Jalore ka kila: जानिए भारत के इस स्मारक किले के बारे में 

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Jalore ka kila

जालौर के किले (Jalore ka kila) पर विभिन्न कालों में विभिन्न राजवंशों ने राज किया है। इनमें से गुर्जर, प्रतिहार, चालुक्य, परमार और राठौर आदि राजवंश प्रमुख हैं। जालौर के किले का निर्माण परमार राजाओं के द्वारा 10वीं शताब्दी में करवाया गया था। Jalore ka kila राजस्थान के जालौर जिले में अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है। वर्ष 1956 में इस दुर्ग को स्मारक घोषित किया गया था। यहाँ Jalore ka kila के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।  

किले का नाम जालौर का किला 
सम्बंधित शहर जालौर 
सम्बंधित राज्य राजस्थान 
निर्माण वर्ष 10वीं शताब्दी 
निर्माण कराने वाले शासक सम्राट नागभट्ट प्रथम 
ऊंचाई 336 मीटर 
लम्बाई 800 गज 
चौड़ाई 400 गज 
किले में स्थित द्वार चार द्वार (मुख्य द्वार, ध्रुव पोल, चंद्रपोल, सिरपोल)

जालौर के किले का इतिहास 

जालौर का किला वास्तव में कब बनवाया गया था, इस बात को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार इसके निर्माण का समय आठवीं सदी मानते हैं वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि जालौर के किले (Jalore ka kila) का निर्माण परमार राजाओं ने 10वीं शताब्दी में करवाया था। अधिकत्तर इतिहासकार जालौर के किले का निर्माण काल 10वीं सदी में ही मानते हैं। इस किले पर गुर्जर, प्रतिहार, चालुक्य, परमार और राठौर आदि राजवंशों ने राज किया है। 

हिन्दू शासकों के अलावा जालौर के किले के ऊपर कुछ मुस्लिम शासकों ने भी शासन किया था। जालौर के प्रसिद्ध शासक कान्हड़देव को अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का सामना करना पड़ा था। 

जब प्रतिहार शासक जालौर के किले से चले गए तो इसके बाद कई राजवंशों ने इस किले पर शासन किया। इस किले को मारू के नौ किलों में से एक माना जाता है। यह किला इतिहास के सबसे मजबूत किलों में से एक माना जाता है। इस किले के बारे में मशहूर है कि आकाश को फट जाने दो, पृथ्वी उलटी हो जाएगी, लोहे के कवच को टुकड़ों में काट दिया जाएगा, शरीर को अकेले लड़ना होगा, लेकिन जालोर आत्मसमर्पण नहीं करेगा।  

धोखे से अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर कब्ज़ा कर लिया था। तब जालौर का प्रथम साका हुआ। इसके बाद राठौर राजा मालदेव ने मुस्लिम आधिपत्य को खत्म करके इस किले पर राठौड़ों का शासन स्थापित किया। 

जालौर के किले की स्थापत्य कला 

यहाँ जालौर के किला (Jalore ka kila) की स्थापत्य कला के बारे में बताया जा रहा है : 

  • जालौर की पहाड़ी पर बना यह किला 336 मीटर (1200 फीट) ऊँचे पथरीले शहर से दीवार और गढ़ों के साथ गढ़वाली तोपों से सुसज्जित हैं। किले में चार विशाल द्वार है। 
  • किले का रुख ऊपर से दक्षिण की तरफ है। दुर्ग की तीन पंक्तियों से लगी एक दीवार जिसकी ऊंचाई लगभग 20 फ़ीट है। यह किला हिन्दू वास्तु कला का एक अनुपम उदाहरण है। 
  • किले के अंदर चार पोल बने हैं : सूरज पोल, ध्रुव पोल, चाँद पोल और सीर पोल। इनमें से सूरज पोल जिसे सूर्य द्वार भी कहा जाता है, उसे इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि सुबह सूरज उगते ही उसकी पहली किरण इसके द्वार से ही प्रवेश करती है। 

जालौर के किले अंदर स्थित दर्शनीय स्थल 

यहाँ जालौर के किले (Jalore ka kila) के अंदर मौजूद दर्शनीय स्थलों के बारे में बताया जा रहा है : 

शिव मंदिर 

यहाँ एक पुराना शिव मंदिर बना हुआ है। इसका निर्माण जालौर के शासक कान्हड़देव ने कराया था। इस का जीर्णोद्धार श्री शांतिनाथ जी महाराज द्वारा वर्ष 2005 में करवाया था।  

इस्लामी मस्जिदें 

किले के भीतर किला मस्जिद भी उल्लेखनीय है क्योंकि वे उस काल (अर्थात् 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध) की गुजराती शैलियों से जुड़ी स्थापत्य सजावट के व्यापक प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे मौजूदा हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। किले में एक और मंदिर संत रहमद अली बाबा का है। मुख्य द्वार के पास, एक प्रसिद्ध मुसलमान संत मलिक शाह की कब्र है।

आदि मंदिर 

यह एक जैन मंदिर है। यह 8वीं शताब्दी में अस्तित्व में था। मंडप को बाद में 1182 ई. में एक श्रीमाली वैश्य यासोवीरा द्वारा बनवाया गया था। अंधेरे किले की दीवारों और चट्टानी परिवेश के बीच यह मंदिर सबसे अलग दिखता है। सफेद संगमरमर से निर्मित यह भव्य संरचना काफी दर्शनीय है।

पार्श्वनाथ का मंदिर

इस मंदिर का निर्माण जालौर के राजा के द्वारा 1785 ई. में कराया गया था। यह भी जालौर के किले (Jalore ka kila) में मौजूद प्रमुख जैन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में एक शानदार तोरण या एक तोरणद्वार है और थिएटर प्रदर्शन के लिए हॉल में एक सुनहरा “कपोला” है, जो किले के उत्तर पश्चिम में स्थित है।

महावीर का मंदिर 

महावीर के मंदिर का निर्माण प्रतिहार राजा ने 14वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर को चंदनविहार नाहदाराव के नाम से भी जाना जाता है। महावीर मंदिर भी जालौर के किले के अंदर मौजूद प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक है।  

आवासीय महल 

किले के अंदर एक  “आवासीय महल” स्थित है जो कि अब जर्जर हालत में है। इस महल की अब कुछ विशाल दीवारें और खंडर ही शेष बचा है। इसके बावजूद भी पर्यटक इसके ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे देखना पसंद करते हैं। 

जालौर किले से जुड़े कुछ तथ्य 

यहाँ Jalore ka kila से जुड़े कुछ तथ्य दिए जा रहे हैं : 

  • जब अलाउदीन खिलजी ने जालौर के किले पर हमला किया था तो अपने सम्मान की रक्षा के लिए राजपूत स्त्रियों ने आग में कूदकर जौहर किया था। 
  • जालौर के किले के अंदर एक उजाड़ महल स्थित है जो कि कभी राजा का मुख्य आवास हुआ करता था। 
  • जालौर के किले के अंदर हिन्दू मंदिर और जैन मंदिरों के साथ साथ मस्जिद भी मौजूद है। 

FAQs 

जालौर के किले की ऊंचाई कितनी है?

जालौर के किले की ऊंचाई 336 मीटर है।

जालौर का पुराना नाम क्या है?

प्राचीन काल में जालोर को ‘जाबालिपुर’ के नाम से जाना जाता था। 

जालौर दुर्ग को बने हुए कितने साल के हुए?

जालौर के किले का निर्माण 8वीं या 10वीं शताब्दी में माना जाता है। 

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में जालौर का किला के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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