क्या आपके संस्कृत के अध्यापक ने कभी आपको Jagat Shabd Roop लिखने या कक्षा में सुनाने के लिए कहा है? या आपने उन्हें ये कहते सुना है कि जगत शब्द रूप बहुत महत्वपूर्ण है। Jagat Shabd Roop छोटी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक पूछा जाता है क्योंकि यह संस्कृत की नींव है। आपको बता दें कि इससे जुड़े हुए प्रश्न कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। Shabd Roop के जरिए हम किसी भी शब्द का प्रयोग सही ढंग से कर सकते हैं और उसका अर्थ भी सही से समझ सकते हैं। इस ब्लॉग में Jagat Shabd Roop Sanskrit mein, शब्द रूप किसे कहते हैं?, तकारान्त क्विवलिङ्ग संज्ञा शब्द किसे कहते हैं? के बारे में दिया गया है।
तकारान्त क्विवलिङ्ग संज्ञा शब्द किसे कहते हैं?
तकारान्त क्विवलिङ्ग संज्ञा वे शब्द होते हैं जिनके अंत में “त” होता है और वे पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों में प्रयुक्त होती हैं। आपको बता दें कि सभी तकारान्त क्विवलिङ्ग संज्ञापदों के शब्द रूप एक ही प्रकार से बनते हैं।
शब्द रूप किसे कहते हैं?
जैसा कि हम उच्चारण से समझ सकते हैं शब्द रूप अर्थात एक शब्द के विभिन्न रूप होते हैं। शब्द रूप की परिभाषा यह है कि शब्द के विभिन्न विभक्तियों में होने वाले परिवर्तन को शब्द रूप कहते हैं। शब्द रूप व्याकरण का एक महत्वपूर्ण विषय है, इसे याद करने से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि किसी शब्द का प्रयोग विभक्ति और वचन के अनुसार किस प्रकार किया जाता है।
जगत शब्द रूप संस्कृत में (Jagat Shabd Roop Sanskrit Mein)
जगत शब्द रूप (Jagat Shabd Roop) समझ लेने से संस्कृत में वचन के अनुसार वाक्यों में इसका प्रयोग करना आसान हो जाता है, जो इस प्रकार हैं –
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | जगत् / जगद् | जगती | जगन्ति |
द्वितीया | जगत् / जगद् | जगती | जगन्ति |
तृतीया | जगता | जगद्भ्याम् | जगद्भीः |
चतुर्थी | जगते | जगद्भ्याम् | जगदभ्यः |
पंचमी | जगतः | जगद्भ्याम् | जगदभ्यः |
षष्ठी | जगतः | जगतो: | जगताम् |
सप्तमी | जगति | जगतोः | जगत्सु |
सम्बोधन | हे जगत् ! | हे जगती ! | हे जगन्ति ! |
अकारान्त पुल्लिंग के शब्द रूप से संबंधित
- बालक शब्द रूप
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उम्मीद है आप सभी को Jagat Shabd Roop Sanskrit mein समझ आए होंगे। संस्कृत व्याकरण के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।