुरे दिनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थीं। इसी बीच उनकी मुलाकात एक व्यक्ति आलोक दीक्षित से हुई। आलोक पेशे से एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी है। आलोक दीक्षित अपनी हर परिस्थिति में लक्ष्मी अग्रवाल के साथ खड़े रहे।
लक्ष्मी अग्रवाल के साथ कुछ कुछ समय बीत जाने के बाद आलोक दीक्षित ने महसूस किया कि इस दुनिया में सुंदरता के बिना रहना कितना दर्दनाक और मुश्किल है। आलोक ने समाज को नजरअंदाज कर वह लक्ष्मी अग्रवाल के साथ शादी करने का फैसला किये।
उनका प्यार एक प्रेम संबंध था। जिसमें उन्होंने एक दूसरे के साथ शादी के बिना रहने का फैसला किया। आलोक का मानना था कि दुनिया शादी में दुल्हन की सुंदरता देखने आती है। यही कारण है कि वह नहीं चाहते थे की लक्ष्मी पर कोई भी किसी भी तरह का कमेंट करे। यह चीज वह बर्दाश नहीं कर पाते।
“आलोक दीक्षित कहते है कि वह मरते दम तक एक-दूसरे के साथ रहना पसंद करते हैं। उन दोनों ने दुनिया को यह भी दिखा दिया कि शादी केवल रीति-रिवाजों के बिना पूरी नहीं होती। उनका प्यार सबसे अलग है। शादी एक सच्चे मन से भी हो जाती है।”
लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा कि उनके चेहरे का 7 बार ऑपरेशन किया गया था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके जीवन में इस घटना के बाद भी, कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाएगा जो उनके सुख-दुख में हमेशा साथ रहेगा।
आलोक दीक्षित ने कहा कि मुझे लक्ष्मी से वैसे ही प्यार हुआ जैसे सभी को होता है। यह सच था कि उसका चेहरा सुंदर नहीं है। लेकिन मैंने उसकी बाहरी सुंदरता को नहीं देखा। मैंने उसके अंदर छिपी एक खूबसूरत लड़की की भावना को देखा और समाज से बिना डरे जीवन जीने का उसने जो निर्णय लिया।
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Chhappak Movie
लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर मेघना गुलजार की अगली फिल्म “छपाक” आ रही है। फिल्म में लक्ष्मी का मुख्य किरदार दीपिका पादुकोण निभा रही है, जिनके किरदार का नाम मालती है। फिल्म का प्रोमो आ चूका है, जिसे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। दीपिका ने लक्ष्मी के किरदार में रम जाने के लिए अलग तरह का मेकअप का उपयोग किया है। मेकअप के बाद दीपिका जब लक्ष्मी के सामने आई थी, तो लक्ष्मी को एक पल के लिए लगा जैसे सामने आइना है। फिल्म 10 जनवरी 2020 को आ रही है, जिसका सबको बेसब्री से इंतजार है। फिल्म की निर्देशक मेघना है, जिन्होंने इससे पहले राजी मूवी बनाकर लोगों का दिल जीता था।
कहते है, फिल्म के आखिरी दिन शूटिंग के बाद दीपिका ने अपने मेकअप को जला दिया था। जब उनसे इस बारे में पुछा गया तो उन्होंने कहा हम हर फिल्म के आखिरी में अपने साथ कुछ लेकर जाते है, लेकिन इस फिल्म को करते समय मैंने लक्ष्मी के किरदार को इतने करीब से देखा है, की मेरी रूह काँप गई और में इसे अपने साथ नहीं रखना चाहती थी। छपाक फिल्म दुनिया को एक सीख भी देती है, फिल्म में सच में रही एसिड अटैक से पीढीत चार लड़कियों को भी दिखाया गया है। लक्ष्मी की कहानी को करीब से जानने के लिए सभी बेताब है।
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