हमीदा बानो 1954 में आज ही के दिन भारत की पहली महिला पहलवान बनीं। उन्होंने बाबा पहलवान नाम के एक प्रसिद्ध पहलवान के खिलाफ महज 1 मिनट और 34 सेकेंड में मैच जीत लिया, जिसके बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। हमीदा बानो से हार जाने के बाद बाबा पहलवान ने कुश्ती बंद करने का फैसला लिया।
हमीदा बानो का जन्म को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हुआ था। उन्हें ‘अलीगढ़ की अमेजन’ के नाम से भी जाना जाता है। हमीदा बानो की बचपन से ही कुश्ती में दिलचस्पी रही थी। उस समय 1900 के दशक में कुश्ती सिर्फ पुरुषों तक सीमित थी। ऐसे में हमीदा ने जब अपने परिवार को कुश्ती लड़ने की बात कही तो उनका पूरा परिवार इस चीज के खिलाफ था, जिसके बाद हमीदा अलीगढ़ चली आई और कुश्ती सीखना शुरू कर दिया।
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शुरू में उन्होंने कुछ छोटे-मोटे मुकाबले लड़े और उसके बाद वह एकदम पुरुष पहलवानों की तरह कुश्ती लड़ने लगी। ऐसा करते करते 1940 और 1950 के दशक के अपने करियर में उन्होंने 300 से अधिक प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की।
1954 से समय में वह और प्रसिद्ध हो गयी जब उन्होंने कहा की वह उसी से शादी करेंगी जो उन्हें कुश्ती में हराएगा। इस ऐलान के बाद कई पहलवानों ने उनका चैलेंज स्वीकार किया लेकिन उनके सामने कुश्ती के मुकाबले में टिक नहीं पाए।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1954 तक वह 300 मुकाबलों में जीत हासिल कर चुकी थी जिसके बाद उनका नाम ‘अमेजन ऑफ अलीगढ़’ रख दिया गया था। हर रोज समाचार पत्रों में हमीदा बानो से जुड़ी खबरें छपा करती थीं। उनके वजन की बात करें तो हमीदा बानो का वजन 108 किलो और लंबाई 5 फीट 3 इंच थी। उनकी डाइट में हर दिन 5.6 लीटर दूध, 1.5 लीटर फ्रूट जूस, 2.8 लीटर सूप, करीब 1 किलो मटन, बादाम, आधा किलो घी और दो प्लेट बिरयानी हुआ करती थी।
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