भारत एक ऐसा राष्ट्र रहा है, जिसने प्राचीन काल से ही पुरुषों और नारियों में समानता की बात कही और सभी को समान अवसर प्रदान किए। फिर चाहे सुख हो या दुःख भारत की बेटियों ने भी भारत के पुरुष समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दिया। इसी क्रम में भारत की वो महान वीरांगनाएं भी आती है, जिन्होंनें आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप उन महान वीरांगनाओं के बारे में जानकर उनकी जीवन यात्रा से प्रेरणा ले पाएंगे और देशहित के लिए खुद को समर्पित कर पाएंगे।
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टॉप 10 Indian Women Freedom Fighter
आज़ादी के लिए कई वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों को मातृभूमि के लिए समर्पित किया, Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आपको भारत की उन वीरांगनाओं के बारे में जानने को मिलेगा, जो कि कुछ इस प्रकार है-
- रानी लक्ष्मी बाई
- कित्तूर चेन्नम्मा
- कस्तूरबा गांधी
- कमला नेहरू
- विजय लक्ष्मी पंडित
- सरोजिनी नायडू
- कमला चट्टोपाध्याय
- सुचेता कृपलानी
- सावित्रीबाई फुले
- लक्ष्मी सहगल
भारत की आज़ादी में वीरांगनाओं का योगदान
भारत की आज़ादी में केवल किसी एक परिवार, एक व्यक्ति या किसी एक विचारधारा ने अपना योगदान नहीं दिया। बल्कि इसके लिए तो अनेकों वीर-वीरांगनाओं ने अपना योगदान दिया है। आज़ादी एक जन आंदोलन था, जिसमें लोगों ने हर बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। असंख्य बलिदानों को तो यहाँ लिख पाना संभव नहीं होगा, लेकिन Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप कुछ वीरांगनाओं की शौर्य गाथा और आज़ादी में उनके योगदान के बारे में जान पाएंगे। यह जानकारी कुछ इस प्रकार है-
स्वतंत्रता सेनानी (वीरांगना) का नाम | भारत की स्वतंत्रता में उनका योगदान और आज़ाद भारत में इनकी भूमिका |
रानी लक्ष्मी बाई | रानी लक्ष्मी बाई ने 1857 के विद्रोह में महिलाओं का नेतृत्व किया और आज़ादी की अलख जगाई। |
कित्तूर चेन्नम्मा | रानी कित्तूर चेन्नम्मा ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करके क्रूरता के खिलाफ विद्रोह करके लोगों की चेतना जगाने वाली पहली महिला शासक बनी। |
कस्तूरबा गांधी | कस्तूरबा गांधी ने भारत छोड़ों आंदोलन में भाग लेकर आज़ादी के लिए अपना मोर्चा संभाला। |
कमला नेहरू | कमला नेहरू ने असहयोग आंदोलन और विदेशी शराब के विरोध में प्रदर्शन में अपनी भूमिका सुनिश्चित करके आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी। |
विजय लक्ष्मी पंडित | विजय लक्ष्मी पंडित ही संयुक्त राष्ट्र में पहली भारतीय महिला राजदूत बनी और भारत का पक्ष विश्व के सामने मजबूती से रखा। |
सरोजिनी नायडू | सरोजिनी नायडू ही वह पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने राज्यपाल (यूपी) के रूप में कार्य किया और लोकहित के लिए खुद को राष्ट्र के नाम सर्पित किया। |
कमला चट्टोपाध्याय | कमला चट्टोपाध्याय ही भारत के मद्रास प्रांत में विधायी सीट के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला बनी, जिन्होंने जीवन भर भारत की आज़ादी के लिए खुद के सुखों का भी त्याग किया। |
सुचेता कृपलानी | सुचेता कृपलानी ने आज़ाद भारत में प्रथम महिला मुख्यमंत्री (यूपी) का दर्जा प्राप्त किया और आज़ाद भारत की उन्नति में अनेकों कार्य किए। |
सावित्रीबाई फुले | सावित्रीबाई फुले जी ने भारत में प्रथम महिला शिक्षिका बनकर भारत के सभ्य समाज को शिक्षित करने का निर्णय लिया। |
लक्ष्मी सहगल | लक्ष्मी सहगल ने इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन (आईडीडब्ल्यूए)(1981) के माध्यम से देश के लोगों को एक नई राह दिखाई। |
कुछ अन्य वीरांगनाओं के नाम
Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप कुछ ऐसी वीरांगनाओं के बारे में भी जानने को मिलेगा, जिनको इतिहास लिखने वालों ने वो उचित सम्मान नहीं दिया, जो कि उनके तप त्याग को समय रहते मिलना चाहिए था। कुछ अन्य वीरांगनाओं की जानकारी कुछ इस प्रकार है-
- कुंतला कुमारी साबत
- सरला देवी चौधरानी
- अन्नपूर्णा महराना
- झलकारी बाई
- उमाबाई कुंडापुर
- हंसा मेहता
- राजकुमारी गुप्ता
- नलिनीबाला देवी
- अमल प्रभा दास
- चंद्रप्रवा सैकियानी
- सरला देवी
- कृष्णम्मल जगन्नाथन
- यशोधरा दासप्पा
- अमृत कौर
- ऊदा देवी
- मूलमती
- जानकी अथि नहप्पन
- अम्मू स्वामीनाथन
- मातंगिनी हाजरा
- पार्वती गिरि
भारत की आज़ादी में उपरोक्त वीरांगनाओं का योगदान
भारत की आज़ादी में उपरोक्त वीरांगनाओं का योगदान अतुल्नीय है, इन योगदान के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है। Indian Women Freedom Fighter in Hindi के माध्यम से आप उपरोक्त वीरांगनाओं के योगदान से प्रेरणा लेकर भारत की उन्नति में अपना योगदान दे सकते हैं और भारत की नारी शक्ति से परिचित हो सकते हैं-
स्वतंत्रता सेनानी (वीरांगना) का नाम | भारत की स्वतंत्रता में उनका योगदान |
कुंतला कुमारी साबत | कुंतला कुमारी साबत ने अपनी कविताओं के सहारे जनता को आज़ादी के लिए जगाने का काम किया। |
सरला देवी चौधरानी | सरला देवी चौधरानी ने अपने संगीत के माध्यम से जनता में देशभक्ति की अलख जगाई। |
अन्नपूर्णा महराना | अन्नपूर्णा महराना ने जब जेल की सज़ा के दौरान गरीबों की सेवा करने का वादा किया। |
झलकारी बाई | झलकारी बाई ने रानी लक्ष्मी बाई की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। |
उमाबाई कुंडापुर | उमाबाई कुंडापुर ने आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले क्रांतिकारियों को, ब्रिटिश सरकार से संरक्षण दिया। |
हंसा मेहता | हंसा मेहता, बड़ौदा के दीवान की बेटी थी। जिन्होंने लैंगिक समानता के लिए लड़ाई लड़ी और आज़ादी की जंग लड़ी। |
राजकुमारी गुप्ता | राजकुमारी गुप्ता एक ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने काकोरी कांड में लूटपाट के लिए क्रांतिकारियों के लिए गन-पिस्टल सप्प्लाई की। |
नलिनीबाला देवी | नलिनीबाला देवी जी ने असम में अपनी कविताओं के माध्यम से जनता में आज़ादी की अलख जगाई। |
अमल प्रभा दास | अमल प्रभा दास ने नार्थ ईस्ट में राष्ट्रवाद की कमान संभाल कर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी। |
चंद्रप्रवा सैकियानी | चंद्रप्रवा सैकियानी असम से आने वाली महिला थी, जिन्होंने सत्याग्रह से जुड़कर स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। |
सरला देवी | सरला देवी ओड़िशा से आने वाली पहली महिला थी, जिन्होंने गाँधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़कर आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। |
कृष्णम्मल जगन्नाथन | गाँधीवादी विचारों से प्रभावित कृष्णम्मल जगन्नाथन जी तमिलनाडु से थी, जो ब्रिटिश हुकूमत के साथ-साथ गरीबी से भी लड़ती रहीं। |
यशोधरा दासप्पा | बैंगलोर से आने वाली यशोधरा दासप्पा ने महिलाओं को सत्याग्रह आंदोलन से जोड़ा। |
अमृत कौर | अमृत कौर ने दांडी मार्च से लेकर भारत छोड़ों आंदोलन में अपनी मुख्य भूमिका निभाई। |
ऊदा देवी | ऊदा देवी लखनऊ की वीरांगना थी जिन्होंने 1857 की क्रांति में 30 से अधिक ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। |
मूलमती | मूलमती जी महान स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की माँ थी, उन्होंने भी जनजागरूकता में अपना अहम योगदान दिया था। |
जानकी अथि नहप्पन | जानकी अथि नहप्पन ने आज़ाद हिन्द फ़ौज में ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट को लीड किया था। |
अम्मू स्वामीनाथन | अम्मू स्वामीनाथन उन 15 महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने संविधान के ड्राफ्ट के समय अपना योगदान दिया। |
मातंगिनी हाजरा | मातंगिनी हाजरा को वन्दे मातरम गाने से कारण अंग्रेजों ने गोली मार दी थी, उनके बलिदान के बाद लोगों ने बढ़चढ़कर वन्दे मातरम गया। |
पार्वती गिरि | पार्वती गिरि को मदर टेरेसा ऑफ ओड़िसा के नाम से जाना जाता है, इन्होंने लोगों को आज़ादी के लिए एकता सूत्र में रहना सिखाया। |
आशा है कि Indian Women Freedom Fighter in Hindi का यह ब्लॉग आपको देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत लगा होगा, साथ ही इसमें लिखें संदेशों को आप अपने यार-दोस्त के साथ साझा कर पाएंगे। आधुनिक भारत के इतिहास से जुड़े ऐसे ही अन्य टॉपिक पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।